शिक्षित युवा स्टार्टअप के तहत नया कांसेप्ट ला रहे हैं, जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं. परंपरागत चाय की दुकानों से हटकर युवा यहां चाय की दुकानों को एक नया रंग-रूप दे रहे हैं और बेहद अच्छी कमाई कर रहे हैं.
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Patna: कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई काम छोटा नहीं लगता. इसी के तहत पटना में इन दिनों चाय की चुस्की लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी है. जिस वजह से यहां स्टार्टअप चाय दुकान की संख्या भी बढ़ी है. शिक्षित युवा स्टार्टअप के तहत नया कांसेप्ट ला रहे हैं, जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं. परंपरागत चाय की दुकानों से हटकर युवा यहां चाय की दुकानों को एक नया रंग-रूप दे रहे हैं और बेहद अच्छी कमाई कर रहे हैं.
इन चाय की दुकानों पर आने वाले ग्राहकों ने भी ऐसे युवाओं की सराहना की है. उनका कहना है कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है और जिस तरीके से पटना के युवा स्वरोजगार में जुटे हुए हैं, यह इंस्पिरेशनल होने के साथ-साथ बिहार के विकास में भी गति प्रदान करेगा.
30-40 हजार का इंवेस्टमेंट, लाखों की कमाई
बता दें कि स्टार्टअप के तहत खुलने वाली इन चाय की दुकानों में 30 से 40 हजार रुपए निवेश होते हैं, लेकिन महज दो से तीन महीने में अच्छा मुनाफा शुरू हो जाता है. यहां आपको 10, 20 और 30 रुपए में अलग-अलग फ्लेवर की चाय मिलेगी, जिसमें आपको सिर्फ क्वालिटी का ध्यान रखना है और ग्राहक खुद-ब-खुद आपके पास आना शुरू हो जाते हैं. जैसे ही इलाके में आपकी क्वालिटी की चर्चा शुरू होने लगती है, वैसे ही आसपास की दुकानों और दफ्तरों से भी आपको ऑर्डर मिलना शुरू हो जाता और कुछ ही दिन में 45 से 50 हजार रुपए का मुनाफा शुरू हो जाता है.
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पढ़े-लिखे युवा खोल रहे चाय की दुकान
पटना में चाय के शौकीनों की संख्या बढ़ी है और उसका सबसे बड़ा कारण है चाय की दुकानों का बदला हुआ स्वरूप और इन दुकानों पर आने वाला क्राउड. चाय अड्डा, एमबीए चाय वाला और बेवफा चाय दुकानों पर आजकल युवाओं की भीड़ खूब उमड़ती है. यहां कुल्हड़ और तंदूरी चाय की चुस्कियों का आनंद उठाने के लिए बड़ी संख्या में युवाओं की टोली पहुंचती है, जहां उन्हें मनोरंजन से लेकर करेंट अफेयर्स सब बातों पर चर्चा करने का मौका मिलता है.
लिहाजा ये दुकान युवाओं की पहली पसंद बन चुकी है, इन दुकानों को चलाने वाला युवा भी बेहद पढ़ा लिखा है. कोई एमबीए है तो कोई कॉमर्स ग्रेजुएट तो कोई केमिस्ट्री ऑनर्स जिनका कहना है कि बहुत कम समय में चाय दुकानों से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी है और जब जमाना स्टार्टअप का हो और भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो तो फिर चाय दुकान शुरू करने में परहेज कैसा.