Prashant Kishor: पटना जिला प्रशासन ने जारी विज्ञप्ति द्वारा बताया कि पीके को 25 हजार के मुचलके पर रिहा किया गया. विज्ञप्ति के मुताबिक प्रशांत किशोर को बेउर जेल नहीं ले जाया गया. कोर्ट की भीड़ के कारण हटाकर बेउर ले जाया गया था.
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पटनाः Prashant Kishor: पटना जिला प्रशासन ने जारी विज्ञप्ति द्वारा बताया कि पीके को 25 हजार के मुचलके पर रिहा किया गया. विज्ञप्ति के मुताबिक प्रशांत किशोर को बेउर जेल नहीं ले जाया गया. कोर्ट की भीड़ के कारण हटाकर बेउर ले जाया गया था.
जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर एवं कुछ अन्य लोगों के द्वारा अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर प्रतिबंधित क्षेत्र गांधी मैदान के गांधी मूर्ति के समक्ष अवैध ढंग से धरना दिया जा रहा था. प्रशासन द्वारा वहाँ से हटकर धरना के लिए निर्धारित स्थल गर्दनीबाग में जाने के लिए नोटिस दिया गया था. प्रतिबंधित क्षेत्र में गैरकानूनी ढंग से धरना देने के कारण गांधी मैदान थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अनेक बार आग्रह करने तथा पर्याप्त समय देने के बाद भी स्थल ख़ाली नहीं किया गया. अतः दिनांक 06.01.2025 को सुबह में उन्हें गिरफ्तार करते हुए उनके 44 समर्थकों को भी निरुद्ध किया गया था.
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स्वास्थ्य जांच की विहित प्रक्रिया के बाद उन्हें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया. स्वास्थ्य जांच के लिए सर्वप्रथम पटना एम्स ले जाया गया, परंतु आरोपी द्वारा सहयोग नहीं किया गया. पुनः उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने का प्रयास किया जा रहा था, परंतु 12 गाड़ियों के साथ उनके 23 समर्थकों द्वारा लगातार पीछा करते हुए व्यवधान डाला जा रहा था. जिसके कारण विलंब होने लगा. अंततः उक्त गाड़ियों और समर्थकों को पिपलावा थाना अंतर्गत रोक कर कार्य में बाधा डालने के आरोप में निरुद्ध किया गया. तत्पश्चात् आरोपी को फतुहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया.
फतुहा स्वास्थ्य केंद्र पर भी आरोपी द्वारा सहयोग नहीं करने पर प्रावधान के अनुसार उनकी असहमति को रिकॉर्ड करते हुए उपस्थित डॉक्टर द्वारा उनका स्वास्थ्य जांच प्रतिवेदन दिया गया. इसमें डॉक्टर पर फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट देने या गलत जांच प्रतिवेदन देने के लिए दबाव बनाने का प्रश्न ही नहीं है. क्योंकि कोर्ट में पेशी के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती है, मात्र स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट की जरूरत होती है जिसमें आरोपी स्वस्थ भी हो सकता है अथवा अस्वस्थ भी हो सकता है. इसके अतिरिक्त जांच करने वाली डॉक्टर ने भी स्वास्थ्य जांच के बिंदु पर पुलिस द्वारा किसी प्रकार का दबाव डालने के आरोप का खंडन किया है और विहित प्रक्रिया के तहत जांच करने की बात कही है. इस प्रकार का आरोप सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने की मंशा को दर्शाता है.
कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी के ही विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा मीडिया कैमरा के सामने बताया गया कि कोर्ट ने 25000 रुपये के बॉन्ड पर सशर्त जमानत दी है, परंतु आरोपी ने शर्तों का विरोध करते हुए बॉण्ड भरने से इंकार कर दिया है. समझाने पर भी समझने को तैयार नहीं है, अतः जेल जाना पड़ सकता है. सुनवाई के उपरांत आरोपी के समर्थकों द्वारा सिविल कोर्ट में जमावड़ा की अव्यवस्था उत्पन्न करने के कारण अन्य फरियादियों, गवाहों, न्यायालयों को काफी दिक्कत होने लगी तथा कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था भी खतरे में आ गई. अतः आरोपी को कोर्ट परिसर से हटाकर बेऊर ले जाया गया और वहाँ कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा की गई. शाम को कोर्ट का आदेश प्राप्त होने तथा आरोपी द्वारा 25000 रुपये का बांड भरने पर विहित प्रक्रिया के तहत जमानत पर रिहा किया गया.
प्रशासन द्वारा संपूर्ण कार्रवाई गांधी मैदान के गांधी मूर्ति पार्क को अवैध ढंग से किए जा रहे धरना से मुक्त कराने और कानून के शासन को स्थापित करने के उद्देश्य से की गई. जिसमें किसी के प्रति किसी प्रकार का पूर्वाग्रह नहीं था. कोर्ट के आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि उक्त स्थल पर धरना देना गैरकानूनी नहीं है. गांधी मूर्ति पार्क धरना स्थल नहीं है, अतः वहाँ धरना देना सदैव गैरकानूनी है. इस प्रकार का प्रयास करने वालों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई निश्चित रूप से की जायेगी.
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