आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में सबसे फायदेमंद हैं ये हरी लकड़ी, रोजाना खाने से खत्म होंगी सभी बीमारियां
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आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में सबसे फायदेमंद हैं ये हरी लकड़ी, रोजाना खाने से खत्म होंगी सभी बीमारियां

Giloy Benefits: कोविड के दौरान में जब दुनिया संक्रमण से जूझ रही थी, तो हमारी एनसिएंट मेडिकल सिस्टम आयुर्वेद के त्रिदोष शामक मेडिसिन पर खूब चर्चा हुई. ऐसे में 'अमृत के समान' माना जाने वाला गिलोय चर्चा का विषय बना रहा. यह एक मल्टी पर्पस मेडिसिन है, जो कई बीमारियों के ट्रीटमेंट में मददगार होती है.

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में सबसे फायदेमंद हैं ये हरी लकड़ी, रोजाना खाने से खत्म होंगी सभी बीमारियां

Benefits of Eating Giloy: गिलोय शरीर के तीनों दोषों जैसे वात, पित्त और कफ को बैलेंस करने में मददगार है. इसलिए यह त्रिदोष शामक औषधि के नाम से भी जाना जाता है. आयुर्वेद, चरक संहिता और होम मेडिसिन में इसे प्राइसलेस मेडिसिन माना गया है. इसकी पहचान केवल इसके गुणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह आपके पूरी सेहत को बनाए रखने में भी मदद करता है. सुश्रुत संहिता में भी इसके गुणों के बारे में बताया गया है. गिलोय के पत्ते टेस्ट में कसैले और कड़वे होते हैं, लेकिन इसके गुण बेहद फायदेमंद होते हैं.

 

औषधीय गुणों से भरपूर

आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय डाइजेशन के लिए फायदेमंद होने के साथ भूख बढ़ाने में मदद करती है. इसे खाने से इंम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होती है. गिलोय को रोजाना खाने से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ, पीलिया, बवासीर, टीबी और यूरिनरी डिजीज से राहत मिल सकती है. महिलाओं में होने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए भी यह एक जरूरी ओषधि के रूप में काम आ सकती है.  

 

गिलोय का नेचर

सुश्रुत संहिता में इसके औषधीय गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है. यह एक बेल होती है, जो जिस भी वृक्ष पर चढ़ती है, उसके कुछ गुण भी अपने अंदर ले लेती है. इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई गिलोय को सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. गिलोय का तना रस्सी के समान दिखाई देता है और इसके पत्ते पान के आकार के होते हैं. इसके फूल पीले और हरे रंग के गुच्छों में लगते हैं, जबकि इसके फल मटर के दाने जैसे होते हैं. मॉडर्न आयुर्वेद में इसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटीसेप्टिक मेडिसिन के रूप में देखा जाता है.

 

गिलोय के फायदे

गिलोय के इस्तेमाल से आंखों की रोशनी में सुधार होता है. इसके रस को त्रिफला के साथ मिलाकर खाने से आंखों की कमजोरी दूर होती है. इसके अलावा, कान की सफाई के लिए गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर कान में डालने से मैल साफ हो जाता है. हिचकी की समस्या में इसका इस्तेमाल सोंठ के साथ करने से लाभ मिलता है. आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार अश्वगंधा, शतावर, दशमूल, अडूसा, अतीस आदि जड़ी-बूटियों के साथ इसका काढ़ा बनाकर सेवन करने से टीबी के रोगी को लाभ मिलता है. इसके अलावा, एसिडिटी से राहत पाने के लिए गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर पीने से उल्टी और पेट की जलन से छुटकारा मिलता है. कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए गिलोय रस के साथ गुड़ का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है.

 

यह भी हैं गिलोय के फायदे

बवासीर की समस्या में भी गिलोय का खास महत्व है. हरड़, धनिया और गिलोय को पानी में उबालकर बने काढ़े को सेवन करने से बवासीर से राहत मिलती है. यही नहीं, लीवर से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए गिलोय बेहद लाभकारी मानी जाती है. ताजा गिलोय, अजमोद, छोटी पीपल और नीम को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से लीवर की समस्याएं दूर होती हैं. इसके साथ ही, यह डायबिटीज को कंट्रोल करने में भी मददगार होती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए गिलोय का रस बहुत फायदेमंद साबित होता है. इसे शहद के साथ मिलाकर लेने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है. हाथीपांव या फाइलेरिया जैसी समस्या में भी गिलोय रामबाण उपाय है. इसके रस को सरसों के तेल के साथ मिलाकर खाली पेट पीने से इस रोग में आराम मिलता है.

 

पतंजलि में गिलोई का इस्तेमाल

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए भी गिलोय बेहद लाभदायक मानी जाती है. काली मिर्च के साथ इसे गुनगुने पानी में लेने से हृदय रोगों से बचाव होता है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी गिलोय एक प्रभावी औषधि मानी जाती है. पतंजलि के शोध के अनुसार, ब्लड कैंसर के मरीजों पर गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस मिलाकर देने से अत्यधिक लाभ मिला है.

 

कितनी मात्रा में सेवन सही

गिलोय के सेवन की मात्रा का खास ध्यान रखना चाहिए. सामान्य रूप से काढ़े की मात्रा 20-30 मिली ग्राम और रस की मात्रा 20 मिली का ही सेवन करना होता है. हालांकि, अधिक लाभ के लिए इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है.

 

गिलोय के नुकसान

हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. यह ब्लड शुगर को कम करता है, इसलिए जिनका शुगर लेवल कम रहता है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए. प्रेग्नेंसी के दौरान भी इसका सेवन करने से बचना चाहिए. मेडिकल कंसल्टेशन लेकर इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

 

किस तरह मिलती है गिलोय

भारत में गिलोय लगभग सभी जगह पाई जाती है. कुमाऊं से लेकर असम तक, बिहार से लेकर कर्नाटक तक यह अच्छी मात्रा में मिलती है. यह समुद्र तल से 1,000 मीटर की ऊंचाई तक उगती है.

--आईएएनएस

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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