Jharkhand News: ठंड विदा होने को आई तो झारखंड में बंट रहे सरकारी कंबल, उसमें भी गड़बड़झाला
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Jharkhand News: ठंड विदा होने को आई तो झारखंड में बंट रहे सरकारी कंबल, उसमें भी गड़बड़झाला

 Jharkhand News: झारखंड में जब ठंड खत्म होने को है तो राज्यभर में जरूरतमंदों के बीच कंबलों का वितरण किया जा रहा है. वहीं इन कंबलों की क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं.

झारखंड में बंट रहे सरकारी कंबल

रांची: झारखंड में सरकार की ओर से सभी 24 जिलों में जरूरतमंदों के बीच कंबलों का वितरण तब शुरू हुआ, जब ठंड के मौसम की विदाई करीब आ गई है. बांटे जा रहे कंबलों की सप्लाई से लेकर क्वालिटी में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं. झारखंड सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के सभी 24 जिलों में करीब 30 करोड़ की लागत से 9,20,245 (नौ लाख बीस हजार दो सौ पैंतालीस) कंबलों की खरीद का फैसला लिया. इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद हरियाणा के पानीपत की कंपनी ओम शक्ति टेक्सटाइल्स और धनबाद के बिहारी लाल चौधरी ट्रेड लिंक प्राइवेट लिमिटेड को कंबलों का ऑर्डर दिया गया. इन कंपनियों को कंबलों की सप्लाई के लिए 11 जनवरी की आखिरी तारीख तय की गई थी. कई जिलों में अंतिम तारीख के बाद भी सप्लाई का सिलसिला जारी है.

टेंडर की शर्तों को अनुसार आपूर्ति किए जाने वाले कंबल हैंडलूम में निर्मित होने चाहिए, लेकिन विभिन्न जिलों में पावरलूम निर्मित कंबल बांटे जा रहे हैं. सप्लाई ऑर्डर में यह भी कहा गया है कि कंबल में 70 प्रतिशत ऊन और 30 प्रतिशत सिंथेटिक धागा होना चाहिए. इस कसौटी पर भी कंबल खरे नहीं उतर पा रहे हैं. अधिकांश कंबलों में ऊन की मात्रा 35 से 40 प्रतिशत के बीच होने की शिकायत मिल रही है. तय मापदंड के मुताबिक धुलाई के बाद कंबल का वजन न्यूनतम दो किलोग्राम होना चाहिए, लेकिन कई जिलों में पाया गया है कि धुलने के बाद कंबल का वजन 1596 से 1662 ग्राम ही है.

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने ऐसी गड़बड़ियों को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गुरुवार को एक पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि गुणवत्ता में सुधार के लिहाज से एक कंबल का मूल्य पूर्व वर्ष के मूल्य से 75 से 100 रुपये अधिक रखा गया है. इसके बावजूद आपूर्तिकर्ताओं ने टेंडर की शर्तों का अनुपालन नहीं किया है. राय ने कहा कि आपूर्तिकर्ताओं की ओर से दो तरह के कंबलों की आपूर्ति की जा रही है. करीब 10 प्रतिशत कंबल ऐसे हैं, जो टेंडर की शर्तों के अनुरूप हैं, जबकि 90 प्रतिशत कंबलों की क्वालिटी खराब है. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि जांच होने पर इन्हीं 10 प्रतिशत कंबलों के नमूने के आधार पर पेश किया जाए. उन्होंने मुख्यमंत्री से पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है.

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राज्य के सामाजिक सुरक्षा विभाग की निदेशक समीरा एस ने कहा है कि कंबलों की क्वालिटी टेंडर की शर्तों के अनुरूप हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उपायुक्तों को जांच कराने का आदेश दिया गया है. अगर आपूर्ति किए गए कंबल तय क्वालिटी के नहीं पाए गए, तो उन्हें वापस किया जाएगा.

इनपुट- आईएएनएस

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