इम्यूनोथेरेपी कैंसर मरीजों को जीवन की अच्छी क्वालिटी के साथ जीवित रख पाने में सक्षम हैं. वहीं कैंसर के आखिरी स्टेज में भी यह कारगर हो सकती है.
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एक नए अध्ययन में पता चला है कि एंडोमेट्रियल (गर्भाशय में होने वाली समस्या) और कोलन कैंसर रोगियों के लिए इम्यूनोथेरेपी फायदेमंद है. इम्यूनोथेरेपी मरीजों को जीवन की अच्छी क्वालिटी के साथ जीवित रख पाने में सक्षम हैं. वहीं कैंसर के आखिरी स्टेज में भी यह कारगर हो सकती है. कैंसर के रोगियों में अक्सर मिसमैच रिपेयर डेफिसिट अक्सर हाई होती है. यह स्थिति डीएनए की स्वयं मरम्मत करने की क्षमता को खराब कर देती है और कैंसर का कारण बन सकती है.
जर्नल कैंसर सेल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1,655 रोगियों के एक समूह को देखा, जिन्हें कोलोरेक्टल या एंडोमेट्रियल कैंसर था. इन मरीजों ने इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री और नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंस टेस्ट करवाया था. एंडोमेट्रियल कैंसर के 6% मरीज और कोलोरेक्टल कैंसर के एक प्रतिशत मरीज इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री द्वारा मिसमैच रिपेयर डेफिसिट की कमी वाले रोगियों ने अन्य उपचारों की तुलना में इम्यूनोथेरेपी पर बेहतर प्रतिक्रिया दी.
क्या है इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी इम्यूनिटी बढ़ाने वाली थेरेपी है. यह कैंसर को मारती नहीं है, बल्कि यह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए इम्यून सेल्स को अधिक प्रभावी बनाता है. इसका मतलब, प्रभावित अंग में जो हेल्दी सेल्स हैं, उनको मजबूत बनाती हैं.
इम्यूनोथेरेपी नहीं लेने वाले की स्थिति थी खराब
अध्ययन के आंकड़ों से यह भी पता चला कि जिन्हें इम्यूनोथेरेपी नहीं मिली उनके परिणाम उन लोगों की तुलना में खराब थे जिन्होंने इम्यूनोथेरेपी प्राप्त की थी. अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एलियास फरहत ने बताया कि यह अध्ययन इम्यूनोथेरेपी की प्रभावशीलता को पुष्ट करता है, खासकर उन रोगियों में जो मिसमैच रिपेयर डेफिसिट के लिए सकारात्मक हैं.
दुनियाभर में कैंसर के मामले बढ़े
दुनियाभर में कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य महकमे की चिंता के साथ चुनौती बढ़ा दी है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की हाल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पिछले तीन दशक में 50 साल से कम आयु वाले लोगों में कैंसर के नए मामलों की संख्या में 79 फीसदी का इजाफा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक दुनिया में पहली स्टेज के कैंसर के मामलों की संख्या 31 फीसदी तक बढ़ सकती है.