Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा की सीट से 500 के नोटों की गड्डी मिली थी, आज तक किसी सांसद ने नहीं कहा- मेरे हैं! छलका धनखड़ का दर्द
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Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा की सीट से 500 के नोटों की गड्डी मिली थी, आज तक किसी सांसद ने नहीं कहा- मेरे हैं! छलका धनखड़ का दर्द

Rajya Sabha 500 Rupee Notes: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एक बड़े मुद्दे पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि पिछले महीने राज्यसभा में 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिलने के बाद आज तक किसी सांसद ने यह दावा नहीं किया कि नोट उनके हैं.

Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा की सीट से 500 के नोटों की गड्डी मिली थी, आज तक किसी सांसद ने नहीं कहा- मेरे हैं! छलका धनखड़ का दर्द

Rajya Sabha 500 Rupee Notes: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एक बड़े मुद्दे पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि पिछले महीने राज्यसभा में 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिलने के बाद आज तक किसी सांसद ने यह दावा नहीं किया कि नोट उनके हैं. उन्होंने इसे "हमारे नैतिक मानदंडों के लिए एक सामूहिक चुनौती" बताया.

बीते साल 6 दिसंबर को सामने आया था मामला

यह मामला 6 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सामने आया था. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित सीट से 500 रुपये के नोटों की गड्डी बरामद हुई थी. इसके बाद सदन में काफी हंगामा हुआ और विपक्षी व सत्तारूढ़ दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला.

कांग्रेस नेता की मांग और सुरक्षा पर सवाल

इस घटना के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे "सुरक्षा चूक" करार दिया और मामले की जांच की मांग की. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सांसदों की सीटों को कांच के घेरे से सुरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि किसी की अनुपस्थिति में सीट पर कोई चीज न रखी जा सके.

धनखड़ का दर्द.. किसी ने दावा नहीं किया

जगदीप धनखड़ ने इस मुद्दे को "बहुत गंभीर" बताते हुए कहा कि किसी ने भी इन नोटों पर दावा नहीं किया. उन्होंने कहा, "जरूरत के कारण कोई नोट अपने पास रख सकता है, लेकिन इसे स्वीकार करना चाहिए. इस पर चुप्पी हमारे नैतिक मानकों पर सवाल खड़े करती है." धनखड़ ने यह भी कहा कि यह घटना उनके लिए व्यक्तिगत रूप से दुखदायी है. उन्होंने कहा, "मेरी पीड़ा की कल्पना कीजिए. एक महीने से ज्यादा समय हो गया, लेकिन कोई आगे नहीं आया."

राज्यसभा की आचार समिति पर टिप्पणी

उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा की आचार समिति का जिक्र करते हुए कहा कि यह लंबे समय तक सक्रिय नहीं थी. 1990 के दशक के आखिर में इसे पहली बार बनाया गया था, और अब यह काम कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा के सदस्यों की साख शानदार है और वे बड़े अनुभव और उपलब्धियों के धनी हैं. लेकिन उन्होंने अफसोस जताया कि जब निर्णायक कदम उठाने की बात आती है, तो सांसद अपनी पार्टियों के निर्देशों का पालन करते हैं.

पार्टी लाइन का पालन और हंगामे का मुद्दा

धनखड़ ने परोक्ष रूप से सांसदों के पार्टी लाइन का पालन करने पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि ज्यादातर सांसद सदन में हंगामे के खिलाफ हैं, लेकिन वे अपनी पार्टियों के निर्देश पर व्यवधान पैदा करते हैं. उन्होंने कहा, "राज्यसभा के सदस्य बड़े सम्मानित और जिम्मेदार हैं, लेकिन सदन में मुद्दे उठाने और व्यवधान पैदा करने के मामले में वे अपनी पार्टियों के निर्देशों का पालन करते हैं."

नैतिकता पर सवाल और सुधार की जरूरत

इस पूरे मामले ने राज्यसभा के सदस्यों की नैतिकता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े किए हैं. धनखड़ ने इसे एक सामूहिक चुनौती बताया और उम्मीद जताई कि सांसद इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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