Urdu Poetry in Hindi: कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं... फिराक गोरखपुरी के 10 बेहतरीन शेर

Siraj Mahi
Nov 28, 2024

मैं हूँ दिल है तन्हाई है, तुम भी होते अच्छा होता

कोई समझे तो एक बात कहूँ, इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो, तुम को देखें कि तुम से बात करें

अब तो उन की याद भी आती नहीं, कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें, और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद, मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं, ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका

सुनते हैं इश्क़ नाम के गुज़रे हैं इक बुज़ुर्ग, हम लोग भी फ़क़ीर उसी सिलसिले के हैं

ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त, तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई

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