Kameshwar Chaupal: राम मंदिर आंदोलन को कामेश्वर चौपाल ने दी नई धार, जानें कैसे गांव-गांव को इससे जोड़ दिया था
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Kameshwar Chaupal: राम मंदिर आंदोलन को कामेश्वर चौपाल ने दी नई धार, जानें कैसे गांव-गांव को इससे जोड़ दिया था

Kameshwar Chaupal News: 'एक रोटी खाएंगे, लेकिन राम मंदिर बनाएंगे' नारा कामेश्वर चौपाल ने ही दिया था. 9 नवंबर 1889 में राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी.

कामेश्वर चौपाल

Kameshwar Chaupal Special: बिहार बीजेपी के बड़े नेता और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल का आज (शुक्रवार, 7 फरवरी) को निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक, कामेश्वर का निधन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में हुआ. वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. कामेश्वर चौपाल ने छात्र जीवन से ही आरएसएस ज्वाइन कर ली थी. जानकारी के अनुसार, उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता हुआ करते थे. संघ से जुड़े उसी अध्यापक की मदद से कामेश्वर को कॉलेज में दाखिला मिला था. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे संघ के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो चुके थे. इसके बाद उन्हें मधुबनी जिले का जिला प्रचारक बना दिया गया था.

राम मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक अयोध्या से उनका गहरा लगाव रहा है. उन्होंने ही 'एक रोटी खाएंगे, लेकिन राम मंदिर बनाएंगे' नारा दिया था. 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में कामेश्वर चौपाल ने ही पहली ईंट रखी थी. कामेश्वर चौपाल वहां विश्व हिंदू परिषद के बिहार के सह संगठन मंत्री के नाते अयोध्या में मौजूद थे. तब पहले से तय किए गए फैसलों के मुताबिक धर्मगुरुओं ने कामेश्वर चौपाल को शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने को कहा था.  उन्हें इस बात की जानकारी थी कि धर्मगुरुओं ने किसी दलित से ईंट रखवाने का फैसला लिया है. लेकिन वे खुद होंगे, यह उन्हें पता नहीं था.

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शिलान्यास कार्यक्रम में ईंट रखने के बाद से कामेश्वर चौपाल का नाम पूरे देश में छा गया था. राम मंदिर के उद्घाटन समारोह और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में भी उन्हें निमंत्रित किया गया था. संघ ने कामेश्वर चौपाल को पहला कार सेवक का दर्जा दिया था. कामेश्वर चौपाल राजनीति में भी लंबे समय तक सक्रिय रहे. 2004 से लेकर 2014 तक वो एमएलसी रह चुके हैं. इस दौरान कई बार उन्होंने चुनाव भी लड़ा लेकिन खास सफलता नहीं मिल पाई. उन्होंने एक बार बिहार के दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

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