ब्‍याज दर बढ़ने से एक्‍सपोर्ट पर पड़ रहा असर, ब्याज सब्सिडी बढ़ाने की मांग
Advertisement
trendingNow12584689

ब्‍याज दर बढ़ने से एक्‍सपोर्ट पर पड़ रहा असर, ब्याज सब्सिडी बढ़ाने की मांग

एमएसएमई निर्यातक जो भारत के निर्यात परिदृश्य की रीढ़ हैं, उन्हें पूर्व और पश्‍चात निर्यात ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने से बहुत फायदा होगा.

ब्‍याज दर बढ़ने से एक्‍सपोर्ट पर पड़ रहा असर, ब्याज सब्सिडी बढ़ाने की मांग

Exporters Competitiveness: इंड‍ियन एक्‍सपोर्टर ज्‍यादा ब्याज दर और एक्‍सपोर्ट फाइनेंस में गिरावट के कारण नगदी संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे हैं, जिसका असर उनकी कॉम्‍पटेट‍िवनेस पर पड़ रहा है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की निर्यात-आयात (एक्जिम) पर राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि इन मामलों से निपटने के लिए सरकार और बैंकों को मिलकर प्रभावी समाधान निकालना होगा. बुधिया ने सुझाव दिया कि सरकार को एमएसएमई (MSME) सहित सभी मैन्‍युफैक्‍चर‍िंग एक्‍सपोर्ट के लिए ब्याज समानीकरण योजना को तीन साल के लिए बढ़ा देना चाहिए. इस योजना का 31 दिसंबर 2024 को आख‍िरी द‍िन था.

नगदी के मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रहे एक्‍सपोर्टर

उन्होंने कहा कि योजना का लंबे समय के ल‍िए विस्तार एक अहम कदम होगा, क्योंकि इसके सीमित विस्तार से भारतीय विनिर्माता नुकसान में रहेंगे. बुधिया ने कहा, ‘निर्यातक वास्तव में नगदी के मोर्चे पर अहम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उच्च ब्याज दरें और निर्यात वित्त में गिरावट से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है.’ एमएसएमई निर्यातक जो भारत के निर्यात परिदृश्य की रीढ़ हैं, उन्हें पूर्व और पश्‍चात निर्यात ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने से बहुत फायदा होगा. खासकर चमड़ा, इंजीनियरिंग, परिधान और रत्‍न व आभूषण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में... निर्यातकों के शीर्ष संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) ने भी मांग की कि सरकार आगामी बजट में इस योजना को पांच साल के लिए बढ़ाए.

2025-26 के लिए 1 फरवरी को बजट पेश क‍िया जाएगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बड़ी विदेशी प्रोजेक्‍ट लिए ऋण पत्र सुविधाओं का विस्तार करने से निर्यातकों को बहुत आवश्यक सहायता मिल सकती है. बुधिया ने कहा, ‘बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्यात ऋण गारंटी कार्यक्रमों के अंतर्गत ‘कवरेज’ को व्यापक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) वर्तमान में 50 करोड़ रुपये तक की ऋण सीमा वाले निर्यातकों के लिए 90 प्रतिशत बीमा ‘कवर’ प्रदान करता है.

कवरेज को 100 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है
उन्होंने कहा, ‘इस कवरेज को 100 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही ऋण तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अधिक बैंकों को इसमें शामिल किया जा सकता है.’ बुधिया पैटन समूह के प्रबंध निदेशक भी हैं. इस वर्ष देश की निर्यात संभावनाओं पर ‘हाई-टेक गियर्स’ के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा, ‘अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद का कार्य़भार संभालने के साथ ही 2025 में अमेरिकी की व्यापारिक नीति में बदलाव के आसार हैं. इसमें शुल्क बढ़ने का खतरा भी शामिल है जो वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं को बाधित और प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को प्रभावित कर सकता है.’

उन्होंने कहा कि अंकटाड की ओर से व्यापार पर जारी नवीनतम मासिक जानकारी के अनुसार, व्यापार अधिशेष और उच्च शुल्क वाले देश अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और ट्रंप के अनुसार भारत दोनों ही स्थितियों के दायरे में आता है. कपूरिया ने कहा, ‘ऐसे एकतरफा कदमों से जवाबी कार्रवाई के आसार बढ़ जाते हैं और इसके व्यापक प्रभाव पड़ते हैं जिससे वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. भारतीय उद्योग को अपनी व्यापार रणनीति बनाते समय वैश्विक व्यापार परिदृश्य पर इस संभावित उभरते परिदृश्य को ध्यान में रखना होगा, क्योंकि लंबे समय से जारी भू-राजनीतिक उथल-पुथल पहले से ही वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है.’ (भाषा से इनपुट)

 

TAGS

Trending news