Sunny Deol Film: सनी देओल और विवेक ओबेराय एक समय बड़े स्टार थे. लेकिन गलत फिल्मों के चुनाव और कमजोर डायरेक्टरों के साथ काम करने से उनके करियर को नुकसान पहुंचा. उन्होंने कतार से फ्लॉप फिल्में दीं. फिल्म नक्शा में दोनों ने महाभारत के महारथी कर्ण के कवच-कुंडल तो ढूंढ लिए, मगर दर्शक खो दिए.
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Vivek Oberai Film: नक्शा 2006 में आई ऐसी फिल्म थी, जो बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई. यह एक्शन एडवेंचर फिल्म थी और 2003 की अमेरिकन फिल्म द रनडाउन का रीमेक थी. यह भी कहा गया कि फिल्म की कहानी वॉल्ट डिज्नी की सीरिज इंडियाना जोन्स से प्रेरित थी. बदलाव सिर्फ इतना किया गया कि फिल्म की कहानी को भारतीय पुराण कथाओं से जोड़कर दिखाया गया. फिल्म में सनी देओल, विवेक ओबेरॉय, समीरा रेड्डी तथा जैकी श्रॉफ की मुख्य भूमिकाएं थी. सचिन बजाज निर्देशक किया थे. आलोचकों द्वारा भी फिल्म को काफी नकारात्मक समीक्षाएं मिली. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ढह गई. 22 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म का वर्ल्डवाइड कलेक्शन मात्र 10 करोड़ का रहा.
कर्ण के कवच-कुंडल
जैसा फिल्म के नाम से ही पता चलता है कि फिल्म की कहानी एक नक्शे से संबंधित थी. कहानी में आए इस नक्शे में एक अदभुत शक्ति का राज है. यह राज महाभारत के कर्ण से जुड़ा है. नक्शे में उस जगह का वर्णन है, जहां कर्ण के कवच और कुंडल अब भी मौजूद हैं. इस कवच में वही शक्तियां हैं, जो शक्तियां कर्ण के पास थी. फिल्म में बताया गया था कि इस कवच को पहनने वाला व्यक्ति कर्ण के समान शक्तिशाली और अजेय हो जाएगा. कवच को अपनी शक्तियों के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है, जो सूर्यास्त के समय खो जाती. विक्की (विवेक ओबेरॉय) के पिता इस कवच-कुंडल वाली जगह को जानते हैं और उस जगह का नक्शा बनाते हैं. नक्शे को पाने के लिए कुछ लोग उनकी हत्या कर देते हैं. विवेक ओबेरॉय अपने पिता के अधूरे मिशन को अपने सौतेले भाई वीर (सन्नी देओल) के साथ मिलकर पूरा करने की कोशिश करता है. लेकिन उनका यह मिशन बाली (जैकी श्रॉफ) के कारण मुश्किल में पड़ जाता है, जो नक्शे को चुराकर भाग जाता है. किस तरह से विक्की और वीर, बाली से नक्शे को पाने में सफल होते हैं और अपने पिता के आखिरी मिशन को पूरा करते हैं, यही फिल्म की कहानी थी.
पहली और आखिरी फिल्म
फिल्म के फ्लॉप होने की सबसे बड़ी वजह कहानी का ट्रीटमेंट था. पहले भाग में कॉमेडी, रोमांस और भाई का भाई से मिलना, यही सब दिखाया गया. फिल्म के दूसरे भाग में असली कहानी शुरू होती है. इस कारण से फिल्म न तो बॉलीवुड का मसाला रही और न ही पूरी तरह से फैंटेसी. कहानी तथा स्क्रिप्ट में काफी झोल थे. सचिन बजाज द्वारा निर्देशित यह पहली और आखिरी फिल्म थी. इस फिल्म के बाद उन्होंने कोई और फिल्म निर्देशित नहीं की.
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