Odisha: असम टू ओडिशा.. घुसपैठियों पर कसा शिकंजा, सरकार ने कर ली बड़े एक्शन की तैयारी
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Odisha: असम टू ओडिशा.. घुसपैठियों पर कसा शिकंजा, सरकार ने कर ली बड़े एक्शन की तैयारी

Odisha News: असम के बरपेटा में हिमंता सरकार ने 28 घुसपैठियों को ट्रांजिंट भेज दिया था और तब से लेकर घुसपैठिए लगातार हेडलाइंस का हिस्सा बने हुए हैं. हिमंता बिस्वा सरमा ने घुसपैठियों के खिलाफ जो मिशन चला रखा है उसका असर देश के दूसरे राज्यों में भी नजर आ रहा है.

Odisha: असम टू ओडिशा.. घुसपैठियों पर कसा शिकंजा, सरकार ने कर ली बड़े एक्शन की तैयारी

Odisha News: असम के बरपेटा में हिमंता सरकार ने 28 घुसपैठियों को ट्रांजिंट भेज दिया था और तब से लेकर घुसपैठिए लगातार हेडलाइंस का हिस्सा बने हुए हैं. हिमंता बिस्वा सरमा ने घुसपैठियों के खिलाफ जो मिशन चला रखा है उसका असर देश के दूसरे राज्यों में भी नजर आ रहा है. अब ओडिशा की मोहन माझी सरकार ने भी घुसपैठियों की पहचान करने के लिए एक अभियान की शुरुआत कर दी है.

क्या है मोहन माझी का प्लान..

ओडिशा के 30 में से तकरीबन 12 जिलों में घुसपैठियों को पहचानने के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. आखिर ओडिशा में घुसपैठियों को ढूंढने के लिए लंबी चौड़ी कार्यवाही क्यों करनी पड़ रही है और क्या है मोहन माझी का प्लान जो बताएगा छिपे हुए घुसपैठियों की पहचान. सीएम माझी ने कलेक्टर और पुलिस अधिकारी तहसील स्तर की टीम बनाने, निवासियों के कागजों की जांच करने. जांच रिपोर्ट को सरकार तक पहुंचाने, समंदर से सटे इलाकों में 24 घंटे गश्त, नदी किनारों पर 18 नए थाने बनाए जाने का निर्देश दिया है.

राज्य में 3740 घुसपैठिए रह रहे हैं..

इन तैयारियों का मकसद है ओडिशा में घुसपैठियों की पहचान करना. उनकी सही संख्या का पता लगाना. खुद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जवाब देते हुए बताया कि राज्य में 3740 घुसपैठिए रह रहे हैं. इस संख्या को जिले के हिसाब से बांटा भी गया है. सबसे ज्यादा घुसपैठिए केंद्रपाड़ा जिले में हैं. यहां सरकार को 1649 घुसपैठियों के रहने की जानकारी मिली है. जगत सिंह पुर में 1112 घुसपैठियों की पहचान की गई है. सरकार के अनुसार मलकानगिरी में 655 घुसपैठिए हैं. भद्रक में 199 घुसपैठिए हैं और नबरंगपुर में 106 घुसपैठियों के मौजूद होने की जानकारी है.

ओडिशा सरकार ने अभियान की शुरुआत की

सरकार को आशंका है कि घुसपैठिय़ों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है. इसी वजह से ओडिशा सरकार ने अभियान की शुरुआत की है. लेकिन विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि सिर्फ कागजों पर प्लान बनाने से कुछ नहीं होगा. इस दिशा में जल्द कदम उठाए जाने चाहिए. सत्ता पक्ष और विपक्ष घुसपैठियों की पहचान करने के प्लान पर सहमत है. लेकिन ओडिशा में घुसपैठियों को पकड़ने के लिए अभियान बीजेपी सरकार आने के बाद ही शुरु हुआ है. जिसके बाद सवाल ये भी पूछे जा रहे हैं. असम से लेकर ओडिशा तक सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में ही घुसपैठियों को पकड़ने या पहचानने की कोशिश की जा रही है.

बीजेपी शासित राज्यों में ही घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों..

सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में ही घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों... बरपेटा की घटना से इसी सवाल से जोड़ते हुए एक ट्वीट असदुद्दीन ओवैसी ने किया.. जिसमें लिखा था,  अगर इस साल जनगणना के साथ NRC को लागू करने की कोशिश की गई तो बरपेटा जैसी तस्वीरें देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ सकती हैं. इसी वजह से तेलंगाना समेत कुछ दूसरे राज्यों ने जनगणना के साथ NRC की गणना का विरोध किया है. बरपेटा की घटना पर ओवैसी ने एक साथ दो दांव खेलने की कोशिश की है. एक तरफ उन्होंने मुसलमानों के अंदर दोबारा NRC को लेकर संशय पैदा किया है और दूसरी तरफ घुसपैठियों के लिए संवेदनाएं भी व्यक्त की हैं. यही वो एजेंडा है जिसपर बीजेपी लगातार मुखर रहती है. आखिर घुसपैठियों की हिमायत क्यों... घुसपैठियों से हमदर्दी क्यों?

भारत में लाखों घुसपैठिए घुस आए..

पहले मानवता के नाम पर घुसपैठियों का समर्थन किया जाता था. अब लिबरल जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर घुसपैठियों के लिए माहौल तैयार किया जाता है. यही वो सोच है जिसकी वजह से आज भारत में लाखों घुसपैठिए घुस आए. जो ना सिर्फ देश की सुरक्षा बल्कि सामाजिक ताने बाने के लिए भी खतरा बन गए.

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