Motihari News: कोटवा अंचल के सीओ की तरफ से अपने कर्मियों, कर्मचारियों और दलाल अटरनियों को प्रत्येक कार्य के लिए रेट लिस्ट फिक्स कर दे दिया गया है. ऑनलाइन जमाबंदी जब पुनीत कुमार के नाम पर है जो रैयती नहीं है तो पूर्व सीओ ने एलपीसी कैसे बना दिया. यह खेल एक दो मामले में नहीं बल्कि सैकड़ों मामले में है.
Trending Photos
Eest Champaran: मोतिहारी के कोटवा अंचल कार्यालय के कार्यशैली से इन दिनों इलाके के लोग काफी परेशान हो रहे है. कोटवा अंचल कार्यालय में प्लॉट का खाता खेसरा बदलकर उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. यह तब भी हो जाता है जब किसी भी जमीन का अभिलेख रखने वाला हल्का कर्मचारी के जांच रिपोर्ट में रैयती भूमि लिखा होता है. किसी भी प्रकार के रोक वाले सूची से मुक्त बता रैयत के दखल कब्जा में बताया जाता है. इतना ही नहीं कर्मचारी के रिपोर्ट को रेवेन्यू ऑफिसर दाखिल खारिज की अनुमति की अनुशंसा कर सीओ को फॉरवार्ड भी कर देते हैं. कर्मचारी की रिपोर्ट और आरओ के रिपोर्ट को ऑनलाइन पढ़कर रैयत खुशी- खुशी घर जाता है. रात में बड़ी चैन और सुख की नींद सोता है. अब तो मेरा दाखिल खारिज हो जायेगा, लेकिन यह क्या जब वह अंचल कार्यालय का दोबारा रुख करता है तब उसे अप्रत्याशित रूप से सिस्टम में चांदी की जूते की खनक के महत्व का पता चलता है. चलिए अब एक पीड़ित के सिस्टम से दो चार होने की पूरी कहानी बताते हैं.
सीओ अपनी गलती मान लेती हैं, लेकिन काम नहीं करती!
कोटवा अंचल में डॉ. रविंद्र नाथ ठाकुर वाद संख्या 859/2024-25 दाखिल करते है. कर्मचारी रिपोर्ट बनाता है कि यह जमीन रैयती है और किसी भी प्रकार की रोक की सूची से बाहर है, इसके बाद दाखिल खरिज की अनुसंशा कर देते हैं, लेकिन कोटवा की सीओ मोनिका आंनद ने खाता खेसरा को ही बदलकर इसपर न्यायालय में विवाद का झूठा आरोप लगा आवेदन को रिजेक्ट कर दिया है. वहीं, आवेदक डॉ. रविंद्र नाथ ठाकुर जब सीओ कार्यालय में जाकर कर्मचारी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कोटवा सीओ से रिजेक्ट करने का कारण पूछा तो सीओ ने अपनी गलती मान लेती है. साथ ही पुनः इसे सुधरवाने की बात कही और उन्हें घर भेज दिया.
कर्मचारी की तरफ से रैयती भूमि की अनुशंसा नहीं किया गया
आप सोचिए अगर एक डॉक्टर के साथ यह हाल है तो आम लोगों का क्या हाल होता होगा? हालांकि, मामले में डॉक्टर ने कर्मचारी को रुपये देने की भी बात स्वीकारी है. दूसरा मामला कोटवा बड़हरवा पूर्वी का जहां पर पुनीत कुमार तिवारी ने बताया कि मैंने एलपीसी के लिए आवेदन किया आवेदन संख्या 287 वित्तीय वर्ष 2024-25 है. उसे रिजेक्ट कर दिया गया और कारण बताया कि शपथ पत्र में हस्ताक्षर नहीं है. कर्मचारी की तरफ से रैयती भूमि की अनुशंसा नहीं किया गया है. जबकि, आवेदन में शपथ पत्र पर आवेदक का हस्ताक्षर स्पष्ट है. इस भूमि का 2023 में 13 अप्रैल को एलपीसी निर्गत पूर्व सीओ की तरफ से किया गया था, जिसका प्रमाण पत्र संख्या 1106/23 है. ये बात कहकर रिजेक्ट कर दिया गया.
कई लोग अब अप्लाई करने के लिए भी डर रहे हैं
अब सवाल उठता है कि ऑनलाइन जमाबंदी जब पुनीत कुमार के नाम पर है जो रैयती नहीं है तो पूर्व सीओ ने एलपीसी कैसे बना दिया. यह खेल एक दो मामले में नहीं बल्कि सैकड़ों मामले में है. कई लोग तो अब अप्लाई करने के लिए भी डर रहे हैं या अप्लाई किये हैं जो रिजेक्शन के डर से पैसा पंहुचा रहे हैं. इधर, कोटवा में सीओ महिला है जिसके बाद आम लोग सीधे कार्यालय में उनका विरोध नहीं कर पा रहे हैं. चर्चा है कि एक मुखिया ने इसका विरोध किया तो उसपर बंधक बनाने का प्राथमिकी दर्ज करा दिया गया, जिसके बाद लोग सहमे हुए हैं. एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार से राजस्व विभाग को मुक्त करने के लिए बिहार दाखिल खारिज अधिनियम 2011, नियमावली 2012 लायी जिसके तहद आवेदन के 35 दिन के अंदर आम आवेदन का दाखिल खरिज हो जायेगा.
