learn Urdu: बेहद खास है 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' का मतलब; आसान जबान में समझें
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learn Urdu: बेहद खास है 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' का मतलब; आसान जबान में समझें

Learn Urdu: गुलामी फिल्म का गाना 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' बहुत मशहूर हुआ. इस खबर में हम इस लाइन का मतलब बताएंगे. ये भी बताएंगे कि यह कहां से ली गई है.

learn Urdu: बेहद खास है 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' का मतलब; आसान जबान में समझें

Learn Urdu: साल 1985 में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म 'गुलामी' बहुत मशहूर हुई थी. यह फिल्म सबसे ज्यादा अपने एक गाने 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' की वजह से मशहूर हुई थी. कई बार लोगों ने इस गाने को सुना और इसका आनंद लिया. कुछ लोगों ने इसके मतलब समझे लेकिन कुछ लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. आज हम इस खबर में आपको बताएंगे कि गाने में इस्तेमाल हुए 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' का क्या मतलब है.

'जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश' का मतलब
'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश' गाने में इस्तेमाल हुई लाइन अमीर खुसरो की एक रचना से ली गई है. इसे बाद में गीतकार गुलजार ने अपने हिसाब से लिखा है. उन्होंने लिखा है कि 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश, बेहाल-ए-हिजरां बेचारा दिल है...सुनाई देती है जिसकी धड़कन, तुम्हारा दिल या हमारा दिल है...' इस तरह से इसका मतलब हुआ. "मेरे दिल का थोड़ा ध्यान रखो इससे रंजिश (नाराजगी) न रखो. इस बेचारे ने अभी बिछड़ने का दुख सहा है." अमीर खुसरो ने इस लाइन को इस तरह लिखा है 'ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनां बनाए बतियां, कि ताब-ए-हिज्रां नदारम ऐ जां न लेहू काहे लगाए छतियां'

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गाने के बारे में
आपको बता दें कि 'ज़िहाल-ए-मिस्कीं मकुन ब-रंजिश, बेहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है...' को गीतकार गुलजार ने लिखा है. इस गाने को मशहूर गायिका लता मंगेशकर और शब्बीर कुमार ने गाया है. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने इसको म्यूजिक दी है. गाना फिल्म 'गुलामी' का है. यह फिल्म साल 1985 में रिलीज हुई थी. इस गाने पर एक्टर मिथुन ने अदाकारी की है.

गाना सुनें:-

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