Chandrayaan 1 Mission: चांद पर तिरंगे की दिलचस्प कहानी, 15 साल पहले ही जब इसरो ने रच दिया था इतिहास
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Chandrayaan 1 Mission: चांद पर तिरंगे की दिलचस्प कहानी, 15 साल पहले ही जब इसरो ने रच दिया था इतिहास

Chandrayaan 1 mission: चंद्रयान 3, इसरो के मून मिशन का तीसरा चरण है. चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए विक्रम लैंडर पूरी तरह तैयार है. इन सबके बीच चंद्रयान-1 मिशन के बारे में भी समझना जरूरी है जब भारत की आन बान शान तिरंगा चांद पर स्थापित हो गया. 

Chandrayaan 1 Mission: चांद पर तिरंगे की दिलचस्प कहानी, 15 साल पहले ही जब इसरो ने रच दिया था इतिहास

Moon Impact Probe:  चांद की सतह के काफी करीब भारत का चंद्रयान-3 पहुंच चुका है. इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब होगा. हालांकि 19 अगस्त को एक बुरी खबर तब आई जब रूस का लूना-25 लैंडिंग से पहले चांद की सतह से टकरा गया. लूना-25 की नाकामी ने 2019 में चंद्रयान-2 की याद दिला दी लेकिन यहां हम एक ऐसे मिशन की बात करेंगे जब भारत नें 2008 में चंद्रयान मिशन को लांच किया था. उससे पहले तक चांद का रहस्य अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपियन मुल्क कामयाब रहे थे. भारत का चंद्रयान, चांद की सतह पर 2008 में तो नहीं उतरा लेकिन चांद तक तिरंगा पहुंचने में कामयाब हो गया था.

15 साल पहले चंद्रयान 1 मिशन

14 नवंबर 2008 वो दिन था. वैसे तो वातावरण में ठंड वे पांव पसार लिया था लेकिन इसरो के दफ्तर में सरगर्मी तेज थी, माहौल में गर्मी और उत्तेजना दोनों थी. उसके पीछे की वजह जान हैरान रह जाएंगे, इसरो ने स्पेसक्रॉफ्ट को गिराने का फैसला किया था. आठ दिन बाद यानी 22 नवंबर 2008 को अपने स्पेसक्रॉप्ट चांद की सतह पर गिराया. भारत के उस मून मिशन को चंद्रयान 1 नाम दिया गया. उस स्पेसक्रॉफ्ट ने चांद की सतह पर पानी की खोज की और ऐसा करने वाला पांचवां देश बन गया. इस स्पेसक्राफ्ट में 32 किग्रा का एक प्रोब था जिसे इसरो ने मून इंपैक्ट प्रोब का नाम दिया था.

17 नवंबर की रात में इसरो ने मून इंपैक्ट प्रोब को नष्ट करने का कमांड दिया था. जिस समय कमांड दिया गया उस वक्त यह प्रोब चांद की  सतह से 100 किमी की उंचाई पर चक्कर लगा रहा था. धीरे धीरे प्रोब चांद की कक्षा से निकल कर सतह पर पहुंचने की शुरुआत कर चुका था. प्रोब की रफ्तार को धीमा करने का काम इसरो के इंजीनियर सावधानी के साथ कर रहे थे. इस प्रोब के अंदर वीडियो इमेजिंग सिस्टम, एक रडार अल्टीमीटर और मास स्पेक्ट्रोमीटर थे जिसके जरिए चांद के सतह के बारे में जानकारी हासिल की जानी थी. चांद के करीब पहुंचते हुए प्रोब ने अपना काम करना शुरू कर दिया था हालांकि सतह के बेहद करीब मुसीबतों का सामना करना पड़ा और कठिन लैंडिंग हुई.

चांद की सतह पर तिरंगा

चांद की सतह पर प्रोब पहुंच तो गया लेकिन हादसे की वजह से दुनियाभर में यह संदेश गया कि भारत का पहला मून मिशन नाकाम रहा लेकिन बात ऐसी नहीं थी. चंद्रयान 3 में प्रोब की वजह से चांद के बारे में छोटी छोटी जानकारी मिली और उसका फायदा चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशन को हुआ. यही नहीं इस मिशन के जरिए यह भी पता चला कि चांद के बारे में जो कल्पना की गई चंद्रमा ठीक वैसा नहीं है, सबसे बड़ी बात यह रही कि प्रोब के उपर बना तिरंगा चांद पर स्थापित हो गया.

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