UP Board Toppers: बिजनौर के झालू की टॉपर अज़का की कहानी; बोलीं- एग्ज़ाम के दौरान मोबाइल भी ज़रूरी
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UP Board Toppers: बिजनौर के झालू की टॉपर अज़का की कहानी; बोलीं- एग्ज़ाम के दौरान मोबाइल भी ज़रूरी

UP Board Toppers: उत्तर प्रदेश बोर्ड (UP Board) में टॉप करने वाले छात्र-छात्राओं से बातचीत के दौरान एक अलग कहानी देखने को मिली. बिजनौर जिले के कस्बा झालू के GGIC में टॉप करने वाली छात्रा ने बेहद अलग अंदाज़ में अपना तजुर्बा बयान किया.

UP Board Toppers: बिजनौर के झालू की टॉपर अज़का की कहानी; बोलीं- एग्ज़ाम के दौरान मोबाइल भी ज़रूरी

UP Board Result 2023: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) ने मंगलवार को 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम घोषित किए. जारी किए गए नतीजों में हर बार की तरह लड़कियों का दबदबा देखने को मिला. 10वीं कक्षा में प्रियांशी सोनी जबकि 12वीं में शुभ छापरा ने टॉप किया. 93.34 फीसदी लड़कियों ने जबकि 86.64 फीसद लड़कों ने परीक्षा में कामयाबी हासिल की. 

जब हम अन्य बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए टॉपर्स से बात कर रहे थे तो इस कड़ी में बिजनौर जिले के कस्बा झालू की टॉपर अज़का नूरैन (Azka Noorain) से बातचीत हुई. अज़का से हुई बातचीत काफी हैरान कर देने वाली थी, क्योंकि उनका परीक्षा देने का तजुर्बा बेहद अलग था. अज़का ने अपने कॉलेज राजकीय कन्या इंटर कॉलेज झालू (Government Girls Inter College Jhalu) से पढ़ाई करते हुए 10वीं के एग्जाम में 90 फीसद अंक हासिल कर कॉलेज में टॉप किया.

एक तरफ शादी, दूसरी तरफ एग्जाम:

अज़का ने बातचीत के दौरान बताया," मैं परीक्षा को लेकर काफी परेशान थी, क्योंकि जिस दिन मेरा पहला पेपर था उससे एक दिन पहले मेरे चाचा की शादी भी थी. ये शादी मेरे लिए बहुत अहम थी लेकिन मैंने अपनी ख्वाहिशों को मारा और परीक्षा की तैयारी करती रही."

मोबाइल का किया सही इस्तेमाल:

इतना ही नहीं अज़का ने उन बच्चों को भी आइना दिखाया जो परीक्षा के दौरान मोबाइल का गलत इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे परीक्षा के दौरान मोबाइल से भी काफी मदद मिली. सिलेबस के बहुत से टॉपिक्स के बारे में मैंने ऑनलाइन काफी कुछ पढ़ा. साथ ही मैंने पिछले वर्षों के एग्जाम पेपर भी मोबाइल की मदद से देखे और उन्हें समझा, ताकि जब मेरे सामने एग्जाम पेपर आए तो मुझे नयेपन का एहसास ना हो. 

पिता ने निभाया अहम किरदार

इसके अलावा अज़का कहती हैं,"मेरे परिवार ने भी परीक्षा के दौरान काफी सहयोग किया. खास तौर पर मेरे पिता शमशीर अहमद और माता ने." उन्होंने कहा कि मेरे पिता खुद एक टीचर हैं और उनका मेरी पढ़ाई में काफी सहयोग रहा. कदम कदम पर उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया. उन्होंने कभी भी अपनी ख्वाहिशों का बोझ मेरे ऊपर नहीं लादा, हमेशा मुझे सहज रखने की कोशिश करते हैं, जिसका मुझे बहुत फायदा मिला. टीचर्स का जिक्र करते हुए अज़का ने कहा कि मां-बाप के बाद दुनिया में वही सब कुछ होते हैं. किसी भी छात्र की कामयाबी में उनका किरदार काफी अहम होता है.

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