SpaDeX Mission in Hindi: भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. इसरो ने 'डॉकिंग' प्रयोग में दो सैटेलाइट्स को एक-दूसरे से जोड़कर दिखाया है. भारत ऐसी क्षमता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है.
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SpaDeX Docking Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर जितना गर्व किया जाए, कम है! बीते कुछ सालों में ISRO ने जिस तेजी से स्पेस सेक्टर में अपनी धाक जमाई है, वह अभूतपूर्व है. गुरुवार सुबह ISRO ने एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया. भारत का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) सफल रहा है. ISRO ने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को 'जोड़कर' दिखाया. यह उपलब्धि बेहद खास है क्योंकि ऐसी क्षमता अब तक सिर्फ तीन देशों के पास ही थी. ISRO ने डॉकिंग क्षमता हासिल करके स्पेस में सुपरपावर बनने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. वह दिन दूर नहीं, जब पश्चिमी देशों और चीन की तरह भारत का भी अपना स्पेस स्टेशन होगा.
ISRO के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) के निदेशक निलेश देसाई ने इस उपलब्धि पर कहा, 'यह प्रयोग बहुत बड़ी सफलता थी. स्पेस डॉकिंग तकनीक में यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का विषय है. डेटा के एनालिसिस के बाद, हम अगले 1-2 दिनों में यह कोशिश करेंगे कि एक सैटेलाइट से दूसरे सैटेलाइट में पावर कैसे ट्रांसफर की जा सकती है.'
SpaDeX Docking Update:
Docking Success
Spacecraft docking successfully completed! A historic moment.
Let’s walk through the SpaDeX docking process:
Manoeuvre from 15m to 3m hold point completed. Docking initiated with precision, leading to successful spacecraft capture.…
— ISRO (@isro) January 16, 2025
स्पेस डॉकिंग में यह कामयाबी क्यों अहम है?
स्पेस डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसमें एक अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट को अंतरिक्ष में दूसरे यान से जोड़ा जाता है. यह तकनीक न केवल स्पेस मिशन को अधिक सक्षम बनाती है, बल्कि यह भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों, जैसे चंद्रमा और मंगल पर मिशन, और अंतरिक्ष में लॉन्ग-टर्म स्टेशन बनाने के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है. SpaDeX मिशन के जरिए ISRO ने इस दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है.
SpaDeX Docking Update:
Post docking, control of two satellites as a single object is successful.
Undocking and power transfer checks to follow in coming days.
— ISRO (@isro) January 16, 2025
इससे पहले, केवल अमेरिका, रूस और चीन ही इस तकनीक में सफलता हासिल कर पाए थे. अब भारत ने भी इस उपलब्धि को हासिल करके अपनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. यह स्पेस डॉकिंग तकनीक भविष्य के जटिल मिशनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी, जहां अंतरिक्ष में ईंधन भरने, उपकरण बदलने, या सैटेलाइट के जीवन को बढ़ाने की जरूरत हो सकती है. यह भविष्य में भारत के गगनयान मिशन और संभावित चंद्रमा और मंगल अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा.
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ISRO का SpaDeX मिशन
SpaDeX मिशन का मुख्य उद्देश्य दो सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक डॉक करना और उनकी पावर एवं डेटा ट्रांसफर की प्रक्रिया का टेस्ट करना था. यह प्रक्रिया बेहद जटिल थी क्योंकि इसमें सैटेलाइट्स के बीच बहुत सटीक नेविगेशन और नियंत्रण की जरूरत होती है. ISRO की सफलता से यह साफ हो गया है कि भारत इस चुनौतीपूर्ण तकनीक में भी महारत हासिल करने के लिए तैयार है.
SpaDeX का अगला चरण सैटेलाइट्स के बीच ऊर्जा (पावर) ट्रांसफर करना है. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि यदि एक सैटेलाइट को ऊर्जा की आवश्यकता है, तो उसे दूसरे सैटेलाइट से पावर मिल सके. निलेश देसाई के अनुसार, इस प्रक्रिया के लिए डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है, और अगले कुछ दिनों में इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाएगा.
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ISRO : भारत का स्पेस मास्टर!
ISRO ने अपने शुरुआती दिनों से ही अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और इनोवेशन पर जोर दिया है. SpaDeX जैसे मिशन इस बात का सबूत हैं कि भारत की अंतरिक्ष एजेंसी किसी से पीछे नहीं. SpaDeX मिशन की सफलता से ISRO ने यह दिखा दिया है कि वह न केवल अपने मौजूदा मिशनों को सफल बना रहा है, बल्कि भविष्य की जटिल चुनौतियों के लिए भी तैयार है.
SpaDeX मिशन ISRO के लिए एक मील का पत्थर है, लेकिन यह केवल शुरुआत है. ISRO अब इस तकनीक को और रिफाइन कर इसे आगामी मिशनों में लागू करने की योजना बना रहा है.