Bhole Baba: साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरज पाल की जिंदगी से जुड़ी अब बहुत सारी कहानियां सामने आ रही हैं. इसी बीच भोले बाबा की बहन ने बहुत सारे खुलासे किए हैं.
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Sakar Baba: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मची भगदड़ में 123 लोगों के मौत के बाद साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा इन दिनों खूब चर्चा में हैं. भोले बाबा से जुड़े कई सारे खुलासे हो रहे हैं. इसी बीच भोले बाबा की बहन ने साकार बाबा की कंडली ही खोल दी है. इससे पहले जानते हैं पुलिस के खुलासे.
बाबा से पहले पुलिस
अब तक बाबा के बारे में जितना पुलिस ने कुंडली निकाली है, उसमें पता चला कि बाबा बनने से पहले भोले बाबा उर्फ सूरज पाल पुलिस की नौकरी करते थे, जिनकी तैनाती इटावा में हुई थी. इसके बाद वह एलआईयू में चले गए और आगरा में तैनाती के दौरान उन्होंने नौकरी छोड़ दी.
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बाबा के आश्रम की मिट्टी सोना समझते भक्त
एएसपी राजेश कुमार भारती बताते हैं कि बाबा के बारे में अन्य जानकारियां जुटाई जा रही हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि उन्होंने नौकरी छोड़ी या उन्हें बर्खास्त किया गया. भोले बाबा के भक्तों में उनके प्रति इतनी अटूट आस्था है कि वह आश्रम से मिट्टी और पानी को अपने घर पर प्रसाद के रूप में ले जाते हैं. लोग आश्रम की मिट्टी को सोना और पानी को अमृत मानते हैं. यह सिलसिला आज भी जारी है.
पुलिस में थे तभी हो गई सिद्धि: बहन
मीडिया रिपोर्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आगरा के बहादुर नगर में रहने वाली बाबा की बुजुर्ग बहन सोनकली के मुताबिक साकार बाबा जब नौकरी करते थे उसी दौरान उन्हें कुछ सिद्धि हो गई और सिद्धि के दौरान वह पागल से हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सिद्धि में लग गए.
समाज को फायदा तभी तो बाबा के पास आते हैं लोग: बहन
बहन ने आगे जो बताया उसे सुनकर और पढ़कर किसी को विश्वास ही नहीं होगा, बहन का कहना था कि वह चमत्कारिक रूप से अंगुली पर चक्र चलाते थे. बाबा के पास चमत्कार थे, इसी वजह से दुनिया भर से लोग उनके पास आते थे और लोगों का भला होता था. उनके भक्त आज भी मिट्टी और पानी ले जाते हैं. आश्रम की मिट्टी उनके लिए सोना और और पानी अमृत के सामान है. बहन तर्क देते हुए कहती हैं कि आज का समाज बहुत पढ़ा लिखा है, अगर समाज को लाभ नहीं मिलेगा तो वे लोग क्यों बाबा के पास आएंगे.
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25 साल में पुलिस से बाबा भोले बने सूरजपाल
सूरजपाल से भोले बाबा बनने का सफर ज्यादा पुराना नहीं है. महज 25 सालों में ही बाबा के आध्यात्म के बहाने चमत्कार की यात्रा ने लाखों भक्तों के बीच उन्हें भगवान विष्णु का स्वरूप बना दिया है.
1999 में बनाया पहला आश्रम
भोले बाबा ने अपना पहला आश्रम अपने जन्म स्थान के गांव बहादुर नगर पटियाली में वर्ष 1999 में बनाया. यह आश्रम इतना विशाल और बड़ा बनाया कि इसमें हजारों भक्तों के रुकने और सत्संग में शामिल होने के इंतजाम हैं. इसके बाद तो बाबा की कीर्ति बढ़ती गई और लोगों में बाबा हिट हो गए. अब तो भोलेबाबा के मैनपुरी, राजस्थान, मध्यप्रदेश व अन्य स्थानों पर आश्रम बने हुए हैं. उनके साथ रहने वाले सेवादारों ने जिस तरह आश्रमों को भव्यता से बनाया है और देखरेख कर रहे हैं, उससे आप बाबा के ताकतवर होने का अंदाजा लगा सकते हैं.
भोले बाबा का परिवार
साकार बाबा के परिवार में तीन भाई और तीन बहने हैं. बाबा के बड़े भाई भगवानदास की वर्ष 2016 में मौत हो चुकी है, जबकि छोटा भाई राकेश गांव में प्रधान रह चुका है. वह बाबा के साथ ही रहता है. बाबा ने अपने घर, मकान, आश्रम का एक ट्रस्ट बना दिया है. बाबा जहां सत्संग करते हैं, वहीं उनका प्रवास होता है.
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बाबा का गांव पड़ोसी-गांव के लोगों से रिश्ते नहीं
साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के नाम से मशहूर सूरज पाल ने अपने परिवार के लोगों से ही नहीं बल्कि अपने गांव और पड़ोसी गांव के लोगों से रिश्ते खत्म कर लिए थे. मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भोले बाबा के पड़ोसी गांव चिरौरा निवासी मुंह बोले भाई महेश भी इस घटना से बेहद आहत हैं. उनका कहना है कि सूरज पाल पहले सिपाही था, लेकिन वह अब सत्संग करने लगा है. इसकी जानकारी गांव के लोगों को बहुत बाद में हो पाई.
हाथरस भगदड़ में 123 श्रद्धालुओं की हुई मौत
हाथरस के सिकंदराराऊ में हुई भगदड़ में 123 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, जिनमें से 106 की पहचान यूपी के 17 जिलों के निवासियों के रूप में हुई है, जबकि छह देश के अलग अलग राज्यों के निवासी हैं. बाकी की पहचान के प्रयास जारी हैं.