Valmiki Tiger Reserve: वैसे तो दुनियाभर में पक्षियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 300 से अधिक प्रजातियों की पक्षीयां बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की शोभा बढ़ा रहे हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक वन्य जीवों को देखने के अलावा पक्षियों को भी देखने की हसरत लेकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पहुंचते हैं. इन पक्षियों में ऐसा ही एक पक्षी है जिसे भारत में भाग्य का प्रतीक माना जाता है. बताया जा रहा है कि आम बोलचाल की भाषा में इसे धनेश पक्षी कहते हैं. पौराणिक मान्यता है कि धनेश पक्षी के दर्शन से धन का आगमन होता है और इंसान के भाग्य खुल जाते हैं. इस चिड़िया की और भी कई खासियतें हैं जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे, चलिए हम आपको धनेश पक्षी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताते हैं...
बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में रहने वाली धनेश पक्षी इंसान की तरह अपने बच्चों का डायपर बदलती है. सुनने में ये आपको अजीब लगेगा लेकिन यह सच है.
नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक की माने तो हॉर्नबिल काफी हाइजीन तरीके से रहना पसंद करती है.
अभिषेक बताते हैं कि हॉर्नबिल पक्षी पेड़ों को खोदकर अपना घोंसला बनाते हैं और उसके भीतर अंडा देते हैं.
जब अंडों से चूजे निकलते हैं तो नर हॉर्नबिल पत्ते चुन कर लाता है और घोंसले में रखता है. इस दौरान जब बच्चे पॉटी करते हैं यानी मल मूत्र त्यागते हैं, तो घोंसले में रखे पत्ते गंदे हो जाते हैं. जिसके बाद मादा हॉर्नबिल उन पत्तों को निकाल कर बाहर फेंक देती है और फिर नए पत्तों का बिस्तर बिछा देते हैं.
यह पूरी प्रक्रिया इंसान द्वारा अपने बच्चों का डायपर बदलने से मेल खाती है. लिहाजा हॉर्नबिल को डायपर बदलने वाला पक्षी भी कहा जाता है.
बता दें कि नेपाल सीमा पर नारायणी गंडक नदी तट स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में कई दुर्लभ पक्षियों का बसेरा है. वहीं, यहां कई ऐसे भी जीव-जंतु और सांपों की प्रजाति हैं, जो विरले ही देखने को मिलती है.
कृति की गोद में हिमालय की तराई से सटे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की खूबसूरती के साथ-साथ यहां के नजारों को रमणीय और दर्शनीय बनाने में जीव-जंतुओं का अहम किरदार है, तभी तो हर साल पर्यटन सत्र में देश-विदेश से लाखों सैलानी और श्रद्धालु यहां एडवेंचर का मजा लेने पहुंचते हैं. (इनपुट - इमरान अजीज)
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