Somvar Vrat Niyam: भगवान शिव का स्वभाव सरल और सहज है. सोमवार का दिन भोलेनाथ की आराधना वाला माना जाता है लेकिन इस दिन 4 गलतियां कभी नहीं करनी चाहिए.
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Somwar Puja ke Niyam: भगवान शिव देवों के देव हैं. सभी देव-दैत्य, मानव-दानव उनसे ही शक्ति प्राप्त करते हैं. वे इतने भोले हैं कि उन्हें आसान उपायों से भी प्रसन्न किया जा सकता है. वे दुनिया का कल्याण करने वाले महादेव हैं. वैदिक शास्त्र के मुताबिक साल के सभी दिन भगवान शिव की आराधना की जा सकती है लेकिन सोमवार का दिन उनकी पूजा अर्चना के लिए विशेष माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन पूजा और व्रत रखने से श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. भोलेनाथ वैसे तो कभी भी क्रोधित नहीं होते है लेकिन 4 ऐसी गलतियां जिन्हें वे कभी क्षमा नहीं करते. आज हम उन 5 गलतियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिनसे आपको सोमवार के व्रत में करने से हमेशा बचना चाहिए वरना आपको खामियाजा भुगतने में देर नहीं लगेगी.
सोमवार को भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां
ये चीजें न करें अर्पित
सोमवार (Somwar Puja ke Niyam) को भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा के दौरान तुलसी और सिंदूर गलती से भी अर्पित नहीं करने चाहिए. इसके साथ ही लाल रंग के फूल और हल्दी चढ़ाना भी भोलेनाथ को क्रोधित कर देता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार के दिन काले रंग के वस्त्र भी नहीं पहनने चाहिए. ऐसा करने से अप्रिय परिणाम हासिल होते हैं.
इन पात्रों का न करें प्रयोग
शास्त्रों के अनुसार सोमवार को (Somwar Puja ke Niyam) मंदिर में जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करने के दौरान तांबे के पात्र या कलश का इस्तेमाल न करें. कहते हैं कि तांबे के बर्तन में दूध डालने से वह संक्रमित हो जाता है. जिसके चलते संक्रमित दूध अर्पित करने से कभी भी व्रत का पुण्यफल नहीं मिलता है.
मां पार्वती की भी करें पूजा
धार्मिक विद्वानों के अनुसार सोमवार का (Somwar Puja ke Niyam) व्रत रखने वाले जातकों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके विधि-विधान से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा को दौरान इस बात का खास ख्याल रखें कि भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की भी पूजा करना चाहिए. सोमवार को केवल फलाहार करें या फिर केवल शाम को ही भोजन करें.
जानें शिवलिंग की परिक्रमा का नियम
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब भी आप शिवलिंग (Somwar Puja ke Niyam) पर जल चढ़ाने जाएं तो इस बात का खास ख्याल रखें कि जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग की पूरी परिक्रमा कभी न करें. इसके बजाय आप परिक्रमा करते हुए आधे रास्ते में रुक जाएं. इसके बाद वापस घूमकर उस आधी परिक्रमा को पूरा करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)