Big Jolt to Pashupati Kumar Paras: याद कीजिए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी चिराग पासवान को बड़ा झटका दिया था. पूरी पार्टी खंड खंड हो गई थी और चिराग पासवान के पास पिता के विरासत के सिवा कुछ न बचा था. अब पशुपति कुमार पारस को झटका देने की तैयारी है.
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मकर संक्रांति के दिन ही यह तय हो गया था कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस अब ज्यादा दिन एनडीए में नहीं रहेंगे. पशुपति कुमार पारस ने मकर संक्रांति के दिन एनडीए नेताओं को नहीं, बल्कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दही चूड़ा भोज दिया था. विधानसभा चुनाव में भी पशुपति कुमार पारस की पार्टी महागठबंधन के घटक दल के रूप में चुनाव लड़ सकती है, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसा करने के साथ ही पशुपति कुमार पारस एनडीए को झटका देने की तैयारी में जुटे थे, लेकिन अब जो खबर आ रही है, उसकी मानें तो पशुपति कुमार पारस खुद ही गच्चा खा सकते हैं. उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद चंदन कुमार अब जेडीयू में शामिल हो सकते हैं.
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चंदन सिंह राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे. अब वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि मंगलवार, 25 फरवरी को चंदन सिंह जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में बाकायदा पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा उन्हें पार्टी में शामिल कराएंगे. इस मौके पर एमएलसी नीरज कुमार भी मौजूद रहेंगे.
चंदन सिंह का कहना है कि पिछले 20 सालों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को बदलने का काम किया है और प्रगति के रास्ते पर लेकर आए हैं. बिहार का अवाम उनसे प्रभावित है और वे भी प्रभावित होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि चंदन सिंह को प्रदेश प्रवक्ता पद की जिम्मेदारी मिल सकती है. जेडीयू ने उन्हें ऐसा आश्वासन दिया है. उनका यह भी कहना है कि जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे बखूबी निभाने की कोशिश करेंगे.
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राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी छोड़ने के पीछे चंदन सिंह ने कारण बताते हुए कहा, हम पहले चिराग पासवान के साथ थे और उस समय पशुपति कुमार पारस का बिहार के विकास के प्रति अच्छा स्टैंड था, लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस का नजरिया बदला है और वह रास्ते से भटक गए हैं. पहले वह पीएम मोदी और एनडीए का गुणगान करते थे और अब वह लालू प्रसाद यादव और राजद के करीब होते जा रहे हैं.