Dr. Sanjay Jaiswal Vs Garima Devi Sikariya: एक दिन पहले पश्चिम चंपारण के सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने नगर निगम की बैठक को लेकर मेयर गरिमा देवी सिकारिया पर आरोपों की बौछार की थी. अब मेयर गरिमा देवी सिकारिया ने भी सांसद के खिलाफ तमाम आरोप लगाए हैं. देखना है दोनों के बीच छिड़ी सियासी रार किस मुकाम तक जाती है.
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बेतिया: नगर निगम बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक के बाद उठा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक दिन पहले सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने मीडिया में अपना पक्ष रखा तो अब गुरुवार को बेतिया की मेयर गरिमा देवी सिकारिया ने सांसद के बयानों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. मेयर गरिमा देवी सिकारिया ने आरोप लगाया है कि सांसद महोदय के प्रतिनिधि बोर्ड की बैठक में क्या कर रहे थे और उनके दो निजी स्टाफ बोर्ड की बैठक में मेयर के आसन के ठीक पीछे खड़े होकर वीडियो बना रहे थे. उन्होंने पूछा कि क्या ऐसा करना नियमसंगत है? गरिमा देवी सिकारिया ने कहा, सांसद महोदय महिला आरक्षण का ढिंढोरा पीट रहे हैं, लेकिन उन्हें याद नहीं आया कि उसी आरक्षण के तहत चुनी गई मैं एक मेयर हूं और मेरी भी मर्यादा है. सिकारिया ने यह भी कहा, 'माननीय सांसद की ओर से वैधानिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने शिकायत मैं अपने विभाग, संबंधित मंत्रालय के अलावा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से करके न्याय की गुहार लगाउंगी.'
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मेयर सिकारिया ने बताया, 'सांसद महोदय कुछ पार्षदों के परिजनों की बोर्ड बैठक में मौजूदगी पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि हमारे नगर निगम बोर्ड के सदस्य के रूप में निर्वाचित कुछ पार्षद निरक्षर भी हैं और कुछ साक्षर भी. ऐसे करीब आधे दर्जन से भी ज्यादा सदस्य हैं. कई महिला काफ़ी वृद्ध हैं. कुछ अतिवृद्ध महिला पार्षद के परिजन उनके देखभाल एवं विधाई कार्यों की चर्चा दर्शक दीर्घा में बैठकर देखने आते हैं. नगर निगम बोर्ड में पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए ऐसे कुछेक पार्षदों के परिजनों का आवेदन स्वीकार करना पड़ता है. इसको अवैध बताना इन महिलाओं का अपमान करने जैसा है.'
मेयर ने कहा, 'विभागीय आदेश में जब इसकी कोई मनाही नहीं है, तो इसे अवैध बताना केवल अपनी राजनीति चमकाने से ज्यादा कुछ भी नहीं है.' उन्होंने कहा कि इसके बाद भी मैं बताना चाहती हूं कि विभाग के नियम के विपरीत नगर निगम बोर्ड की बैठक में शुरू से आखिरी तक अपने प्रतिनिधि विभय चौबे को किस नियम के तहत बोर्ड की बैठक में भेजा गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद महोदय के पर्सनल असिस्टेंट और बॉडीगार्ड मेयर की कुर्सी के ठीक पीछे खड़े होकर लगातार वीडियो बनाते रहे.
मेयर ने यह भी बताया कि काफी देर तक हंगामा कर सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा कर रहे एक पार्षद एनामुल हक को बाहर जाने का आदेश दिया गया तो कहा जा रहा है कि ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. यह महापौर को अपने वैधानिक अधिकार का हनन और दायित्व का निर्वहन करने से रोकना नहीं है तो क्या है? मेयर ने आरोप लगाया कि 'वोटिंग कुछ नहीं होता है' कहकर नगर निगम के पार्षदों और बिहार प्रशासनिक सेवा के वरीय अधिकारी और नगर आयुक्त जैसे बड़े व वैधानिक महत्व के पद पर आसीन व्यक्ति को बार—बार लज्जित करना अपने पद की मर्यादा भंग करना नहीं है तो क्या है?
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महापौर सिकारिया ने बताया कि कोई भी पीठासीन पदाधिकारी उस सदन का सर्वोच्च होता है. महापौर को सदन के अंदर बोलने से बार—बार रोकना हमारी भाजपा जैसी राजनीतिक दल के लोकसभा में सचेतक जैसे पद को सुशोभित कर रहे राजनीतिज्ञ के लिए अशोभनीय व्यवहार करने जैसा है. महापौर ने कहा कि ऐसा व्यवहार बिहार नगर पालिका अधिनियम, नगर निगम के सभी पार्षदों के साथ बेतिया नगर निगम क्षेत्र के लाखों जनता जनार्दन का भी अपमान है.
धनंजय द्विवेदी की रिपोर्ट