Umar Khalid: पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने अपनी जमानत याचिका को वापस ले लिया है. उनकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सीनियर वकील ने इसके पीछे की वजह भी बताई है. पढें पूरी खबर
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Umar Khalid: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को छात्र कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व नेता उमर खालिद को अपनी जमानत याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी है. उमर खालिद पर 2020 में हुए दिल्ली दंगों में शामिल होने का आरोप है, उनपर यूएपीए के तहत मामला दर्ज है. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने खालिद की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल के जरिए इस मामले में अनुरोध किए जाने के बाद खालिद को जमानत के लिए अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दी गई है.
कपिल सिब्बल ने कहा,"हालातों में बदलाव आया है. हम ट्रायल कोर्ट के सामने फिर से अपनी किस्मत आजमाएंगे.' हम जमानत मामले को वापस लेना चाहते हैं.” खालिद ने यूएपीए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका भी दायर की है, जिसमें जमानत के लिए कड़ी शर्तें रखने वाली धारा 43डी भी शामिल है, जिसे बुधवार को उसी पीठ के सामने लिस्ट किया गया था. खालिद ने जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अप्रैल में टॉप कोर्ट का रुख किया था.
जेएनयू पूर्व स्कॉलर खालिद की ओर से पेश हुए सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ से कहा कि वह "हालातों में बदलाव" की वजह से अपनी जमानत याचिका वापस लेना चाहते हैं. सिब्बल ने कहा, "मैं कानूनी प्रश्न (यूएपीए के प्रावधानों को चुनौती देने) पर बहस करना चाहता हूं. लेकिन, हालातों में बदलाव की वजह से जमानत याचिका वापस लेना चाहता हूं. हम निचली अदालत में अपनी किस्मत आजमाएंगे.’’ हालांकि सीनियर वकील ने "हालातों में बदलाव" पर कोई जानकारी नहीं दी.
खालिद को दिल्ली दंगों के सिलसिले में 13 सितंबर, 2020 को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में बंद है. दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत में खालिद की जमानत याचिका पर जवाब दिया था और उस पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 के दंगों का कथित “मास्टरमाइंड” होने का आरोप लगाया था. इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 लोग घायल हुए थे. यह हिंसा सीएए के खिलाफ प्रोटेस्ट के दौरान हुई थी.
जमानत का विरोध करते हुए, दिल्ली पुलिस ने कहा था कि याचिकाकर्ता को न्यायिक हिरासत (जेल में) में हिरासत में रखना ट्रायल कोर्ट के जरिए संरक्षित गवाहों के निडर, सच्चे और स्वतंत्र बयान के लिए जरूरी है.” इस दौरान हाई कोर्ट ने जमानत से इनकार करते हुए खालिद के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया, जो जमानत से इनकार करने के लिए यूएपीए की धारा 43डी के तहत पर्याप्त शर्त थी.