Hypersonic Missile of India: 21वीं सदी का 'ब्रह्मास्त्र' अब भारत के पास भी; क्या 'गेमचेंजर' साबित होगा? 5 बड़ी बातें
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Hypersonic Missile of India: 21वीं सदी का 'ब्रह्मास्त्र' अब भारत के पास भी; क्या 'गेमचेंजर' साबित होगा? 5 बड़ी बातें

DRDO Hypersonic Missile Test: डीआरडीओ ने भारत की पहली लंबी-दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल टेस्ट किया है. इस उपलब्धि ने भारत देश को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास ऐसी अहम और एडवांस्ड मिलिट्री टेक्नोलॉजी है.

Hypersonic Missile of India: 21वीं सदी का 'ब्रह्मास्त्र' अब भारत के पास भी; क्या 'गेमचेंजर' साबित होगा? 5 बड़ी बातें

India Hypersonic Missile Test: भारत ने पहली लंबी-रेंज की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल फ्लाइट-ट्रायल किया है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने 16 नवंबर को यह उपलब्धि हासिल की. ओडिशा तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ी गई हाइपरसोनिक मिसाइल 1,500 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसने भारत को चुनिंदा देशों के एलीट क्लब में शामिल करा दिया है. हाइपरसोनिक मिसाइल आखिर होती क्या है और कैसे बड़े-बड़े देश इनके जरिए रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में लगे हैं, आइए समझते हैं.

  1. हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है: 'हाइपरसोनिक' शब्द के मायने ऐसी रफ्तार से हैं जो ध्वनि की गति (Speed of Sound) से कम से कम पांच गुना अधिक हो. इसे Mach-5 भी कहते हैं. शुष्क हवा में ध्वनि की गति 343 मीटर/सेकंड होती है. इस लिहाज से हाइपरसोनिक मिसाइल की गति कम से कम एक मील प्रति सेकंड होनी चाहिए. हाइपरसोनिक मिसाइलों की एक खास बात यह होती है कि बीच रास्ते इनका रूट बदला जा सकता है. इसके उलट, बैलिस्टिक मिसाइलें एक तय कोर्स या ट्रेजेक्टरी पर चलती हैं.
  2. कितने तरह के हाइपरसोनिक वेपन: हाइपरसोनिक हथियार दो तरह के होते हैं: ग्लाइड वीइकल्स (HGVs) और क्रूज मिसाइलें (HCMs). HGVs रॉकेट से लॉन्च किए जाते हैं और ग्लाइड करके टारगेट तक पहुंचते हैं. जबकि HCMs अपने टारगेट को सेट करने के बाद एयर-ब्रीदिंग हाई-स्पीड इंजनों या 'स्क्रैमजेट' से चलते हैं.
  3. हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियतें: पारंपरिक हाइपरसोनिक हथियार, असुरक्षित लक्ष्यों या यहां तककि भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए केवल गतिज ऊर्जा, यानी गति से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं. वे बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में कम ऊंचाई पर उड़ते हैं. इसका फायदा यह है कि कुछ सतह-आधारित सेंसरों, जैसे कि रडार, के साथ लंबी दूरी पर उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है. चूंकि, हाइपरसोनिक हथियार बेहद तेज गति से चलते हैं, इसलिए उन्हें विकसित करने के लिए इंजीनियरिंग और फिजिक्स की तमाम चुनौतियों से उबरना पड़ता है. इन्हें बनाना बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में ज्यादा खर्चीला है.
  4. किन-किन देशों के पास हाइपरसोनिक मिसाइल: रूस और चीन हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने में सबसे आगे हैं. अमेरिका भी कई तरह के हाइपरसोनिक हथियार बना रहा है. इनके अलावा फ्रांस, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इजरायज और ईरान भी हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम विकसित करने में लगे हैं.
  5. हाइपरसोनिक मिसाइल 'गेमचेंजर' साबित होगी या नहीं: 2022 में, रूसी रक्षा मंत्रालय ने ऐलान किया था कि उसने यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में पहली बार हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया था. हाइपरसोनिक एरोबॉलिस्टिक मिसाइलों के साथ किंजल एविएशन मिसाइल सिस्टम ने मिसाइलों और विमानन गोला-बारूद से भरे एक बड़े भूमिगत गोदाम को नष्ट कर दिया था. अमेरिकी कंपनी - लॉकहीड मार्टीन - डिफेंस सेक्टर में बड़ा नाम है. उसकी वेबसाइट के मुताबिक, हाइपरसोनिक सिस्टम किसी भी देश की नेशनल सिक्योरिटी के लिए 'गेमचेंजर' साबित होते हैं. 

देखें: भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल फ्लाइट ट्रायल का वीडियो

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