Litti Chokha: ये अरबपति है 1.98 लाख करोड़ की कंपनी का मालिक, लेकिन बिहार के लिट्टी चोखा का है दीवाना
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Litti Chokha: ये अरबपति है 1.98 लाख करोड़ की कंपनी का मालिक, लेकिन बिहार के लिट्टी चोखा का है दीवाना

Bihar: ट्विटर पर अनिल अग्रवाल के लाखों में फॉलोअर्स हैं. वह अपने अकाउंट पर मोटिवेशनल वीडियो शेयर करते रहते हैं. हाल ही में उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिट्टी चोखा के साथ भी अपनी एक फोटो शेयर की थी. इसमें उन्होंने लिट्टी चोखा और बिहार के लिए अपना प्रेम जाहिर किया था.

Litti Chokha: ये अरबपति है 1.98 लाख करोड़ की कंपनी का मालिक, लेकिन बिहार के लिट्टी चोखा का है दीवाना

Vedanta Group के संस्थापक और अध्यक्ष अनिल अग्रवाल भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं. उनका जन्म 1954 में बिहार के पटना में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था. बिजनेस में उनके परिवार के पास 70 फीसदी से ज्यादा का हिस्सा है. उनके परिवार की कुल संपत्ति 32000 करोड़ रुपये से अधिक है. वहीं फोर्ब्स के मुताबिक उनकी निजी संपत्ति 16,400 करोड़ रुपये है. साथ ही वो 1.98 लाख करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं. अग्रवाल अपनी सफलता की कहानी में बिहार को रंगना कभी नहीं भूलते. हाल ही में उन्होंने बताया कि उनका पसंदीदा व्यंजन लिट्टी चोखा है, जो बिहार का काफी खास व्यंजन है.

लिट्टी चोखा
ट्विटर पर अनिल अग्रवाल के लाखों में फॉलोअर्स हैं. वह अपने अकाउंट पर मोटिवेशनल वीडियो शेयर करते रहते हैं. हाल ही में उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिट्टी चोखा के साथ भी अपनी एक फोटो शेयर की थी. इसमें उन्होंने लिट्टी चोखा और बिहार के लिए अपना प्रेम जाहिर किया था. वहीं अनिल अग्रवाल के पिता एल्युमिनियम कंडक्टर का कारोबार करते थे. अनिल पटना के मिलर हाई स्कूल के छात्र रह चुके हैं. वह कॉलेज जाने के बजाय अपने पिता के व्यवसाय में शामिल हो गए. वह सिर्फ 19 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे. उन्होंने 1970 के दशक के मध्य में शुरुआती सफलता हासिल की. वह केबल कंपनियों से स्क्रैप मेटल इकट्ठा करते और उसे मुंबई में बेचकर मोटा मुनाफा कमाते थे. 

कारोबार का विस्तार
1976 में उन्होंने शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन नामक एक कंपनी का अधिग्रहण किया जो तांबे का निर्माण करती थी. उन्होंने अपने दोनों व्यवसायों को 10 वर्षों तक चलाया. 1986 में, उन्होंने एक फैक्ट्री बनाई जो जेली से भरे केबल बनाती थी. लागत को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने अपने कारखाने के लिए आवश्यक धातुओं को खरीदने के बजाय उनका निर्माण करना शुरू कर दिया. 1993 तक उनकी स्टरलाइट तांबा गलाने वाली पहली निजी कंपनी बन गई.

कई कंपनियों का अधिग्रहण
बाद में उन्होंने मद्रास एल्युमीनियम का अधिग्रहण किया. 2001 में 551 करोड़ रुपये में बाल्को में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के बाद वह उद्योग जगत में एक बड़ी मछली बन गए. अगले साल उन्होंने सरकार के जरिए संचालित हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का अधिग्रहण किया. उनकी 65 फीसदी हिस्सेदारी है. उन्होंने सबसे बड़ी निजी तेल उत्पादक कंपनी केयर्न इंडिया का भी अधिग्रहण किया. उन्होंने कई देशों में कई कंपनियों का अधिग्रहण किया है.

                                                                                                                                                                                                             

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किया इंवेस्टमेंट
पिछले साल उन्होंने कहा था कि वेदांता और फॉक्सकॉन 2022 में भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले प्लांट बनाने के लिए 20 अरब डॉलर का निवेश करेंगे. वहीं पिछले हफ्ते उन्होंने इस बात से इनकार किया था कि वे वेदांता में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहे हैं. 

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