जहानाबाद के प्रख्यात शिक्षाविद और राजनीतिज्ञ प्रो. डॉ. चंद्रिका प्रसाद का 18 फरवरी को दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया. जिलेभर में उनके निधन पर शोक की लहर है.
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जहानाबाद के प्रसिद्ध शिक्षाविद और राजनीति के दिग्गज प्रो. डॉ. चंद्रिका प्रसाद के निधन की खबर से पूरे जिले में शोक की लहर दौड़ गई. 18 फरवरी को दिल्ली में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली. जैसे ही उनके निधन की खबर फैली, जिलेभर में लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की. उनके पार्थिव शरीर को बुधवार को जहानाबाद लाया गया, जहां शहरभर में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
शहर के विभिन्न इलाकों में दी गई श्रद्धांजलि
डॉ. चंद्रिका प्रसाद का पार्थिव शरीर काको मोड़, अरवल मोड़, अस्पताल मोड़, सिद्धार्थ टीचर ट्रेनिंग कॉलेज और रामलखन सिंह यादव कॉलेज होते हुए उनके पैतृक गांव मखदुमपुर प्रखंड के मीरा बीघा ले जाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े और "चंद्रिका प्रसाद अमर रहें" के नारे गूंजते रहे.
शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान
शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. चंद्रिका प्रसाद का योगदान अतुलनीय रहा है. उन्होंने जिले में शिक्षा की क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए उन्होंने जीवनभर कार्य किया. उनके प्रयासों से कई छात्रों का भविष्य संवर सका.
राजनीति में मजबूत पकड़
1977 से 2005 तक बिहार की राजनीति में प्रो. डॉ. चंद्रिका प्रसाद का बड़ा प्रभाव रहा. हालांकि वे कभी विधायक, सांसद या मंत्री नहीं बने, लेकिन उनका प्रभाव इतना मजबूत था कि उनके संपर्क में रहने वाले कई नेता मंत्री, विधायक और सांसद बन गए. 1977 में वे जहानाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बने थे और उनके समर्थन में स्वयं इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के लिए जहानाबाद आई थीं.
बिहार के कई दिग्गज नेताओं के करीबी
चंद्रिका बाबू अपने समय के दिग्गज कांग्रेसी नेता माने जाते थे. उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिंदेश्वरी दुबे और "शेरे बिहार" के नाम से चर्चित रामलखन सिंह यादव का सानिध्य प्राप्त था. 1990 के दशक में जब लालू यादव का राजनीतिक उत्थान हुआ, तो चंद्रिका प्रसाद को उनके प्रमुख सहयोगियों में गिना जाने लगा. कहा जाता है कि जब लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच मतभेद हुए थे, तब चंद्रिका प्रसाद ने ही कई बार मध्यस्थता कर उनके बीच सुलह कराई थी.
सभी वर्गों में थी गहरी पकड़
चंद्रिका बाबू न केवल राजनीति, बल्कि शैक्षणिक, प्रशासनिक और न्यायिक क्षेत्रों में भी अपनी अलग पहचान रखते थे. उनकी विद्वता और सामाजिक जुड़ाव ने उन्हें एक विशिष्ट व्यक्तित्व बना दिया था. उनके निधन से जहानाबाद ने एक सच्चे मार्गदर्शक को खो दिया है.
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