दुर्लभ बीमारी के केस में निजी इस्तेमाल के लिए विदेश से दवा मंगाने पर नहीं लगेगी कस्टम ड्यूटी
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दुर्लभ बीमारी के केस में निजी इस्तेमाल के लिए विदेश से दवा मंगाने पर नहीं लगेगी कस्टम ड्यूटी

भारत में 7 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसी बीमारियों के शिकार हैं. ऐसी बीमारियों के इलाज के लिए लोग समय समय पर सोशल मीडिया पर मुहिम चलाते हैं. सरकार से मदद की गुहार भी लगाई जाती है, या फंड इकट्ठा करने के लिए संदेश भेजते हैं.  

दुर्लभ बीमारी के केस में निजी इस्तेमाल के लिए विदेश से दवा मंगाने पर नहीं लगेगी कस्टम ड्यूटी
दुर्लभ और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए गुरुवार को बड़ी राहत की खबर सामने आई है. वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर ऐसी दुर्लभ बीमारियों के इलाज की दवाओं और स्पेशल फूड पर पूरी तरह से कस्टम ड्यूटी को खत्म करने का फैसला लिया है जो राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत लिस्टेड हैं. इस सुविधा का फायदा उठाने के लिए किसी भी व्यक्ति को एक फार्म भरना होगा. जिसके आधार पर उसे केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन से एक सर्टिफिकेट मिलेगा.  
 
ऐसी बीमारी जो एक लाख में 100 से कम की आबादी पर पाई जाती हो, रेयर बीमारी की श्रेणी में आती है. Rare Disease India संस्था के मुताबिक भारत में 7 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसी बीमारियों के शिकार हैं. ऐसी बीमारियों के इलाज के लिए लोग समय समय पर सोशल मीडिया पर मुहिम चलाते हैं. सरकार से मदद की गुहार भी लगाई जाती है, या फंड इकट्ठा करने के लिए संदेश भेजते हैं.  
 
गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक अभी तक कुछ दवाओं पर आमतौर पर 10 या 5% सीमा शुल्क लग रहा था. सरकार पहले से दो बीमारियों स्पाइनलमस्कुलरएट्रोफीया ड्यूकेनमस्कुलरडिस्ट्रॉफी पर छूट दे रही थी लेकिन अब कई रेयर बीमारियां इस कैटेगरी में शामिल हो सकेंगी. कुल 51 बीमारियां इस लिस्ट में शामिल हैं. 
 
सरकार के मुताबिक 10 किलोग्राम के एक बच्चे को रेयर बीमारी होने की सूरत में उसे कई दवाओं पर 10 लाख से लेकर 1 करोड़ तक हर साल खर्च करना पड़ा रहा है और इलाज जीवन भर चलता है. 
 
इसके अलावा कैंसर की दवा पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है. 
 
बीमारियों के नाम – जिन पर नहीं लगेगी कस्टम ड्यूटी  
 
1. लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (Lysosomal Storage Disorders,LSDs) 
2. एड्रेनोल्यूकोडिस्ट्रॉफी (Adrenoleukodystrophy) 
3. सीवियर कंबाइंड इम्यूनोडेफिशिएंसी (Severe Combined Immunodeficiency, SCID) 
4. क्रॉनिक ग्रैन्युलोमेटेस डिजीज (Chronic Granulomatous disease) 
5. विस्कॉट एल्ड्रिच सिंड्रोम (Wiskot Aldrich Syndrome) 
6. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteopetrosis)
7. फैंकोनी एनीमिया
8. लारोन सिंड्रोम
9. टायरोसिनेमिया
10. ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज (GSD) I, III और IV
11. मेपल सिरप यूरिन डिजीज(MSUD) 
12. यूरिया साइकिल डिसऑर्डर 
13. ऑरगैनिक एसीडिमिया  
14. ऑटोसमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज 
15. ऑटोसमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
16. फेनिलकीटोनूरिया (PKU) 
17. नॉन-PKU हाइपरफेनिललेनिनेमिया
18. होमोसिसटिनुरिया 
19. यूरिया साइकिल एनजाइम डिफेक्ट्स
20. ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I-II 
21. मेथिलमलोनिक एसिडेमिया
22. प्रोपियोनिक एसिडेमिया 
23. आइसोवालेरिक एसिडेमिया  
24. ल्यूसीन सेंसिटिव हाइपोग्लाइसीमिया 
25. गैलेक्टोसिमिया 
26. ग्लूकोज-गैलेक्टोज मैलअब्जॉर्प्शन
27. गंभीर फूड प्रोटीन एलर्जी
28. ग्रोथ हार्मोन डेफिशियंसी
29. प्रैड़र-विली सिंड्रोम
30. टर्नर सिंड्रोम  
31. नूनन सिंड्रोम  
32. एसिडेमिया, माइटोकॉन्ड्रियल विकार
33. एक्यूट हेपेटिक पोरफाइरिया 
34. विल्सन रोग  
35. कंजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया 
36. मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (NoMID) 
37. गोशेर रोग  I और III 
38. हंटर सिंड्रोम: एमपीएस I
39.  हंटर सिंड्रोम: एमपीएस II 
40. पोम्पे रोग 
41. फेब्री रोग 
42. एमपीएस IVA 
43. एमपीएस VI 
44. सिस्टिक फाय्ब्रोसिस 
45. डचेन टाइप मस्कुलर डिस्ट्रॉफी 
46. स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी 
47. वोलमन रोग
48. हाइपोफोसफैटेसिया
49. न्यूरोनल सेरॉइड लिपोफसिनोसिस
50. हाइपोफॉस्फेटिक रिकेट्स
51. एटिपिकल हेमोलिटिक यूरीमिक सिंड्रोम

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