'शिंदे की सेना' ने रचा ऐसा चक्रव्यहू, 'बाला साहेब ठाकरे स्मारक' को छू नहीं पाएगा उद्धव परिवार, अब तक क्या हुआ? जानें सबकुछ
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'शिंदे की सेना' ने रचा ऐसा चक्रव्यहू, 'बाला साहेब ठाकरे स्मारक' को छू नहीं पाएगा उद्धव परिवार, अब तक क्या हुआ? जानें सबकुछ

Balasaheb Thackeray Memorial Row: महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे स्मारक को लेकर राजनीति तेज हो गई है. उद्धव ठाकरे ने कभी कल्पना नहीं की होगी कि अपने पिता के नाम पर बनाए गए स्मारक से भी उनके परिवार का नाम हटाने की मांग हो सकती है. लेकिन यह सच है. अगर मुख्यमंत्री ने मांग स्वीकार कर ली तो  'बाला साहेब ठाकरे स्मारक' से उद्धव ठाकरे परिवार का नाम मिट जाएगा. जानें आखिर 'शिंदे की सेना' ने कैसे रचा ये चक्रव्यहू.

'शिंदे की सेना' ने रचा ऐसा चक्रव्यहू, 'बाला साहेब ठाकरे स्मारक' को छू नहीं पाएगा उद्धव परिवार, अब तक क्या हुआ? जानें सबकुछ

 Balasaheb Thackeray Memorial: शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के राष्ट्रीय स्मारक (बालासाहेब ठाकरे स्मारक) का पहला चरण पूरा हो गया है. दूसरे चरण का काम 23 जनवरी 2026 को यानि बालासाहेब ठाकरे की जन्म शताब्दी से पहले पूरा कर लिया जाएगा और उसका उद्घाटन किया जाएगा. लेकिन इसके पहले महाराष्ट्र में इस स्मारक को लेकर माहौल गरमा गया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों ने यह संदेश दे दिया है कि उद्धव ठाकरे से बाला साहब ठाकरे की राजनीतिक विरासत पूरी तरह छिन गई है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना पर महाराष्ट्र की जनता ने भरोसा कर लिया है. अब 'शिंदे की सेना' की नजर बालासाहेब ठाकरे के राष्ट्रीय स्मारक पर है. यहां से भी उद्धव ठाकरे के परिवार का नाम हटाने के लिए शिंदे सेना जुट गई है. सबसे पहले जाने बालासाहेब ठाकरे के राष्ट्रीय स्मारक के बारे में.

बालासाहेब ठाकरे के राष्ट्रीय स्मारक
17 नवंबर 2012 को शिवाजी पार्क में शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का अंतिम संस्कार किया गया था. तब यह एक अस्थायी स्मारक विकसित किया गया था. जिसे भव्य स्मारक के रूप में विकसित करने को लेकर सभी पार्टियां एकमत थीं. स्मारक को भव्य स्वरूप देने की योजना फडणवीस के मुख्यमंत्री काल में शुरू हुई, जब राज्य सरकार ने मेयर बंगले में 400 करोड़ रुपये के स्मारक के लिए हरी झंडी दी. 6056 वर्गमीटर में फैले इस परियोजना में बालासाहेब ठाकरे के कामों को प्रदर्शित किया गया है.

सरकारें बदलती रहीं, शिलान्यास की डेट बदलती रही
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे पहले स्मारक का शिलान्यास समारोह 2022 में आयोजित करने का फैसला गिया गया, फिर सरकार बदल गई. अब यह कार्य 2026 में पूरा होगा और उद्घाटन के समय जो सरकार सत्ता में होगी, उसे इसका श्रेय दिया जाएगा. उद्धव ठाकरे ने बयान दिया था कि वे उद्घाटन समारोह में सभी को आमंत्रित करेंगे, सिवाय उन लोगों के जिन्होंने बालासाहेब के विचारों को त्याग दिया है. उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद शिंदे गुट आक्रामक हो गया है और रचा ऐसा चक्रव्यूह की अगर सीएम ने शिंदे गुट की मांग मान ली तो ठाकरे परिवार का नाम भी इस स्मारक से हट जाएगा.

पहले जानें बालासाहेब ठाकरे स्मारक को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ है...बालासाहेब ठाकरे स्मारक के संबंध में अब तक वास्तव में क्या हुआ है? बालासाहेब ठाकरे मेमोरियल के अध्यक्ष कौन हैं?

- शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का 2012 में निधन हो गया और फिर 2014 में जब फडणवीस सरकार सत्ता में आई तो सरकार ने स्मारक बनाने के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया.

- उस समय इस समिति में कोई राजनीतिक नेता या जनप्रतिनिधि नहीं थे. 2014 में लिए गए सरकारी निर्णय के अनुसार, महाराष्ट्र के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी.

- समिति ने इस स्मारक के लिए दादर स्थित मुंबई महापौर के बंगले की जगह की सिफारिश की.

- सितंबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने स्मारक के लिए न्यासी बोर्ड को मंजूरी दी थी. उसके बाद फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को बालासाहेब ठाकरे मेमोरियल ट्रस्ट का अध्यक्ष घोषित किया.

- इस निर्णय के अनुसार समिति में राजनीतिक नेता भी शामिल होने लगे. इसमें ठाकरे परिवार के करीबी सुभाष देसाई को सदस्य सचिव और आदित्य ठाकरे को सदस्य नियुक्त किया गया. स्मारक के वास्तुकार शशिकांत प्रभु भी इसमें शामिल थे. इन सभी सदस्यों की नियुक्ति 5 वर्ष की अवधि के लिए की गई है.

- इसके बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने. लेकिन मुख्यमंत्री बनने से कुछ दिन पहले यानी 25 नवंबर 2019 को उन्होंने ट्रस्ट और समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

- इसके बाद, 2020 में ठाकरे सरकार द्वारा लिए गए सरकारी निर्णय के अनुसार आदित्य ठाकरे को ट्रस्ट अध्यक्ष नियुक्त किया गया. सरकार के इस निर्णय के अनुसार, सुभाष देसाई को इस समिति में पुनः सदस्य सचिव तथा शशिकांत प्रभु को सदस्य नियुक्त किया गया. यह नियुक्ति भी पांच वर्ष के लिए की गई है. इसलिए, वर्तमान में आदित्य ठाकरे इस समिति के अध्यक्ष हैं.

शिंदे गुट ने कौन सा रचा चक्रव्यूह?
अब शिंदे गुट के नेताओं की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बालासाहेब ठाकरे स्मारक के अध्यक्ष पद से हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. शिंदे गुट के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने बताया कि शिंदे गुट अब इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष रखने वाले हैं. इसलिए शिंदे गुट और ठाकरे गुट के बीच फिर मुकाबला होने की संभावना है. इस बीच, नवंबर 2022 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी विधान परिषद सदस्य प्रसाद लाड ने मांग की थी कि राज्य सरकार स्मारक को अपने कब्जे में ले. तब भी बहुत बड़ी बहस हुई थी. इस बार क्या होगा, यह आने वाला समय बताने वाला है.

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