Manipur Violence: मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा अब तक नहीं रुकी है. यहां अभी भी छिटपुट हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. हिंसा से अब तक यहां 71 लोगों की मौत हो चुकी है. जरूरी चीजें काफी महंगी हो गई हैं.
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Manipur Violence: जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में लोग अब दोहरी मार झेल रहे हैं, क्योंकि राज्य में न केवल आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, बल्कि इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की वजह से बैंकिंग सुविधाएं भी प्रभावित हैं, जिससे जीवन और अधिक दयनीय हो गया है. 16 जिलों में इंटरनेट सेवाएं 12 दिनों के लिए निलंबित हैं, जिससे बैंक और एटीएम बूथ से पैसे नहीं निकल पा रहे हैं. मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन ने 3 मई से महत्वपूर्ण सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया.
मार्च के बाद हुईं झड़पें
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) की तरफ से मेइती समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए बुलाए गए 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद 10 से अधिक जिलों में अभूतपूर्व हिंसक झड़पें, हमले, जवाबी हमले और घरों, वाहनों और सरकारी और निजी संपत्तियों में आगजनी हुई.
अभी भी हो रहीं झड़पें
परिवहन ईंधन संकट ने भी यात्रियों को परेशानी में डाल दिया है. राज्य सरकार के अधिकारी दोपहिया और वाहन मालिकों को सीमित मात्रा में पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति कर रहे हैं. 11 जिलों में कर्फ्यू में प्रतिदिन में कई घंटों के लिए ढील दी जा रही है, ताकि लोग खाना और जरूरी चीजों की खरीद कर सकें. इंफाल के अधिकारियों ने कहा कि लगभग हर दिन कुछ जिलों में हिंसा और हमलों की छिटपुट घटनाएं हो रही हैं.
खाली घरों को लगाई गई आग
चुराचांदपुर जिले में शनिवार की रात संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने कुछ खाली घरों को आग के हवाले कर दिया. इन घरों के निवासी अब राहत शिविरों में रह रहे हैं. रक्षा सूत्रों ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के लैलमपत के पास वन क्षेत्र में शनिवार को अज्ञात सशस्त्र बदमाशों के एक समूह द्वारा एक संयुक्त सेना और असम राइफल्स क्षेत्र प्रभुत्व गश्ती दल पर गोलीबारी की गई. गोली लगने से घायल हुए असम राइफल्स के दो जवानों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की तो हथियारबंद बदमाश इलाके से फरार हो गए.
अब तक हुईं 71 मौतें
मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने कहा 3 मई से अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 41 जातीय हिंसा के शिकार हुए, जबकि अन्य की मौत कई अन्य कारणों से हुई, जिसमें ड्रग ओवरडोज भी शामिल है. उन्होंने कहा कि हमले और आगजनी के कुल 339 मामले दर्ज किए गए हैं.
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