Gandhi Jayanti 2022 : विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य को पसंद करते थे महात्मा गांधी, ऐसा था झारखंड से उनका लगाव
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Gandhi Jayanti 2022 : विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य को पसंद करते थे महात्मा गांधी, ऐसा था झारखंड से उनका लगाव

Gandhi Jayanti 2022 :आज गांधी जयंती है. देश गांधी जी की 153 वीं जन्म जयंती मना रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे गांधी जी का लगाव झारखंड से कैसे था. क्यों बापू को झारखंड पसंद आया था.

(फाइल फोटो)

पटना : Gandhi Jayanti 2022 :आज गांधी जयंती है. देश गांधी जी की 153 वीं जन्म जयंती मना रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे गांधी जी का लगाव झारखंड से कैसे था. क्यों बापू को झारखंड पसंद आया था. बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को झारखंड के सरायकेला का विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य काफी पसंद था. 

गांधी जी के छऊ नृत्य देखने का जिक्र है इन किताबों में 
आजादी से पहले सरायकेला में गांधी जी ने छऊ नृत्य देखा था और वह मंत्रमुग्ध हो गए थे. उन्होंने इस नृत्य की जमकर प्रशंसा की थी. गांधी जी के बारे में इस पूरी घटना का जिक्र पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुस्तक इटालियन इंडिया व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की पुस्तक में मिलता है. बता दें कि सरायकेला में गांधी जी ने 1937 में छऊ नृत्य देखा था.    

छऊ नृत्य बापू ने कोलकाता में देखा था
बता दें कि बात 1937 की है. गांधी जी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन के क्रम में कोलकाता पहुंचे थे. यहां वह शरत चंद्र बोस के घर पर ठहरे हुए थे. वहीं सरायकेला राजघराने की अगुवायी में छऊ नृत्य कार्यक्रम आयोजित हुआ था. जो गांधी जी को खूब पसंद आया था.

इस नृत्य को देखकर भाव-विभोर हो गए थे बापू 
बता दें कि गांधी जी के सामने सरायकेला राजघराने की अगुवायी में छऊ नृत्य का जो कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था उसमें राधा-कृष्ण के नृत्य को दिखाया गया था जिसे देखकर बापू भाव-विभोर हो गये थे. उस नृत्य को देखने के बाद भाव-विभोर गांधी जी ने कहा था कि ऐसा लग रहा था कि मानो मैं वृंदावन में हूं और मेरे सामने राधा-कृष्ण नृत्य कर रहे हों. 

चाईबासा भी आये थे गांधी जी
वहीं गांधी जी 1925 में चाईबासा भी आए थे. यहां चाईबासा की गौशाला में उन्होंने कुछ वक्त गुजारा था. यहां की गौशाला में बारसी दास पसारी अध्यक्ष थे. गायों की सेवा के प्रति उनका भाव देखकर गांधी जी गदगद हो गए थे और उनकी पीठ थपथपाई थी. गांधी जी ने गौशाला की डायरी में अपनी तरफ से शुभ संदेश भी लिखा था और हस्ताक्षर किये थे, जो आज भी दर्ज है. यहां गांधी जी ने खजूर के पत्ते से बनी चटाई पर बैठ कर गाय का दूध पीया था और मिट्टी की हांडी में बनी चाय भी पी थी.

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