Bollywood Music Songs: आज का दौर भले ही फिल्म संगीत का सबसे खराब समय हो, लेकिन एक वक्त सैकड़ों हिंदी फिल्में सिर्फ गानों की वजह से सिनेमाघरों में खूब चली. गानों ने कई नॉन-एक्टरों को फिल्मों में स्टार का दर्जा दिलाया. हिंदी फिल्मों के गाने दशकों तक लोगों के सुख-दुख की कहानी कहते रहे.
Trending Photos
Anand Bakshi Lyrics: अच्छे गाने लोगों की धड़कन बन जाते हैं. हिंदी सिनेमा में आज गीत-संगीत अपने सबसे खराब दौर में है, लेकिन एक दौर बहुत सुंदर था. गाने फिल्मों की जान होते थे और सुनने वालों की जिंदगी का हिस्सा बन जाते थे. यही वजह है कि अपने खूबसूरत गीतों के लिए सैकड़ों पुरस्कार और ट्रॉफी जीतने वाले गीतकार आनंद बक्षी के जीवन में अपने पास आई एक चिट्ठी बेहद कीमती थी. 1974 में निर्देशक दुलाल गुहा की फिल्म आई थी, दोस्त. फिल्म में धर्मेंद्र-हेमा मालिनी के साथ शत्रुघ्न सिन्हा भी थे. अमिताभ बच्चन फिल्म में छोटी-सी गेस्ट भूमिका में थे. जिसके लिए उन्हें पर्दे पर क्रेडिट भी नहीं दिया गया था.
गाड़ी का नाम न कर बदनाम
फिल्म में गाना था, ‘गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है’. आनंद बक्षी का लिखा यह गाना किशोर कुमार ने गाया था. फिल्म की रिलीज के कुछ समय बाद एक दिन आनंद बक्षी के पास उनके बेटे राकेश एक लिफाफा लेकर आए. आनंद बक्षी ने लिफाफा खोला तो उसमें एक व्यक्ति का पत्र था. व्यक्ति ने लिखा थाः मैं अपनी जिंदगी से तंग आ गया था. मेरे पास काम नहीं था. आमदनी नहीं थी. मुझे पता नहीं था कि मैं घर वापस कैसे जाऊं. तब मैंने सोचा कि रेल की पटरी पर जाकर लेट जाऊं. मैं गया और रेल की पटरी पर लेट गया. ट्रेन का इंतजार करने लगा कि ट्रेन मेरे ऊपर से गुजर जाएगी और मैं जिंदगी की सब झंझटों से मुक्त हो जाऊंगा. पर उसी रेलवे ट्रेक के किनारे एक बस्ती थी, जहां रेडियो पर गाना बज रहा था... गाड़ी बुला रही है. थोड़ी देर में गाने की ये लाइनें मेरे कानों में पड़ी... ‘गाड़ी का नाम न कर बदनाम/पटरी पे रख के सिर को/हिम्मत न हार कर/कर इंतजार/आ लौट जाएं घर को’. यह सुनने के बाद जान देने का मेरा इरादा खत्म हो गया और मैं घर लौट आया.
अवार्ड-रिवार्ड से बड़ा इनाम
इस शख्स ने आगे लिखा कि आपकी वजह से मेरा पुनर्जन्म हुआ है और मेरी आगे की जिंदगी का श्रेय आपको ही जाता है. अगर आपने यह गाना नहीं लिखा होता, तो उस रोज मैं रेल से कट कर मर गया होता. यह चिट्ठी पढ़ कर आनंद बक्षी भावुक हो गए और उन्होंने वह लिफाफा लेकर आए अपने बेटे से कहा कि भले ही मुझे बहुत सारे अवार्ड-रिवॉर्ड मिले, बहुत दौलत-शोहरत मिली, लेकिन यह खत मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा इनाम है. मेरी जिंदगी होने के सबसे हसीन मायनों में से एक है. उन्होंने इस चिट्ठी को बहुत प्यार से चूमा और उसे अपनी शर्ट की जेब में रख कर वहां से चले गए.
ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर