Sky Force Review: अक्षय कुमार, वीर पहाड़िया, निम्रत कौर, सारा अली ख़ान, वरुण बडोला और शरद केलकर आदि सितारों से सजी फिल्म स्काई फोर्स सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. 26 जनवरी के मौके पर रिलीज हुई फिल्म का पढ़िए रिव्यू.
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निर्देशक: संदीप केवलानी, अभिषेक अनिल कपूर
स्टार कास्ट : अक्षय कुमार, वीर पहाड़िया, निम्रत कौर, सारा अली ख़ान, वरुण बडोला और शरद केलकर आदि
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में
स्टार रेटिंग: 4
बिना लाग लपेट के लिखा जाये तो एक लाइन में यही लिख सकते हैं कि इस 26 जनवरी पर इससे बेहतर कोई और फिल्म नहीं हो सकती. फ़िल्म स्काई फ़ोर्स कहानी है इण्डियन एयरफ़ोर्स के एक ऐसे गुमनाम महानायक की, जिसका 23 साल से कोई सुराग ही नहीं मिला और मिला तो फ़ोर्स का ही नहीं समूचे देश के लिए वो महानायक बन गया.
चूंकि कहानी एकदम सच्ची है, इसलिए लोगों को कहानी ही इतनी अपीलिंग लगी कि फ़िल्म के बाक़ी सारे क्राफ्ट उसके सामने छोटे पड़ गये. मूवी में अक्षय कुमार का रोल इण्डियन एयरफ़ोर्स के मुख्य ट्रेनर जैसा है जो उनकी टाइगर फ़ोर्स का नेतृत्व करते हैं, नाम है ग्रुप कैप्टेन आहूजा. उनके साथ डीके विजया (असली में एबी देवैया) उनके जूनियर पायलट हैं , जो अक्सर देशभक्ति के जुनून में अपनी हदें तोड़ने के लिए सबके निशाने पर रहते हैं. ये रोल वीर पहाड़िया ने निभाया है.
फिल्म की कहानी
1965 के युद्ध में सनी देओल की फ़िल्म ‘बॉर्डर’ में जैकी श्रॉफ़ की अगुआई में एयरफ़ोर्स की एक यूनिट क्लाइमेक्स में इण्डियन आर्मी की मदद के लिए अचानक आकर पाक सेना पर क़हर बरपा देती है. उसी मूवी में ये भी दिखाया गया था कि कैसे भारत को पाक एयर स्ट्राइक की खबर थी, सो विमानों को हेंगर में सुरक्षित छिपा दिया गया गया था. आलिया भट्ट की मूवी ‘राजी’ में भी इसी लाइन पर कहानी आगे बढ़ती है. हालाँकि ‘स्काई फ़ोर्स’ में दिखाया गया कि पाकिस्तानी इतना क़हर बरपाते हैं कि कई विमान नष्ट हो जाते हैं और एक शानदार पायलट भी मारा जाता है.
उसके बाद कैप्टेन आहूजा की टीम पाकिस्तान के पंजाब में सरगोधा एयरबेस पर हमला करने की योजना को अंजाम देते हैं, जिसे भारत की पहली एयर स्ट्राइक कहा जाता है, वहाँ खड़े 11 अमेरिकी नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को नष्ट कर पाक के एयर अटैक की कमर तोड़ देते हैं. लेकिन उस एयर स्ट्राइक में विजया के ना होने के बाबज़ूद उनकी एक करामात अमेरिका के दिग्गज वॉर फ़ेयर एक्सपर्ट्स को उसके बारे में लिखने पढ़ने को मजबूर कर देती है. लेकिन भारत की नज़रों में वो एक लापरवाह सैनिक अधिकारी हैं, जो कहीं ग़ायब हो गये हैं.
एक्टिंग: वीर पहाड़िया की तारीफ तो बनती है
अब कहानी उनके इंतजार में उनकी पत्नी गीता (सारा अली ख़ान) और उनको ढूंढने में लगे आहूजा (अक्षय) के साथ इमोशनली आगे बढ़ती है. देशभक्ति के अलावा इस मूवी के दो सबसे मज़बूत पॉइंट्स हैं इमोशंस और एयर फाइटिंग के कुछ बेहतरीन सीन्स, उसमें म्यूजिक व गीतों के बोल और ज़्यादा इमोशंस भर देते हैं. बात करें वीर पहाड़िया की तो उन्होंने खास छाप छोड़ी है. नए होने के बावजूद उनकी एक्टिंग में दम दिखता है. उनके काम को देखकर आप कह सकते हैं कि वह लंबी रेस के घोड़े हैं. जिन्होंने पहली ही फिल्म से इंप्रेस किया है. सबसे जरूरी पॉइंट ये था कि वीर पहाड़िया के सामने एक्टिंग जगत के कई बड़े सितारे थे लेकिन उन्होंने अपना काम ईमानदारी से किया और तारीफ के काबिल बने.
म्यूजिक और पटकथा
तनिष्क बागची का म्यूजिक मनोज मुंतशिर और इरशाद कामिल के बोल कहानी को इमोशनली दर्शक से जोड़ते हैं. तारीफ़ पटकथा की भी बनती है, क्योंकि कहां कब कितना बताना है, फ़्लैशबैक में कब कितना जाना है और सस्पेंस कैसे बरकरार रखना है, उसके लिए ये रणनीति ज़रूरी थी.
अक्षय, वीर और सारा की तारीफ़ करनी पड़ेगी
ज़ाहिर है इन सबको जोड़ने में दोनों निर्देशकों की भी भूमिका थी, लेकिन एक्टिंग के लिए भी अक्षय, वीर और सारा की तारीफ़ करनी पड़ेगी. अक्षय की पत्नी के रोल में निम्रत कौर भी निराश नहीं करतीं. पाकिस्तानी अधिकारी की भूमिका में शरद केलकर भी हमेशा की तरह बेहतरीन हैं. सारा और अक्षय के बीच के संवाद व सीन्स भी फ़िल्म को ड्राइव करते हैं. लेकिन ज़्यादा ज़रूरी था उस महानायक की कहानी को पर्दे पर लाना, जो एयरफ़ोर्स का पहला जाँबाज़ था जिसे मृत्यु के बाद महावीर चक्र मिला था और वो भी मौत के 23 साल बाद.
क्यों देखनी चाहिए
सो मौक़ा अच्छा है देशभक्ति के माहोल में परिवार के साथ इस गणतंत्र दिवस पर इस गुमनाम नायक की कहानी को बड़े पर्दे पर देखने का. कुछ लोग इसे ऋतिक दीपिका की पिछले साल आयी ‘फाइटर’ से जोड़कर देख सकते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं.