कौन हैं हादी मतार? जिसने सलमान रुश्दी किया था चाकू से वार, अब कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
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कौन हैं हादी मतार? जिसने सलमान रुश्दी किया था चाकू से वार, अब कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Salman Rushdie Knife Attack Case: अगस्त 2022 में सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. इस हमले में उनके लीवर को नुकसान पहुंचा था और एक आंख की रोशनी चली गई. अब इस मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.

कौन हैं हादी मतार? जिसने सलमान रुश्दी किया था चाकू से वार, अब कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Salman Rushdie Knife Attack Case: दुनियाभर में मशहूर ब्रिटिश-भारतीय लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयॉर्क में एक समारोह में चाकू से कई बार हमला किया गया था. हमले के बाद न्यू जर्सी के हादी मतार नामक व्यक्ति पर हत्या की कोशिश का मुकदमा चलाया गया था. अब कोर्ट ने हमले के आरोपी को दोषी करार दिया है. इस मामले आरोपी को 30 साल से ज्यादा की सजा सुना सकती है.

दरअसल, अगस्त 2022 में सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे. इस हमले में उनके लीवर को नुकसान पहुंचा था और एक आंख की रोशनी चली गई. साथ ही उनका हाथ लकवाग्रस्त हो गया क्योंकि हाथ की तंत्रिका को नुकसान पहुंचा था. इस मामले में जूरी ने शुक्रवार को हमले की जगह के पास पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य के चौटाउक्वा काउंटी कोर्ट में दो सप्ताह की सुनवाई के बाद मतार को दोषी करार दिया.

सलमान रुश्दी को कब और कितनी बार मारा गया चाकू?
जूरी ने मतार को साक्षात्कारकर्ता हेनरी रीस पर भई हमले का भी दोषी पाया. वह लेखक के साथ मंच पर मौजूद थे. हमले के दौरान रीस के सिर में मामूली चोट लगी थी. मतार की सजा की तारीख 23 अप्रैल तय की गई है. 77 साल के रुश्दी ने गवाही दी कि वह ऐतिहासिक चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर थे, जब उन्होंने एक व्यक्ति को अपनी ओर भागते हुए देखा. घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमलावर की आंखें देखकर वह दंग रह गए, "जो काली थीं और बहुत क्रूर लग रही थीं." पहले तो उन्हंने सोचा कि उसे मुक्का मारा गया है, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि उन्हें चाकू मारा गया है. कुल 15 बार चाकू मारा था और उनकी आंख, गाल, गर्दन, छाती, धड़ और जांघ पर घाव हुए थे.

किस बात को लेकर था विवाद
यह हमला रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास, 'द सैटेनिक वर्सेज' के पहली बार प्रकाशित होने के 35 साल से भी ज़्यादा समय बाद हुआ था. पैगंबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित इस उपन्यास ने कुछ मुसलमानों में आक्रोश पैदा कर दिया था, जिन्होंने इसके कंटेंट को ईशनिंदा वाला माना था. 1988 में प्रकाशित होने के बाद इस किताब पर कुछ देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया था. रुश्दी को अनगिनत मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा.

ईरान के सुप्रीम लीडर ने जारी किया था फतवा
'द सैटेनिक वर्सेज' से जुड़े विवाद ने भूराजनीति पर उल्लेखनीय प्रभाव तब पड़ा. 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता रूहोल्लाह खुमैनी ने मुसलमानों को रुश्दी को मारने का आदेश देते हुए एक फतवा जारी किया. इसके बाद रुशदी को सालों तक भूमिगत रहना पड़ा था. हालांकि बाद के वर्षों में ईरान का इस फतवे को लेकर रुख बदलता रहा. हाल के सालों में, लेखक ने कहा कि उनका मानना ​​है कि उनके खिलाफ धमकियां कम हो गई हैं.

आरोपी ने क्यों किया था हमला
2022 में जेल से न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए गए एक इंटरव्यू में, मतार ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी की रुश्दी की मौत का आह्वान करने के लिए तारीफ की. लेखक के बारे में उसने कहा, "मुझे नहीं लगता कि वह बहुत अच्छे व्यक्ति हैं. वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने इस्लाम पर हमला किया है." मतार ने यह भी कहा कि 'द सैटेनिक वर्सेज' के केवल कुछ ही पृष्ठ पढ़े हैं. लेबनानी माता-पिता के घर न्यू जर्सी के फेयरव्यू में जन्मे मतार पर लेबनान स्थित आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह की मदद करने के लिए एक अलग संघीय मामले में भी आरोप लगाया गया है.

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