Nayra Energy Petrol Offer: प्राइवेट कंपनियां रिटेल ही थोक प्राइस पर भी छूट दे रही हैं. सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी घटने से छोटे शहरों में इन कंपनियों की पकड़ मजबूत हो रही है. गुजरात, महाराष्ट्र और यूपी में प्राइवेट कंपनियों की रणनीति का ज्यादा असर देखने को मिल रहा है.
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Petrol Diesel Price Offer: एक साल से भी ज्यादा समय से तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. लेकिन प्राइवेट कंपनियों ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सस्ते दाम पर पेट्रोल बेच रही हैं. जी हां, इस पॉलिसी के जरिये प्राइवेट ऑयल कंपनियां सरकारी कंपनियों के मुकाबले बाजार में पकड़ मजबूत कर रही हैं. इसका असर यह हो रहा है कि बाजार में प्राइवेट कंपनियों की हिस्सेदारी पहले के मुकाबले बढ़ रही है. नायरा जैसे तेल कंपनियां ने कुछ जगह पेट्रोल-डीजल के रेट 5 रुपये लीटर तक घटा दिये गए हैं.
छोटे शहरों में प्राइवेट कंपनियों की पकड़ मजबूत हो रही
दूसरी तरफ सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल (IOCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) और भारत पेट्रोलियम (BPCL) की तरफ से मार्च 2024 से कीमत में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया. प्राइवेट कंपनियां केवल रिटेल ही थोक प्राइस पर भी छूट दे रही हैं. सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी घटने से छोटे शहरों में प्राइवेट कंपनियों की पकड़ मजबूत हो रही है. गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में प्राइवेट कंपनियों की तरफ से बनाई जा रही रणनीति का सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है.
1000 रुपये के पेट्रोल पर 50 का फायदा!
प्राइवेट कंपनी 'हैप्पी आवर' स्कीम के तहत खास समय पर 5 रुपये प्रति लीटर तक की छूट दे रही है. नायरा ने इसी तरह की पेशकश दे रही है. हालांकि, पूरे नेटवर्क में औसतन यह छूट 1-2 रुपये प्रति लीटर के करीब है. नायरा ने घोषणा की है कि 1,000 रुपये के पेट्रोल और डीजल की खरीदारी पर 5 रुपये लीटर तक की छूट मिलेगी. जानकारों का कहना है कि प्राइवेट कंपनियां सस्ता तेल इसलिए बेच पा रही हैं क्योंकि वे रूस से कम कीमत पर क्रूड ऑयल ले रही हैं. गुजरात में प्राइवेट ऑयल कंपनियों की रिफाइनरियां हैं. इस कारण उन्हें ऑयल डिस्ट्रीब्यूशन में कम लागत आती है.
सरकारी तेल कंपनियों की बिक्री में गिरावट
लाइव मिंट की खबर के अनुसार गुजरात पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अरविंद ठक्कर का कहना है कि सरकारी तेल कंपनियों की बिक्री में गिरावट आ रही है. अहमदाबाद और वडोदरा जैसे शहरों में सरकारी कंपनियों के पंप पर ग्राहक कम हो रहे हैं और प्राइवेट कंपनियों के पंप पर बिक्री बढ़ रही है. फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की पहली छमाही में गुजरात में सरकारी कंपनियों की पेट्रोल मार्केट हिस्सेदारी 77.5% से घटकर 75.1% रह गई, जबकि प्राइवेट कंपनियों की हिस्सेदारी 22.5% से बढ़कर 24.9% हो गई. यही हाल डीजल मार्केट में भी रहा, सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 79.6% से घटकर 76.8% हो गई. डीजल मार्केट में प्राइवेट कंपनियों की हिस्सेदारी 20.4% से बढ़कर 23.2% हो गई.
प्राइवेट कंपनियां तेली से बाजार पर कब्जा कर रहीं
राजस्थान में भी प्राइवेट कंपनियों की बिक्री में इजाफा देखा जा रहा है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन सुनीत बगाई का कहना है कि जिन क्षेत्रों में प्राइवेट कंपनियां एक्टिव हैं, वहां वे तेजी से बाजार पर कब्जा कर रही हैं. देश में 90,000 से ज्यादा पेट्रोल पंप हैं, जिनमें से ज्यादातर सरकारी कंपनियों के हैं. लेकिन प्राइवेट कंपनियां भी तेजी से विस्तार कर रही हैं. नायरा की तरफ से इस साल नेटवर्क में 400 पंप और जोड़ने का प्लान किया गया है. कंपनी के पहले से देशभर में 6,500 पंप हैं. सरकारी कंपनियों ने पिछले दो साल में केवल एक बार मार्च 2024 में 2 रुपये लीटर की कटौती की थी. यह कटौती लोकसभा चुनाव से पहले हुई थी. इससे पहले नवंबर 2022 में कस्टम ड्यूटी घटाकर कीमत में राहत दी गई थी.