राजद की इफ्तार पार्टी में जाकर सियासी तौर पर चिराग पासवान ने एक संदेश तो साफ दे दिया कि आज की तारीख में भी नीतीश कुमार से उनकी उसी तरह की दूरी है, जैसे पहले थी.
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Bihar Iftar Party Politics: लालू यादव की पार्टी आरजेडी की ओर से रविवार (9 अप्रैल) को राबड़ी आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया. इस दावत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा महागठबंधन में शामिल कई दलों के नेता शामिल हुए. बीजेपी ने एक बार फिर से इफ्तारी से दूरी बनाकर रखी, लेकिन इस दावत में मोदी के हनुमान यानी लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने पहुंचकर सभी को चौंका दिया. इससे पहले सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में चिराग ने बीजेपी की राह पर चलते हुए इससे दूरी बनाकर रखी थी.
राबड़ी आवास पर जब चिराग का तेजस्वी ने बड़ी ही गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. दावत में सीएम नीतीश कुमार पहले से मौजूद थे. चिराग ने हमेशा की तरह नीतीश कुमार के पैर छुए और कुछ बातचीत की. इस कार्यक्रम के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मैं नीतीश कुमार की नीतियों का विरोध करता हूं, व्यक्ति विशेष से मेरा कोई लेनादेना नहीं है.
चिराग-तेजस्वी के समर्थक काफी खुश
राबड़ी आवास के बाहर चिराग और तेजस्वी के समर्थकों ने चिराग-तेजस्वी जिंदाबाद और बीजेपी को बाहर करने की नारे लगाए. इस नारेबाजी पर चिराग ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. वहीं, इससे पहले तक चिराग का झुकाव हमेशा बीजेपी के लिए देखने को मिलता था. वह खुले मंचों से पीएम मोदी की तारीफ करते थे. अब वह तेजस्वी यादव के साथ दोस्ती की नई इबारत लिखते दिखाई दे रहे हैं. इससे बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है.
फिर शुरू हुई इफ्तार पॉलिटिक्स
इस नजारे को देखकर लगता है कि बिहार में एक बार फिर से इफ्तार पार्टी वाली पॉलिटिक्स की शुरुआत हो चुकी है. बीते साल भी ऐसे ही इफ्तार पार्टियों के आयोजन किए गए थे और इसके बाद प्रदेश की राजनीति में पूरे 380 डिग्री का परिवर्तन हो गया था. बीजेपी के साथ सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने अचानक पाला बदल लिया था और महागठबंधन का दामन थाम लिया था. बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका था. क्या एक साल बाद फिर से बिहार में नई दोस्ती की कहानी लिखी जा रही है.
अपनी सोच को बदलेगी बीजेपी?
राजनीतिक जानकार इसे दबाव वाली पॉलिटिक्स बता रहे हैं. उनका कहना है कि तेजस्वी के साथ चिराग की मुलाकात से बीजेपी अपनी रणनीति पर एक बार फिर से विचार कर सकती है और अकेले लड़ने की जगह गठबंधन को मजबूत करने पर ध्यान दे सकती है. यदि ऐसा हुआ तो निश्चित ही चिराग पासवान को एनडीए में शामिल करने की कोशिश की जाएगी. हालांकि आगे क्या होगा ये भविष्य की गर्त में छिपा है, लेकिन मौजूदा हालात बड़े दिलचस्प नजर आ रहे हैं.