DNA: पुणे केस में छोटा राजन कनेक्शन, बिना नंबर प्लेट जिम्मेदार कौन
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DNA: पुणे केस में छोटा राजन कनेक्शन, बिना नंबर प्लेट जिम्मेदार कौन

Pune Case: अजय भोसले पर छोटा राजन को सुपारी देकर फायरिंग कराने का ये मामला मुंबई की सीबीआई कोर्ट में चल रहा है. अजय का आरोप है कि आरोपी नाबालिग के परिवार की प्रवृति ही आपराधिक रही है.

DNA: पुणे केस में छोटा राजन कनेक्शन, बिना नंबर प्लेट जिम्मेदार कौन

पुणे के हिट एंड रन केस में नाबालिग आरोपी की आज जमानत रद्द हो गई. अब नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेजा जायेगा. लेकिन आज इस केस में एक और बड़ा चौंकाने वाला खुलासा हुआ. पता चला है कि नाबालिग के परिवार का अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन रहा है. और नाबालिग का परिवार अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को सुपारी तक दे चुका है.

ये खुलासा शिवसेना नेता अजय भोसले ने किया है, जिनका दावा किया है कि नाबालिग आरोपी का परिवार आपराधिक प्रवृति का है. जिसने सुपारी देकर उनपर हमला भी कराया था.

- नवंबर 2009 में अजय भोसले पर फायरिंग हुई थी.
- फायरिंग में अजय भोसले बाल-बाल बच गए थे.
- इस केस में पुलिस ने दो हमलावरों को अरेस्ट किया
- दोनों को फायरिंग का ऑर्डर छोटा राजन से मिला था
- उस समय छोटा राजन थाईलैंड में पनाह लिए हुए था
- छोटा राजन को सुरेंद्र अग्रवाल ने अजय की सुपारी दी थी
- सुरेंद्र अग्रवाल पुणे हिट एंड रन केस के नाबालिग आरोपी का दादा है.

आरोपी के पिता को 3 दिन की पुलिस कस्टडी में

अजय भोसले पर छोटा राजन को सुपारी देकर फायरिंग कराने का ये मामला मुंबई की सीबीआई कोर्ट में चल रहा है. अजय का आरोप है कि आरोपी नाबालिग के परिवार की प्रवृति ही आपराधिक रही है. इसलिए मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. आज ही पुणे हिट एंड रन केस में दो और डेवलेपमेंट हुई. पहली नाबालिग आरोपी के पिता को 3 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया. दूसरा नाबालिग आरोपी को व्यस्क मानकर केस चलाने को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई.

इस सबके बीच एक चौंकाने वाला सच भी सामने आया. जिस कार से नशे में धुत्त नाबालिग ने दो IT प्रोफेशनल की जान ली, उस लग्जरी पोर्शे कार का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ था. पिछले करीब ढाई महीने से पोर्शे कार पुणे की सड़कों पर दौड़ रही थी . कार का रजिस्ट्रेशन इसलिए नहीं हुआ था, कि करोड़ों रुपये कीमत की कार की 1758 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस नहीं चुकाई गई थी.

जांच में ये बात सामने आई है, कि 18 अप्रैल को कार RTO लाई गई थी. जहां इंस्पेक्शन किया गया और कार मालिक ने मनपसंद नंबर के लिए 45 हज़ार रुपये फीस अदा की गई. लेकिन रजिस्ट्रेशन फीस 1758 रुपये नहीं दी . जिस वजह से पोर्शे कार का रजिस्ट्रेशन रुक गया था. कर्नाटक में कार का Temporary रजिस्ट्रेशन हुआ था. लेकिन इससे सिर्फ RTO तक जाया जा सकता था.

लेकिन नाबालिग आरोपी पिछले करीब ढाई महीने से कार को शहर में दौड़ा रहा था. सवाल है कि नियमों को ताक पर रखकर बिना नंबर प्लेट की कार शहर में कैसे दौड़ रही थी ? बिना हेलमेट पहने बाइक सवारों को ट्रेफिक पुलिस दौड़कर पकड़ती है. सीट बेल्ट ना लगाने पर फौरन कार सवारों को रोक लिया जाता है. ट्रेफिक पुलिसकर्मी छोटी-छोटी गलतियों पर आम लोगों का चालान काट देते हैं.

ऐसे में क्या ट्रेफिक पुलिसवालों को बिना नंबर प्लेट की लग्जरी कार दिखाई नहीं दी. किसी शहर में बिना नंबर कोई वाहन ना चलाया जाए, इसकी मुख्य तौर पर तीन विभागों की जिम्मेदारी होती है.

- शहर की स्थानीय पुलिस
- शहर की ट्रैफिक पुलिस
- शहर का परिवहन विभाग

किसी भी राज्य में बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के वाहन चलाना कानून अपराध है, जिसके लिए जुर्माने और सजा का प्रावधान है. लेकिन पुणे में पोर्शे कार का ना चालान किया गया, ना कार मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई. जबकि मोटर वाहन अधिनियम के तहत

- पहली बार अपराध पर 5 हज़ार रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है.
- जबकि दूसरी बार अपराध पर जुर्माने के साथ 1 वर्ष की जेल हो सकती है.

पुणे में पोर्शे कार मालिक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. हालांकि, अब पुलिस ने नाबालिग आरोपी पर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 भी लगाई है, दूसरी तरफ पुणे का परिवहन विभाग कार्रवाई की तैयारी में है. जिसके तहत नाबालिग को ड्राइविंग लाइसेंस 25 वर्ष की उम्र तक नहीं दिया जायेगा, साथ ही एक वर्ष के लिए पोर्शे कार के रजिस्ट्रेशन पर रोक रहेगी.

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