अंग्रेजों ने ओडीशा से पाकिस्तान तक बना डाली थी 10 फीट ऊंची दीवार, फिर भी ना मिली कामयाबी
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अंग्रेजों ने ओडीशा से पाकिस्तान तक बना डाली थी 10 फीट ऊंची दीवार, फिर भी ना मिली कामयाबी

Odisha to Pakistan Wall: भारत और पाकिस्तान के इतिहास को लेकर आपने कई दिलचस्प कहानियां सुनी या फिर पढ़ी होंगी. इन्हीं दोनों देशों से जुड़ी एक और कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं. जो बेहद दिलचस्प है

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India Pakistan History: इतिहास गवाह है कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान दोनों मुल्कों के बीच कई ऐसी घटनाएं हुई जो हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई हैं. इनमें से एक घटना नमक की भी है. अंग्रेज़ों ने दोनों मुल्कों के मौजूदा संसाधनों का ख़ूब इस्तोमाल किया. दरअसल अंग्रेज़ों ने नमक के लिए हिंदुस्तान से लेकर पाकिस्तान तक दीवार बना डाली.

नमक पर भारी भरकम टैक्स

उस दौरान हिंदुस्तान में आना आसान नहीं था. अगर कोई दाखिल होना भी चाहता तो उसे मुल्क के पश्चिमी हिस्से से पूर्व में तराई इलाके में जाने के लिए बबूल की घनी झाड़‍ियों की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. कर्नाटक और दूसरे इलाकों के करीब मौजूद इन झाड़‍ियों को पार करना और भी मुश्किल था. इसकी वजह थी रास्‍ते में पुलिस चौकी पर खड़े कस्‍टम के अधिकारी. नमक साथ में ले जाना तो नामुमकिन था. नमक उस समय बहुत ही क़ीमती था. अगर कस्‍टम अधिकारियों को ये पता लग जाए कि वो अपने साथ नमक लेकर जा रहा है तो उस पर भारी भरकम टैक्‍स थोप दिया जाता था. उस वक्त एक मन नमक पर तीन रुपए तक का टैक्‍स लगता था जो भारत में सबसे ज़्यादा था.

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शुरू हुई नमक की स्‍मगलिंग

बंटवारे से पहले भी आम लोगों को बहुत सी परेशानियां हुईं, क्योंकि कई चीज़ें ऐसी हैं जो या तो सिर्फ पाकिस्तान में हैं या हिंदुस्तान में. इनमें से एक बेहद ज़रूरी चीज़ था नमक. जिसपर बहुत ज्‍यादा टैक्‍स होने की वजह से लोग परेशान रहने लगे. लोग कहीं से भी नमक खरीदते और फिर उसे बंगाल व मद्रास प्रेसीडेंसी भेज देते थे. बंगाल में नमक पर 3.25 पैसा टैक्‍स था जबकि बाकी देश में ये 2 रुपए था.

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दीवार को मिला ग्रेट हेज ऑफ इंडिया नाम

एक वक़्त था जब नमक पर भारतीयों को बहुत ज़्यादा टैक्‍स अदा करना पड़ता था. नमक पर टैक्‍स की वजह से तस्‍करी से बचाने के लिए हिंदुस्तान में ओडिशा से लेकर पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा तक एक 10 फुट ऊंची दीवार खड़ी कर दी. यह घटना हमेशा कि लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई और इस दीवार को ग्रेट हेज ऑफ इंडिया का नाम दे दिया गया.

कब गिराई गई दीवार

हालांकि यह दीवार परेशानियों को दूर करने के लिए खड़ी की गई लेकिन एक वक्त आया जब यह खुद परेशानी बन गई. इसकी वजह से कारोबार और कम्‍युनिकेशन में मुश्किलों पैदा होने लगी. साथ ही इतनी सख़्ती के बाद स्मगलिंग भी नहीं रुक पाई थी. इसके अलावा बंगाल में खाने-पीने की चीज़ों की कमी होने लगी. जिसकी वजह से बंगाल में कुपोषण फैला और हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा कई जानवरों की आवाजाही में भी मुश्किलें होनी लगीं जिससे जंगल का वातावरण भी बिगड़ने लगा. नमक की वजह से ही देश में दांडी मार्च जैसा आंदोलन छिड़ गया था. भारत की आज़ादी के बाद जब जवाहर लाल नेहरू पीएम बनें तो उन्‍होंने नमक से टैक्स हटा दिया था. 1 अप्रैल 1879 को इस दीवार का गिरा दिया गया.

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