मुंबई हाईकोर्ट में JEE Mains 2023 को स्थगित करने और 75% Eligibility के खिलाफ दायर हुई याचिका
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मुंबई हाईकोर्ट में JEE Mains 2023 को स्थगित करने और 75% Eligibility के खिलाफ दायर हुई याचिका

JEE Mains 2023: जनहित याचिका में कहा गया है "अधिकांश राज्यों के बोर्डों ने जनवरी 2023 के महीने में अपनी प्री-बोर्ड और बोर्ड परीक्षाएं निर्धारित की हैं. इसलिए, छात्रों को मेंस परीक्षा में शामिल होने में मुश्किल होगी.

मुंबई हाईकोर्ट में JEE Mains 2023 को स्थगित करने और 75% Eligibility के खिलाफ दायर हुई याचिका

JEE Mains 2023: जनवरी महीने में आयोजित होने वाली जेईई मेन 2023 (JEE Mains 2023) की परीक्षा को रीशेड्यूल करने के लिए सोमवार ,26 दिसंबर 2022 को मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. जनहित याचिका में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से 75 प्रतिशत की एलिजिबिलिटी को हटाने का भी आग्रह किया गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह याचिका एक्टिविस्ट अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के खिलाफ दायर की है. सहाय ने दावा किया है कि जनवरी में कक्षा 12वीं के छात्रों की प्रैक्टिकल परीक्षाएं, वायवा (Viva) आदि होंगे, जो जेईई मेन 2023 की परीक्षाओं के साथ होंगी. सहाय ने यह भी कहा कि एनडीए एसएसबी का इंटरव्यू (NDA SSB Interview) 23 से 27 जनवरी 2023 के बीच आयोजित किया जाना है, जो जेईई मेन 2023 की परीक्षा (24 से 31 जनवरी, 2023 के बीच निर्धारित) के साथ क्लैश कर रहे हैं. यहां तक कि एचएससी (HSC), सीबीएसई (CBSE), आईसीएसई (ICSE) की कक्षा 12वीं की परीक्षाएं भी 1 फरवरी से शुरू होने वाली हैं, ऐसे में जेईई की परीक्षा का आयोजन करना कक्षा 12वीं के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा.

जनहित याचिका में कहा गया है "अधिकांश राज्यों के बोर्डों ने जनवरी 2023 के महीने में अपनी प्री-बोर्ड और बोर्ड परीक्षाएं निर्धारित की हैं. इसलिए, छात्रों को मेंस परीक्षा में शामिल होने में मुश्किल होगी. ऐसे में जनवरी 2023 में मेंस परीक्षा की योजना छात्रों लिए गैर-लाभकारी है क्योंकि वे परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे."

सहाय ने यह भी दावा किया कि आमतौर पर प्रवेश परीक्षा की तारीखें परीक्षा से तीन से चार महीने पहले जारी की जाती हैं, लेकिन चूंकि इस बार इसका पालन नहीं किया गया, इसलिए जेईई मेन 2023 परीक्षा को अप्रैल 2023 तक के लिए टाल दिया जाना चाहिए.

पीआईएल में आगे कहा गया है "जनहित याचिका ने अधिकारियों से 75 प्रतिशत की एलिजिबिलिटी को हटाने का भी आग्रह किया क्योंकि "छात्रों द्वारा प्राप्त अंक उनकी वास्तविक क्षमता का सही प्रतिबिंब नहीं है, इसलिए इस वर्ष की परीक्षाओं के लिए एलिजिबिलिटी (75%) से कम अंक प्राप्त करने वाले छात्र भी बहुत अधिक स्कोर कर सकते हैं." ऐसे में अगर आगामी जेईई मेंस 2023 की परीक्षा से एलिजिबिलिटी से कम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को वंचित किया जाता है, तो यह लाखों छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा."

एनटीए द्वारा दिसंबर में जेईई मेंस रजिस्ट्रेशन और परीक्षा की तारीखों की घोषणा के बाद से छात्र सोशल मीडिया पर जेईई मेंस को पोस्टपोन करने व 75 प्रतिशत की एलिजिबिलिटी को हटाने के लिए आवाज उठा रहे हैं.

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