तमिलनाडुः BDO ने दलित बस्ती में रोकी पानी की आपूर्ति; प्यासा है 80 परिवार
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1580608

तमिलनाडुः BDO ने दलित बस्ती में रोकी पानी की आपूर्ति; प्यासा है 80 परिवार

BDO denying drinking water connection to Dalits: तमिलनाडु के तिरुपुर में दलितों ने बीडीओ पर पीने के पानी का कनेक्शन नहीं देने का आरोप लगाया है जबकि इस मामले में बीडीओ ने सफाई दी है कि कुआं निजी जमीन पर खोदा गया था, इसलिए पानी की आपूर्ति नहीं की गई है

अलामती तस्वीर

चेन्नईः तमिलनाडु में पुडुकोट्टई जिले की एक दलित बस्ती में पेयजल टंकी में मानव मल पाए जाने की घिनौनी घटना के बाद वहां से एक और शर्मनाक घटना सामने आई है. तिरुपुर जिले में एक खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) ने दलितों को पेयजल कनेक्शन देने से कथित तौर पर इंकार कर दिया है. यह घटना तिरुपुर जिले के मेट्टुपलयम की बताई जा रही है.
गौरतलब है कि अस्सी दलित परिवार एक बोरवेल से पानी का इस्तेमाल कर रहा था. जब उस बोरवेल में पानी का स्तर नीचे चला गया तो दलित परिवारों ने पानी लेने के लिए अरणमानिक्कटुपुदुर पंचायत का रुख किया. इसके बाद पंचायत ने एक प्रस्ताव पास कर दलित बस्ती से दो किमी दूर एक सरकारी जमीन पर नया बोरवेल खोदने के लिए आवश्यक मंजूरी दी. इसके बाद वहां दो माह पहले एक कुआं भी खोदा गया था.

पंचायत ने दी थी खुदाई की अनुमति 
पंचायत के दलित समुदाय के सदस्यों ने इल्जाम लगाया है कि खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) के. जयकुमार ने दलित बस्तियों में पानी की आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने पर यह कहते हुए इंकार कर दिया कि कुएं के निर्माण के लिए अनुमति नहीं ली गई थी. पंचायत के निवासी दुरईस्वामी और खुद एक दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले दुरईस्वामी ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि पंचायत के अफसरों  ने कुएं की खुदाई के लिए मंजूरी दे दी है. 

बीडीओ ने दी सफाई, ग्रामीणों बोला है झूठ बोल रहा अफसर
हालांकि, इस मामले में संबंधित बीडीओ, जयकुमार ने कहा, “ग्रामीणों के एक वर्ग ने कुएं का विरोध किया था और उन्होंने शिकायत की थी कि यह निजी भूमि में है, इसलिए पानी की सप्लाई नहीं की गई है." वहीं, इस मामले में ग्रामीणों ने कहा कि बीडीओ का बयान सही नहीं है और वे पहले ही बीडीओ द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में जिला प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं.

तमिलनाडु में पुराना है दलितों और अपर कास्ट के बीच को संघर्ष 
गौरतलब है कि तमिलनाडु में पहले भी दलितों को उनके अधिकारों से वंचित किए जाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है. दक्षिण तमिलनाडु के कई क्षेत्रों में, दलितों और उच्च जाति के लोगों के बीच कई हिंसक टकराव भी हो चुके हैं, जिनके कई लोगों की जानें भी जा चुकी है. इस मामले में डॉ. एम. शिवरमन, समाजशास्त्री और दलित विचारक ने कहते हैं, "तमिलनाडु द्रविड़ विचारधारा और समानता का दावा करता है, जबकि हकीकत में जातिवाद और दलित के प्रति सामाजिक बहिष्कार राज्य भर में बड़े पैमाने पर आज भी हो रहे हैं. दलितों के लिए चाय की दुकानों में अलग-अलग गिलास कई जगहों पर देखे जा सकते हैं.’’ डॉ. एम. शिवरमन ने कहा,   “विकास और प्रशासन के द्रविड़ मॉडल की अक्सर प्रशंसा करते हुए इन सामाजिक वास्तविकताओं को जानबूझकर भुला दिया जाता है. बीडीओ द्वारा दलितों को बोरवेल की इजाजत देने से इनकार करना पूरे राज्य में दलित समुदायों के लोगों के लिए दैनिक जीवन में हो रही घटनाओं का विस्तार और संकेत है." 

Trending news