Delhi News: कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि DGCA को धोखाधड़ी के संबंध में शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी और FIR भी दर्ज करनी चाहिए थी. इसके साथ ही, कोर्ट ने DGCA, MCA और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जांच की स्थिति पर अलग-अलग रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
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Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की. यह नाराजगी उस जनहित याचिका (PIL) के संदर्भ में सामने आई, जिसमें ड्रोन महासंघ ऑफ इंडिया (DFI) पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी किया.
मामले में FIR की आवश्यकता- कोर्ट
कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि DGCA को धोखाधड़ी के संबंध में शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी और FIR भी दर्ज करनी चाहिए थी. इसके साथ ही, कोर्ट ने DGCA, MCA और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जांच की स्थिति पर अलग-अलग रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
अगली सुनवाई की तारीख
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 19 मार्च 2025 निर्धारित की है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एक निजी संस्था कैसे खुद को सरकारी संगठन के रूप में प्रस्तुत कर सकती है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है.
शिकायत पर गंभीरता से करेंगे विचार
सुनवाई के दौरान, केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे शिकायत पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. MCA ने बताया कि उसे प्रस्तुत किए गए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) की प्रामाणिकता पर संदेह है और इस संबंध में DGCA को पत्र भेजा गया है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि एक निरीक्षण शुरू किया गया था, जो जांच में बदल गया.
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क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता RTI कार्यकर्ता तेज प्रताप सिंह के वकील पियो हेराल्ड जैमोन ने बताया कि ड्रोन महासंघ ऑफ इंडिया (DFI) ने कानूनी बाधाओं को पार करने के लिए एक NOC का फर्जी दस्तावेज तैयार किया. यह धोखाधड़ी का दस्तावेज MCA को प्रस्तुत किया गया, जिससे जनता को यह विश्वास दिलाया गया कि संगठन को सरकारी समर्थन प्राप्त है.
दुबई नागरिक उड्डयन प्राधिकरण का पत्र
प्रमाणित पायलटों ने इन प्रमाणपत्रों का उपयोग दुबई में आयोजित भारतीय प्रीमियर लीग के कवरेज के लिए किया था, दुबई नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (DCAA) के वरिष्ठ अधिकारी ने DGCA से इन प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए पत्र लिखा था.
DGCA की निष्क्रियता- जांच की कमी
हालांकि, DGCA ने कोई जांच शुरू नहीं की और DCAA के साथ सहयोग करने से भी परहेज किया. DFI ने न केवल जांच से बचने का प्रयास किया, बल्कि उत्तर प्रदेश के हिनदान में एयरफोर्स स्टेशन पर भारत ड्रोन शक्ति कार्यक्रम का आयोजन भी किया, जहां DFI ने बिना वैध लाइसेंस वाले पायलटों का उपयोग किया.
सरकारी सुरक्षा को खतरा
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह संस्था, नियामक प्राधिकरण से पत्र फर्जी बनाकर, न केवल भारत सरकार से संरक्षण का प्रयास कर रही है, बल्कि अपने कार्यों के लिए जवाबदेही से भी बच रही. याचिका में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता ने डीएफआई और अन्य प्रतिवादी फर्मों के खिलाफ जालसाजी, गलत बयानी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाते हुए संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज की. जांच न होने पर याचिकाकर्ता ने जंतर-मंतर पर धरना दिया. विरोध के दौरान याचिकाकर्ता को डीजीसीए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय दोनों से आश्वासन मिला कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाएगी.