Maa Mundeshwari Devi: बिहार के कैमूर जिले के मां मुंडेश्वरी धाम में ऐसी बलि प्रथा होती है कि उसके आगे विज्ञान भी फेल हो जा रहा है. यहां बकरे को काटा नहीं जाता है बल्कि अक्षत फूल मारने से वह मूर्छित हो जाता है, मानो उसके अंदर प्राण है ही नहीं.
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कैमूरः Maa Mundeshwari Devi: बिहार के कैमूर जिले के मां मुंडेश्वरी धाम में ऐसी बलि प्रथा होती है कि उसके आगे विज्ञान भी फेल हो जा रहा है. यहां बकरे को काटा नहीं जाता है बल्कि अक्षत फूल मारने से वह मूर्छित हो जाता है, मानो उसके अंदर प्राण है ही नहीं. मां यहां पर अहिंसक बलि स्वीकार करती हैं.
मां मुंडेश्वरी धाम बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड के पवरा पहाड़ी पर स्थित है जो 600 फीट ऊंचे पहाड़ के ऊपर अष्ट कोणीय रूप में मां मुंडेश्वरी का मंदिर है. यहां पर लोग मन्नत मांगने आते हैं. जब मन्नत पूरी हो जाती है तो बकरे को चढ़ाया जाता है. ऐसी अनोखी बलि पूरे विश्व में कहीं नहीं होती है. मंदिर कब बना है इसका इतिहास नहीं मिला है.
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मान्यता है कि मां मुंडेश्वरी धाम में जो भी लोग मन्नत आकर मानते हैं. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो बकरा चढ़ाया जाता है. मां बकरे की बलि तो लेती है लेकिन बकरे को काटा नहीं जाता है. मंदिर के पुजारी द्वारा मां को ध्यान कर बकरे को मां के चरणों में लेटा कर जब बकरे के ऊपर अक्षत फूल मारे जाते है तो बकरा मूर्छित हो जाता है. मानो उसके अंदर प्राण है ही नहीं. उसके शरीर में कोई हलचल नहीं होती है. फिर दोबारा मां का ध्यान कर जब अक्षत फूल बकरे के ऊपर मारे जाते है तो बकरा जिंदा हो जाता है.
ऐसी अहिंसक बल्कि पूरे विश्व में कहीं भी नहीं होती है. मुंड नाम के राक्षस का वध करने के कारण मां मुंडेश्वरी उनका नाम पड़ा. मंदिर के मध्य भाग में चौमुखी शिवजी की मूर्ति है. मान्यता के अनुसार, दिन में तीन बार यहां की मूर्ति रंग बदलती हैं.
इनपुट- मुकुल जायसवाल
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