Gold on Record High: सोने के साथ चांदी भी रिकॉर्ड लेवल बना रही है. सोने में तेजी का कारण इसमें सुरक्षित निवेश माना जा रहा है. आम आदमी के अलावा निवेश फर्म और अलग-अलग देशों के सेंट्रल बैंक भी इसमें निवेश कर रहे हैं.
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Gold Price Today: नया साल शुरू हुए डेढ़ महीने हुआ है और सोने के दाम हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहे हैं. पिछले करीब डेढ़ साल से सोने में तेजी का सिलसिला बिना किसी बड़ी गिरावट के जारी है. एक दिन पहले शुक्रवार (14 फरवरी) को सोने का दाम 1300 रुपये बढ़कर 89,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. यह सोने के दाम का अब तक का रिकॉर्ड हाई लेवल है. सोने के साथ चांदी भी रिकॉर्ड लेवल बना रही है. सोने में तेजी का कारण इसमें सुरक्षित निवेश माना जा रहा है. आम आदमी के अलावा निवेश फर्म और अलग-अलग देशों के सेंट्रल बैंक भी इसमें निवेश कर रहे हैं. यही कारण है कि कोरोना महामारी के बाद गोल्ड में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है.
2025 में अब तक 14 बार बना रिकॉर्ड
2025 की शुरुआत से अब तक गोल्ड का दाम 14 बार रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है. 14 फरवरी को यह कीमत चढ़कर 89,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल पर पहुंच गई. साल की शुरुआत में 1 जनवरी को यह रेट 78000 रुपये के करीब था. इस तरह डेढ़ महीने में ही सोना 14 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ गया है. सोने की लगातार चढ़ती कीमत से यह साफ है कि निवेशक और आम आदमी रिस्क कम ले रहा है और सुरक्षित निवेश के लिए सोने की तरफ रुख कर रहा है.
सेंट्रल बैंकों की डॉलर से दूरी
दुनिया के कई दिग्गज सेंट्रल बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार के तहत अमेरिकी डॉलर से हटाकर सोने में निवेश कर रहे हैं. चीन इस मामले में सबसे आगे है. चीन के सेंट्रल बैंक ने अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड में निवेश घटा दिया है और वह सोने की भारी खरीदारी कर रहा है. साल 2024 में नेशनल बैंक ऑफ पोलैंड ने सबसे ज्यादा सोना खरीदा. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार पोलैंड के केंद्रीय बैंक ने साल 2024 में 90 टन सोना खरीदा. भारत ने इस साल 72 टन सोना खरीदा.
सोना हमेशा से एक सुरक्षित विकल्प
सोने को हमेशा से ही एक सुरक्षित संपत्ति माना जाता रहा है. इसकी कीमत स्थिर रहने या बढ़ने पर यह निवेशकों के लिए बाजार की अनिश्चितता के बीच आकर्षक विकल्प बनता है. हाल के कुछ सालों में दुनिया ने कई बड़ी जंग को देखा है, इनमें रूस और ईरान जैसे देश शामिल हैं. रूस और यूक्रेन की जंग भी अभी जारी है. इसके अलावा मिडिल ईस्ट में भी तनाव बना हुआ है. साल 2024 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दर में कटौती और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के कारण सोने की कीमत में 30% की वृद्धि हुई. यह एक दशक के दौरान सोने का सबसे शानदार प्रदर्शन रहा.
ट्रंप की नीतियों से सोने की मांग बढ़ी
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने सोने की कीमत में चल रही तेजी और बढ़ावा दिया. निवेशक ट्रंप की व्यापारिक नीति और आर्थिक सुधार एजेंडे को लेकर चिंतित हैं. यही कारण है कि सोने की मांग बढ़ गई है. ट्रंप की नीतियां घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने, अमेरिकी कंपनियों के लिए अनुकूल माहौल बनाने, नौकरियां बढ़ाने और अमेरिकी इकोनॉमी को मजबूत करने पर फोकस्ड हैं. ट्रंप ने कॉर्पोरेट टैक्स दर को कम करने की वकालत की है, जिससे अमेरिका का कर्ज-टू-जीडीपी रेश्यो बढ़ सकता है. इसके अलावा चीन और अन्य देशों पर उनकी तरफ से लगाए गए टैरिफ ग्लोबल इकोनॉमी पर असर डाल सकते हैं.
महंगाई बढ़ेगी तो सोने में भी तेजी आएगी
अगर अमेरिका में महंगाई बढ़ती है और फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने को मजबूर होता है तो इससे सोने की कीमत में और उछाल आ सकता है. ट्रंप ने सभी आयातित वस्तुओं, जिनमें सोना भी शामिल है पर 10% टैरिफ लगाने की धमकी दी है. इस डर से न्यूयॉर्क के ट्रेडर्स ने लंदन से बड़ी मात्रा में सोने की डिलीवरी लेनी शुरू कर दी. रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यूयॉर्क के कॉमेक्स एक्सचेंज में 393 मीट्रिक टन सोना आयात किया गया. इसेस वहां के सोने का भंडार COVID-19 महामारी के शुरुआती दिनों की तरह हाई लेवल पर पहुंच गया.
सोने की निकासी में इजाफा
बढ़ती मांग के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड से सोने की निकासी की प्रतीक्षा अवधि कुछ दिनों से बढ़कर चार हफ्ते तक हो गई है. बैंक ऑफ इंग्लैंड, जो दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड रिजर्व रखने वाले बैंकों में से एक है ने नवंबर-दिसंबर के बीच सोने की निकासी में इजाफा देखा. इस बीच, दूसरे प्रमुख केंद्रीय बैंक भी जमकर सोना खरीद रहे हैं. उनकी चिंता का कारण ट्रंप सरकार में अमेरिका की नीतियां हैं. इन देशों को चिंता है कि अमेरिका उनकी संपत्तियों को जब्त और फ्रीज कर सकता है. रूस की तरफ से यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद अमेरिका ने रूस के 600 बिलियन डॉलर के भंडार को फ्रीज कर दिया.