Indian Business: हिंदुस्तान यूनिलीवर के प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने हाल ही में कहा था कि भारत में मंदी का सामना करने की संभावना नहीं है और देश एक उज्ज्वल स्थान पर बना हुआ है, जो ज्यादातर गंभीर वैश्विक आर्थिक टिप्पणी के बीच उत्साह की बात है.
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Recession: दुनिया में ऐसी धारणा बनी हुई है कि वैश्विक मंदी ने दस्तक दे दी है और छह से 12 महीनों में भारत पर भी इसका असर दिखने वाला है लेकिन भारतीयों के पास इस मंदी में भी शांत रहने का कारण हैं क्योंकि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के अधिकांश कारोबारियों को लगता है कि वे आर्थिक बाधाओं से बच सकते हैं और ये मंदी उनका बाल भी बांका नहीं कर पाएगी. इसके अलावा भारतीय कारोबारी यूरोपीय देशों में आने वाले तूफान को दूर करने के लिए आश्वस्त है. इसको लेकर एक सर्वे भी सामने आया है. बाजार अनुसंधान कंपनी वनपोल और GoTo के जरिए किए गए सर्वे में कुछ नई बातें सामने आई है.
मंदी की आशंका
कंपनी की ओर से किए गए 3700 व्यापार मालिकों और अधिकारियों के एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार एशियाई देश में 97% कारोबारियों के विश्वास के मुकाबले यूनाइटेड किंगडम में सिर्फ 43%, फ्रांस में 66% और जर्मनी में 68% कारोबारियों का मानना है कि वे मंदी से बचे हुए हैं. वैश्विक स्तर पर 69 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अगले छह महीनों में मंदी आने की संभावना है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक सहित शीर्ष अधिकारियों, रेटिंग एजेंसियों और बहुपक्षीय बैंकों द्वारा वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ी है. महामारी के बाद की दुनिया भू-राजनीतिक संघर्षों के बीच लगातार उच्च महंगाई के दुष्परिणामों से जूझ रही है, जो दुनिया भर के नीति निर्माताओं को मौद्रिक और राजकोषीय समर्थन को वापस लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
भारत की स्थिति बेहतर
हालांकि, हिंदुस्तान यूनिलीवर के प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने हाल ही में कहा था कि भारत में मंदी का सामना करने की संभावना नहीं है और देश एक उज्ज्वल स्थान पर बना हुआ है, जो ज्यादातर गंभीर वैश्विक आर्थिक टिप्पणी के बीच उत्साह की बात है. भारत के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के प्रमुख दिनेश खारा का मानना है कि वैश्विक मंदी की आशंका अन्य देशों की तुलना में भारत में उतनी स्पष्ट नहीं हो सकती है. खारा ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में भारत 6.8 फीसदी की अनुमानित विकास दर और वैश्विक बाधाओं के बावजूद मुद्रास्फीति "Much Under Control" को देखते हुए काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. उन्होंने कहा, महंगाई की वृद्धि मांग आधारित नहीं है, बल्कि आपूर्ति से प्रेरित है.
बनाई योजना
बहरहाल, भारत के केंद्रीय बैंक ने मई के बाद से प्रमुख नीतिगत दरों में 190 बेसिस अंक की वृद्धि की है. वहीं सर्वे में भारत में 94% उत्तरदाताओं ने किसी भी समय अपने व्यवसाय को आर्थिक बाधाओं के लिए तैयार करने की योजना बनाई है. तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए 60% भारतीय व्यवसाय नियमित आधार पर कार्य उपकरण (कर्मचारी, कंप्यूटर, कार्यालय आदि) बनाए रखते हैं और 54% कंपनी-व्यापी आपातकालीन फंड बनाते हैं और कर्मचारियों को उस तकनीक से लैस करते हैं जिससे उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है कि काम निर्बाध रूप से जारी रहे. सर्वेक्षण में कहा गया है कि 98 प्रतिशत भारतीय उत्तरदाताओं ने इस पर भी सहमति व्यक्त की कि उनके कर्मचारी आईटी सपोर्ट से जुड़े हुए हैं.
कर्मचारियों का मनोबल
साथ ही भारत में 56% अधिकारी संभावित आपदाओं के लिए कार्य योजना बनाकर अपने व्यवसायों को आर्थिक रूप से लचीला बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं, जबकि 54% डिजिटल सुरक्षा उपायों में सुधार करके टेक्नॉलोजी को मजबूत किया है. 97 प्रतिशत भारतीय उत्तरदाताओं ने भी आर्थिक मंदी के दौरान कर्मचारियों का मनोबल ऊंचा रखने की कोशिश की और 94% का मानना है कि पिछले साल से कर्मचारियों के मनोबल में सुधार हुआ है. हालांकि मंदी के कारण छंटनी भी होती है. वहीं सर्वे में कहा कि 97% भारतीय व्यापार जगत के कारोबारियों ने कहा कि कर्मचारियों को बनाए रखना प्रमुख प्राथमिकता है. इस बीच चार वैश्विक व्यापार प्रमुखों में से तीन ने कहा कि वे संभावित मंदी के दौरान कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए अपनी कुछ भी करेंगे.
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