Neurological Disorder: इस न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिसऑर्डर का इलाज करना महत्वपूर्ण है ताकि लोगों की जीवन की क्वालिटी में सुधार हो सके. इस बीमारी का पता स्लीप टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है और इसके लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं जो नींद को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं.
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Neurological Disorder: रात को सोने के बाद भी दिन में नींद आना एक सामान्य समस्या है, लेकिन कभी-कभी इसके पीछे कोई बीमारी भी हो सकती है. हेल्दी नींद का महत्व शरीर के लिए है और रात में 7 से 9 घंटे की नींद लेना सेहत के लिए फायदेमंद है. अगर आपको रात को अच्छी नींद के बाद भी दिन में बार-बार झपकी आ रही हैं, तो यह न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है, जिसे आइडियोपैथिक हाइपरसोम्निया कहा जाता है. आइए जानते हैं इस संबंध में होम्योपैथिक डॉ. शैल्वी सिंह क्या कहती है.
डॉ. शैल्वी सिंह का कहना है कि इसके बारे में एक शोध में पाया गया कि यह बीमारी काफी कॉमन है और इससे पीड़ित लोग सोने के दौरान अनिश्चितता महसूस कर सकते हैं. इस शोध में 792 लोगों के स्लीप डेटा की जांच की गई और इससे यह पता चला कि इस बीमारी का प्रीवैलेंस बहुत अधिक है. इससे सामने आया कि यह बीमारी मिर्गी, बाइपोलर डिसऑर्डर और स्किज़ोफ्रेनिया के साथ तुलना में भी काफी कॉमन है.
इस न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिसऑर्डर का इलाज करना महत्वपूर्ण है ताकि लोगों की जीवन की क्वालिटी में सुधार हो सके. इस बीमारी का पता स्लीप टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है और इसके लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं जो नींद को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं. इसके इलाज में भी मानसिक समर्थन और देखभाल का महत्वपूर्ण भूमिका है.
डॉ. शैल्वी सिंह ने बताया कि इस बीमारी का कारण विभिन्न हो सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक विकार, परिवारिक इतिहास और जीन. इसलिए इसे ठीक करने के लिए उचित इलाज और सही दिशा में चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है. साथ ही कहा कि यदि रात को अच्छी नींद के बाद भी दिन में नींद आ रही है, तो यह समस्या हो सकती है और इसका संकेत भी किसी न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिसऑर्डर का हो सकता है. इसके इलाज के लिए उचित चिकित्सा देखभाल और मानसिक समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि लोग इस समस्या से बेहतर हो सकें.
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