Bihar News: अंचल अधिकारियों को अपने-अपने इलाके के घाटों पर हर समय लाइफ जैकेट, नाव और गोताखोरों के साथ तैयार रहने को कहा गया है. इसका मकसद यह है कि कोई भी अनहोनी न हो और सभी लोग सुरक्षित रहें. हालांकि, प्रशासन के इस फैसले से कई लोग असुविधा महसूस कर रहे हैं.
Trending Photos
पटना: पटना जिला प्रशासन ने मकर संक्रांति के अवसर पर 14 और 15 जनवरी को नदियों में नावों के परिचालन पर सख्त प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है. यह प्रतिबंध केवल सरकारी कार्यों में लगे नावों पर लागू नहीं होगा. प्रशासन का यह कदम घाटों पर संभावित भीड़ और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के मद्देनजर उठाया गया है. पटना डीएम ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए. भीड़ प्रबंधन सुरक्षा और विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने दंडाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, विशेष मोबाइल टीमों और रिवर पेट्रोलिंग टीमों को विभिन्न घाटों पर तैनात किया है. घाटों को कई सेक्टरों में विभाजित कर प्रत्येक सेक्टर में दो मोटर बोट, गोताखोरों की टीम और अन्य आवश्यक संसाधन तैनात किए गए हैं. इसके साथ ही 8 एसडीआरएफ टीमों को भी तैयार रखा गया है.
अंचल अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र के घाटों पर लाइफ जैकेट, नावों और गोताखोरों के साथ हर समय सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है. इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई अप्रिय घटना न हो और सभी लोग सुरक्षित रहें. हालांकि, प्रशासन के इस फैसले से बड़ी संख्या में लोग असहज महसूस कर रहे हैं. पटना और इसके आसपास के दियार क्षेत्रों से प्रतिदिन हजारों लोग नावों के जरिए पटना आते हैं. इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सब्जी, सामान खरीदने या अन्य कार्यों के लिए यात्रा करते हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस प्रतिबंध से उनकी दिनचर्या प्रभावित होगी. यहां कोई पुल नहीं है, जिससे हम आसानी से पटना जा सकें. ऐसे में नाव ही एकमात्र साधन है. दो दिन तक नाव बंद होने से हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया. लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि वे इस प्रतिबंध पर पुनर्विचार करें या ऐसे वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराएं जिससे उनकी यात्रा में बाधा न हो.
प्रशासन की इस कार्रवाई का उद्देश्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन स्थानीय निवासियों की नाराजगी इस बात को स्पष्ट करती है कि इस फैसले के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर ध्यान देने की जरूरत है. मकर संक्रांति जैसे बड़े त्योहार पर प्रशासन और जनता के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है.
इनपुट- निषेद कुमार
ये भी पढ़िए- क्या है PESA कानून? जिसको लेकर रघुवर दास ने हेमंत सरकार को घेरा