दाखिल खारिज का 75 दिनों में हो जाना है निष्पादन
वहीं, ऑब्जेक्शन वाले स्थिति में दाखिल खारिज का 75 दिनों में निष्पादन हो जाना है, लेकिन शायद यह नियम मोतिहारी के कोटवा अंचल कार्यालय पर लागू नहीं होता है. एक तरफ सरकार कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए हर कार्य को ऑनलाइन करने का दृढ़ निश्चय किया है, जिससे जनता रिश्वरखोरी से बच सके. दूसरी तरफ पदाधिकारी लहर गिनकर पैसा कमाने में लगे हैं. यहां हर कार्य का रेट फिक्स है.
यह भी पढ़ें:सीएम नीतीश कुमार के विधायक ने निगम कर्मियों को डंडे से पीटा, दी गालियां
प्रत्येक कार्य के लिए रेट लिस्ट फिक्स
सूत्रों की माने तो कोटवा अंचल के सीओ की तरफ से अपने कर्मियों, कर्मचारियों और दलाल अटरनियों को प्रत्येक कार्य के लिए रेट लिस्ट फिक्स कर दे दिया गया है. जैसा कार्य वैसा रेट सीओ ने अपना आवास कोटवा में नहीं रखा, मोतिहारी में रखा है. जिससे उन्हें देन लेन में कोई दिक्कत नहीं हो. ये सभी दलाल सुबह के सुबह रेट लिस्ट के अनुसार फाइल और रुपये लेकर सीओ के आवास पर दरबार लगा काम की सूची सीओ को सौंपते हैं. सीओ जब कार्यालय पंहुचती है तो उन्हीं कार्यों का निष्पादन करती है जिनकी सूची उनको प्राप्त है. जिस फाइल में जनता उनके दलालों से मुलाकात नहीं करती उन कार्यों को उलूल-जुलूल कारण के साथ रिजेक्ट कर दिया जाता है.
यह भी पढ़ें:8 साल के बच्चों को नीतीश ने मारी थी गोली, पुलिस ने किया गिरफ्तार, ये रहा पूरा मामला
कर्मी दाखिल खारिज में लोगों को यह भय दिखा रहे
वहीं, कर्मी दाखिल खारिज में लोगों को यह भय दिखा रहे हैं कि एक बार रिजेक्ट कर दिया गया तो डीसीएलआर के ऑफिस जाना पड़ेगा. जहां कई तारीख के बाद पुनः फाइल मेरे पास ही आएगा. तत्काल में दो हजार फाइल को रिजेक्ट कर दिया गया है. अंचल का रेट लिस्ट निम्न है कार्य रेट लिस्ट दाखिल खारिज ₹10-25 हजार परिमार्जन ₹30 से 50 हजार एलपीसी ₹500 से 1500 रिजेक्ट आवेदन का नकल ₹500 से 1000 कोटवा अंचल कार्यालय की तरफ से महारानी भोपत के मुखिया पर कर्मियों को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद लोग आवाज उठाने से डर रहे हैं. चर्चा है कि कई जो चांदी की खनक को मुहैया करा दिया है. वह भी स्पष्ट विरोध नहीं कर रहे हैं. डर है कि उनका मामला भी कहीं रिजेक्ट न हो जाय.
क्या कहती है सीओ, जानिए
इस बाबत पूछे जाने पर सीओ मोनिका आनंद ने बताया कि गलती से रिजेक्ट हो गया है उसे सुधार कराया जा रहा है. साथ ही रिश्वत के रेटलिस्ट के बाबत बताया की आरोप निराधार हैं. प्रमाण के साथ कोई शिकायत आने पर कार्रवाई की जायेगी. मगर, अब सवाल यह भी है कि आखिर कोटवा अंचल कार्यालय पर ही क्यों लग रहा है रेटलिस्ट का आरोप?
रिपोर्ट: पंकज कुमार
यह भी पढ़ें:लाइन में खड़ा करके परीक्षार्थियों को डंडे से पुलिस ने पीटा,बिना मतलब हो गया बखेड़ा
बिहार की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें!यहाँ पढ़ें Bihar News in Hindi और पाएं Bihar latest News in Hindi हर पल की जानकारी.बिहार की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार.जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!