Reliance Infra Share Price: मुंबई मेट्रोपॉलिटिन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) की तरफ से बकाया के वन टाइम सेटलमेंट (OTS) की खबर आने के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रा के शेयर में जबरदस्त तेजी देखी गई. शुक्रवार के कारोबारी सत्र में यह शेयर 06.65 रुपये तक चढ़ गया.
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Maharashtra Govt: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गवर्नमेंट ने मुंबई की मेट्रो 1 लाइन (Metro 1) का अधिग्रहण करने की योजना फिलहाल टाल दी है. लेकिन कैबिनेट की तरफ से एमएमआरडीए (MMRDA) की एग्जीक्यूटिव कमेटी को आदेश दिया गया है कि मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) के 1700 करोड़ रुपये के लोन का निपटारा करने के लिए इसका मूल्यांकन करें. आपको बता दें मेट्रो 1, मुंबई का सबसे पुराना मेट्रो रूट है और इस पर रोजाना 4.6 लाख यात्री सफर करते हैं.
'मेट्रो 1' को संचालित करती है MMOPL
यह एकमात्र ऐसी मेट्रो लाइन है, जिसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर बनाया गया था. इसे रिलायंस इंफ्रा प्रमोटिड स्पेशल पर्पज वीकल (SPV) मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) संचालित करती है. इस SPV में 26 फीसदी हिस्सेदारी एमएमआरडीए (MMRDA) की और बाकी 74 प्रतिशत अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रा (R-Infra) की है. मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड पर छह बैंकों स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank), केनरा बैंक (Canara Bank), इंडियन बैंक (Indian Bank), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और आईआईएफसीएल (UK) का बकाया है.
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खबर के बाद रिलायंस इंफ्रा के शेयर में तूफानी तेजी
एमएमआरडीए (MMRDA) की कार्यकारी समिति की तरफ से 1700 करोड़ के लोन के निपटारे के लिए मूल्यांकन का आदेश दिये जाने के बाद रिलायंस इंफ्रा (Reliance Infra) के शेयर में तेजी आई है. बाजार में गिरावट के बीच भी कंपनी का शेयर 10 प्रतिशत तक चढ़ गया. आपको बता दें MMOPL ने मार्च 2024 में अपने लेनदारों की कुल बकाया राशि का भुगतान करने के लिए एक करार किया था. इस समझौते के मुताबिक MMOPL को कुल 1700 करोड़ रुपये का भुगतान करना है. MMRDA और MMOPL ने इस करार के तहत मिलकर बैंकों का शुरुआती 170 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया.
सरकार ने पलट दिया था अपना फैसला
11 मार्च को राज्य कैबिनेट ने एमएमआरडीए द्वारा मेट्रो-1 में रिलायंस इंफ्रा की 74% हिस्सेदारी को 4,000 करोड़ रुपये में खरीदने की मंजूरी दी थी. साथ ही MMOPL को प्रोजेक्ट से बाहर निकलने की अनुमति दे दी. लेकिन अब एमएमआरडीए की तरफ से कहा गया कि उसके पास इस डील को पूरा करने के लिए पैसे नहीं हैं. एमएमआरडीए ने महाराष्ट्र सरकार से पैसे देने की बात कही लेकिन सरकार ने इसके लिए मना कर दिया. दूसरी तरफ राज्य कैबिनेट ने MMOPL को खरीदने के फैसले को भी पलट दिया था.
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ओटीएस के लिए छह बैंकों के साथ मीटिंग का प्लान
इसके बाद एमएमआरडीए कमिश्नर मामले पर चर्चा करने के लिए एमएमओपीएल पर बकाया वाले सभी छह बैंकों के साथ मीटिंग करने का प्लान कर रहे हैं. अप्रैल 2023 से जून 2024 तक एमएमओपीएल 225 करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज दे चुकी है. लेकिन MMRDA की तरफ से सरकार से मांगी गई मदद को भी नामंजूर कर दिया गया. नतीजतन, कैबिनेट ने अपने इसे खरीदने के फैसले को बदल दिया. इकोनॉमिक टाइम में प्रकाशित खबर के अनुसार 26 जून की कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला हुआ कि MMRDA की कार्यकारी समिति को वन टाइम सेटलमेंट (One-time settlement) पर चर्चा करने के लिए कहा जाए.
MMOPL पर चल रही थी इनसॉल्वेंसी की कार्यवाही
ईटी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कैबिनेट के इस फैसले को लागू करने के लिए MMRDA को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था. फैसले को जल्द लागू करने के लिए भी कहा गया है. MMOPL पर इनसॉल्वेंसी की कार्यवाही चल रही थी. IDBI बैंक ने अक्टूबर 2023 में 133.37 करोड़ रुपये के बकाया राशि को लेकर यह कार्यवाही शुरू की थी. SBI ने अगस्त 2023 में 416 करोड़ रुपये का बकाया नहीं दे पाने के चलते ऐसा किया था. बकाया राशियों का एकमुश्त निपटारा करने के लिए MMRDA ने 170 करोड़ का भुगतान किया, जो कि बकाया का 10% है. इस भुगतान के बाद NCLT ने दिवाला कार्यवाही बंद कर दी.