Jaani Dushman-Ek Anokhi Kahani: इस फिल्म को बीस साल हो चुके हैं. लेकिन जानी दुश्मन: एक अनोखी कहानी की तारीफ करने वाली गिनती के दर्शक ही आपको मिलेंगे. अपने दौर के चर्चित सितारों से सजी फिल्म को दर्शकों की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
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Armaan Kohli Films: बॉलीवुड में नेपोटिज्म न तो छुपी हुई बात है और न ही नई बात. तमाम प्रोड्यूसर-डायरेक्टर-एक्टर अपने बच्चों को पर्दे पर चमकता देखना चाहते हैं और उनके लिए करोड़ों रुपये खर्च करके फिल्म भी बनाते हैं. कई बार तो पहली बार न चलने पर दूसरी बार और कभी तीसरी-चौथी बार तक बेटे-बेटियों के लिए फिल्म बनाने में पीछे नहीं रहते. 1970 और 1980 के दशक के चर्चित निर्देशक राजकुमार कोहली ने अपने बेटे अरमान कोहली को फिल्मों में तीन बार लॉन्च किया मगर हर बार नाकामी मिली. 1992 में राजकुमार ने बेटे को फिल्म विरोधी से लॉन्च किया फिल्म नहीं चली, इसके बाद बेटे को औलाद के दुश्मन (1993) में रीलॉन्च किया. उसका भी वही हाल हुआ. इसके बाद अरमान फिल्मों में संघर्ष करते रहे और अंततः पिता की कहर (1997) में पुनः नाकामी के बाद लंबा ब्रेक ले लिया.
एक अनोखी कहानी
शुरुआती नाकामियों से निराश होकर फिल्मों से दूर हो गए अरमान कोहली को करीब आठ साल बाद उनके पिता ने फिल्म जानी दुश्मनः एक अनोखी कहानी में तीसरी बार लॉन्च किया. फिल्म को हिट बनाने के लिए राजकुमार कोहली ने हर पैंतरा आजमाया. फिल्म बॉलीवुड के उस समय के दर्जन भर सितारों से सजी थी. राजकुमार कोहली ने नागिन (1976) और जानी दुश्मन (1979) जैसी बड़ी हिट फिल्में दी थीं. उन्होंने इन दोनों फिल्मों को मिक्स करके जानी दुश्मनः एक अनोखी कहानी बनाई. फिल्म में अरमान कोहली इच्छाधारी नाग बने. फिल्म से रीलॉन्चिंग के लिए अरमान का नाम तक बदला गया. उनका नाम रखा गया, मुनीश कोहली.
सितारे ही सितारे
जानी दुश्मनः एक अनोखी कहानी (2002) में बॉलीवुड में उस समय के तमाम छोटे-बड़े चमकते नाम थे. सनी देओल, सुनील शेट्टी, अक्षय कुमार, आदित्य पंचोली, अरशद वारसी, मनीषा कोइराला, सोनू निगम, आफताब शिवदासानी, राज बब्बर, किरण कुमार, रजा मुराद, अमन वर्मा, जॉनी लीवर से लेकर अमरीश पुरी तक गेस्ट रोल में आ गए थे. फिल्म ऐसे इच्छाधारी नाग की कहानी थी, जो किसी वजह से एक युवती का मनुष्य जन्म ले चुकी अपनी नागिन से रेप करने वालों से बदला लेता है. हालांकि बाद में उसके सामने राज खुलता है कि जिन्हें उसने मारा, वे लोग इस हादसे के पीछे नहीं थे. बड़े-बड़े सितारों की वजह से फिल्म को ओपनिंग तो बढ़िया लगी, लेकिन दर्शकों को कहानी जरा भी पसंद नहीं आई और फिल्म की तीखी आलोचना हुई. नतीजा यह कि दर्शकों की संख्या लगातार कम होती गई और अंततः फिल्म फ्लॉप रही. फिल्म का बजट 18 करोड़ था मगर अच्छी ओपनिंग की वजह से यह लागत निर्माता की जेब में वापस आ गई. लेकिन फिल्म की गिनती बीते ढाई-तीन दशक के हिंदी सिनेमा की सबसे कमजोर फिल्मों में की जाती है.
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