इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के जरिए उन इंसानों की मदद की जाती है जो शादी के बाद भी बेऔलाद हैं, लेकिन अब जानवरों में इसका प्रयोग तेजी से किया जा रहा है और साइंटिस्ट्स को कामयाबी भी मिल रही है.
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World's First Kangaroo Embryos Created Via IVF: साइंटिस्ट्स ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilisation) यानी आईवीएफ के जरिए से पहले कंगारू के भ्रूणों को तैयार किया है. ये एक ऐसा डेवलपमेंट जिसके कहा गया है कि ये प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए अहम हो सकता है. जर्नल रिप्रोडक्टिव, फर्टिलिटी एंड डेवलपमेंट में छपी एक स्टडी में, ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी (University of Queensland) के नेतृत्व में रिसरचर्स ने देसी मार्सुपियल कंजर्वेशन के लिए मददगार प्रजनन की क्षमता का डॉक्यूमेंटेशन किया.
इन जानवरों की सेपेसीज बचाई जा सकेगी
क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी में एनिमल साइंस के सीनियर लेक्चरर और लीड रिसर्चर एंड्रेस गैम्बिनी (Andres Gambini) ने कहा, "हमारा अल्टीमेट गोस कोआला, तस्मानियाई डेविल्स, नॉर्दर्न हेयरी-नोज्ड वोंबैट और लीडबीटर्स पोसम जैसे संकटग्रस्त मार्सुपियल प्रजातियों के संरक्षण का समर्थन करना है."
गैम्बिनी ने कहा, "संरक्षण के तरीकों को विकसित करके, हमारा लक्ष्य इन अद्वितीय और कीमती जानवरों की जेनेटिक मैटेरियल को भविष्य में उनके संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए उपयोग के लिए सुरक्षित रखना है."
आईवीएफ का दुनिया भर में संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए पता लगाया जा रहा है जनवरी 2024 में, जर्मनी के वैज्ञानिकों ने आईवीएफ के जरिए उत्पादित दुनिया के पहले गैंडे के भ्रूण को एक सरोगेट में स्थानांतरित किया.
कैसे तैयार हुआ कंगारू का भ्रूण?
इस स्टडी में, रिसर्चर्स ने इस बात पर नजर रखी कि कंगारू अंडे और स्पर्म के लैब कल्चर समय के साथ कैसे विकसित हुए. गैम्बिनी ने समझाया, "चूंकि ईस्टर्न ग्रे कंगारू हद से ज्यादा मात्रा में हैं, इसलिए हमने घरेलू जानवरों और मनुष्यों पर पहले से लागू एम्ब्रयो टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए एक मॉडल के रूप में उपयोग करने के लिए उनके अंडे और स्पर्म जमा किए."
रिसर्च के ऑथर्स ने लिखा, "एक मादा से कुल 32 ओवेरियन फॉलिकल्स (अंडाशय में अपरिपक्व अंडे युक्त थैले) कल्चर किए गए थे, 78 फीसदी ने कुछ हद तक इजाफा दिखाया और इनमें से 12 फीसदी साइज में दोगुने हो गए." भ्रूण तब 'इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई)' तकनीक द्वारा बनाए गए थे, जिसमें एक स्पर्म को सीधे एक मैच्योर अंडे में इंजेक्ट किया जाता है.
पूरा कंगारू कितने साल में तैयार होगा?
गैम्बिनी ने कहा, "हालांकि सटीक टाइमलाइन बताना मुश्किल है, लेकिन निरंतर सहयोग, फंडिंग और निरंतर तकनीकी प्रगति के साथ, हमें उम्मीद है कि आईवीएफ के जरिए एक मार्सुपियल का जन्म एक दशक के भीतर एक रियलिटी बन सकता है."
(इनपुट-पीटीआई)