रेड लाइट थेरेपी के बारे में सुना है क्या? दर्द, सूजन और स्किन प्रॉब्लम का रामबाण इलाज
Advertisement
trendingNow12617624

रेड लाइट थेरेपी के बारे में सुना है क्या? दर्द, सूजन और स्किन प्रॉब्लम का रामबाण इलाज

रेड लाइट थेरेपी को कई परेशानियों में असरदार इलाज माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये ट्रीटमेंट किस तरह काम करता है और आपके लिए कैसे फायदेमंद साबित हो सकता है?

रेड लाइट थेरेपी के बारे में सुना है क्या? दर्द, सूजन और स्किन प्रॉब्लम का रामबाण इलाज

What Is Red Light Therapy: रेड लाइट थेरेपी को झुर्रियों, मुंहासे, सोरायसिस, निशानों और धूप से डैमेज त्वचा के लिए एक आशाजनक इलाज के रूप में और कुछ तरह के कैंसर के लिए एक सपोर्टिव थेरेपी के रूप में तेजी से अपनाया जा रहा है. लेकिन क्या ये थेरेपी उस हाइप पर खरी उतरती है जो इसे सभी तरह की बीमारियों के लिए तकरीबन रामबाण बताती है? 

डॉक्टर क्या कहते हैं?
प्रवीण अरनी (Praveen Arany), यूनिवर्सिटी ऑफ बफ़ेलो (University of Buffalo) में ओरल बायोलॉडी, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और सर्जरी के प्रोफेसर और चिकित्सा के मकसद के लिए लाइट और लेजर के इस्तेमाल के एक्सपर्ट हैं. वो बताते हैं कि रेड लाइट थेरेपी कैसे काम करती है, किन बीमारियों और स्थितियों के लिए ये सबसे उपयोगी हो सकती है, और क्या इस थेरेपी की होम डिवाइसेज असरदार हैं?

रेड लाइट थेरेपी क्या है?

रेड लाइट थेरेपी के साथ इलाज में अस्पताल या क्लिनिक में बहुत कम डोज में लाल बत्ती के संपर्क में आना शामिल है. इसे लो-पॉवर लेजर थेरेपी, सॉफ्ट लेजर थेरेपी, कोल्ड लेजर थेरेपी और नॉन थर्मल एलईडी लाइट थेरेपी भी कहा जाता है. अम्ब्रेला टर्म को फोटोबायोमॉड्यूलेशन थेरेपी (Photobiomodulation Therapy) कहा जाता है, जिसमें दूसरे कलर, या वेवलेंथ शामिल हैं, जिनके हेल्थ बेनेफिट्स हैं. ये लाइट वेवलेंथ स्पान से नियर-इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम तक फैले हुए हैं. रेड लाइफ से फोटोबायोमॉड्यूलेशन थेरेपी में सबसे पॉपुलर है। इसका मुख्य कारण इसकी मौजूदगी है - ये इलाज तीन दशकों से ज्यादा समय से चला आ रहा है.

दूसरे रंग की लाइट थेरेपीज
जबकि ये सच है कि दूसरे रंग भी चिकित्सकीय और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध हैं, रिसर्चर्स अभी भी ये निर्धारित करने के लिए उनकी स्टडी कर रहे हैं कि वे असल में कितने असरदार हैं. कहा जा रहा है, ग्रीन लाइट थेरेपी का इस्तेमाल आम तौर पर माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है, डिप्रेशन के लिए येलो लाइट और ब्लू लाइट बैक्टीरिया के रेजिस्टेंड स्ट्रेन, जैसे कि MRSA संक्रमण को मारने के लिए, और सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर, एक डिप्रशन जो आमतौर पर पतझड़ के अंत में शुरू होता है और सर्दियों तक जारी रहता है, इसके इलाज के लिए किया जाता है.

 

रेड लाइट थेरेपी कैसे काम करती है?

आसान भाषा में कहें तो, लाल बत्ती आपके शरीर की सेल्स को स्टिमुलेट करती है, उन्हें ऊर्जावान बनाती है जबकि अफेक्टेड एरियाज में ब्लड फ्लो शुरू करती है. बदले में, ये इलाज को बढ़ावा देता है, उसी तरह जैसे आपका शरीर घाव को भरने के लिए रक्त का थक्का जमाकर रिस्पॉन्स करता है.

इसका इलाज आसान और पेनलेस है. मरीज, या तो आराम से बैठा या लेटा हुआ, 3 से 15 मिनट के लिए लाल बत्ती के संपर्क में रहता है. उन्हें इलाज के दौरान गर्मी का अहसास हो सकता है, लेकिन ये असहज या गर्म नहीं होना चाहिए. चिकित्सक संभवतः आंखों की सेफ्टी की सिफारिश करेगा.

 

कितनी सेफ है ये थेरेपी?
सही ढंग से इस्तेमाल किए जाने पर, रेड लाइट थेरेपी बहुत सुरक्षित है. ओवरडोजिंग यानी बहुत देर तक बत्ती के नीचे रहना या बहुत हाई पॉवर पर इलाज हासिल करना - आवश्यक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन ये इस फायदे को कम या धीमा कर सकता है.

हालांकि, जैसे कुछ लोग दूसरों की तुलना में सनबर्न के लिए उत्साहित होते हैं, कुछ मरीज इस प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और त्वचा में लालिमा देख सकते हैं. उन रोगियों को उपचार के दौरान लोअर लाइट ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए.

 

किन परेशानियों में है मददगार?
रैंडेमाइज, कंट्रोल क्लीनिकल ट्रायल से पता चलता है कि रेड लाइट थेरेपी दर्द, सूजन और टिश्यू डैमेज को कम कर सकती है. क्योंकि ये सभी चीजें कई बीमारियों में प्रचलित हैं, फोटोबायोमॉड्यूलेशन बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला के इलाज के लिए एक शक्तिशाली सहायक हो सकता है.

एक उदाहरण कैंसर है. अब इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि रेड लाइट थेरेपी रेडिएशन, कीमोथेरेपी और बोन मैरो स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से होने वाले दर्द और सूजन को कम कर सकती है. लाल बत्ती चिकित्सा ने कैंसर के इलाज से होने वाली अन्य जटिलताओं को भी कम किया है, जिनमें मुंह के छाले, निशान और फाइब्रोसिस शामिल हैं.

हाल के दूसरे ह्यूमन क्लीनिकल स्टडीज से पता चलता है कि फोटोबायोमॉड्यूलेशन डायबिटीज और जले हुए घावों, साथ ही कुछ तरह के अल्सर को ठीक करने में मदद करता है. हालांकि, ये थेरेपी गुड वुंड केयर ट्रीटमेंट, जैसे कि डिसइंफेक्शन की जगह नहीं लेनी चाहिए. फोटोबायोमॉड्यूलेशन ने गर्दन और पीठ दर्द और टेनिस एल्बो वाले मरीजों के लिए भी काम किया है.

(इनपुट-पीटीआई)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Trending news