Maharashtra News: महाराष्ट्र में जहां मराठा आंदोलन जारी है वहीं दूसरी तरफ खबर आ रही है कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने अपना पद छोड़ दिया है. इससे पहले भी दो लोगों ने इस्तीफा दिया था.
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Maharashtra News: महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSBCC) के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आनंद निरगुडे ने अपना पद छोड़ दिया. न्यायमूर्ति निर्गुडे ने 4 दिसंबर को सरकार को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इसे 9 दिसंबर को स्वीकार कर लिया गया, जब महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा था. कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने सबसे पहले घटनाक्रम पर ट्वीट किया और इल्जाम लगाया कि राज्य सरकार ने इसके बारे में विधानमंडल से "जानकारी छिपाई".
निजी वजहों से इस्तीफा
अपनी ओर से, न्यायमूर्ति निर्गुडे- जिन्हें मार्च 2021 में अध्यक्ष नियुक्त किया गया था- ने तस्दीक की कि उन्होंने 'व्यक्तिगत कारणों' से इस्तीफा दे दिया है, उन्होंने एमएसबीसीसी के लिए अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन मीडिया के सामने इसके बारे में बोलना पसंद नहीं करेंगे. इस खबर को 'चौंकाने वाला' बताते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि 9 सदस्यीय एमएसबीसीसी सदस्य एक के बाद एक इस्तीफा दे रहे हैं और 'सरकार ने यह जानकारी छिपाई कि राष्ट्रपति ने (निर्गुडे का) इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.'
पहले ही दो लोगों ने छोड़ा पद
इससे पहले दो अन्य सदस्यों- लक्ष्मण हेक और बालाजी भिलारिकर- ने राज्य सरकार पर इसके कामकाज में 'हस्तक्षेप' का आरोप लगाते हुए पैनल छोड़ दिया था. अब, एमएसबीसीसी अध्यक्ष और दो अन्य सदस्यों के इस्तीफा देने के बाद, पैनल में नीलिमा लाखड़े, चंदूलाल मेश्राम, बबन तायवाड़े, संजीव सोनावणे, गजानन खराटे, अलका राठौड़ और गोविंद काले बचे हैं.
सदन में कोई जानकारी नहीं मिली
वडेट्टीवार ने मांग की,“जब शीतकालीन सत्र चल रहा है तो सरकार ने सदन में इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं दी? सरकार को सदन में बताना चाहिए कि एक सदस्य और अब एमएसबीसीसी के अध्यक्ष ने क्यों इस्तीफा दिया है." एमएसबीसीसी हाल ही में मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की स्थिति पर गौर कर रही थी- वर्तमान में आरक्षण के लिए युद्ध पथ पर - और इस्तीफों के सिलसिले ने विभिन्न समुदायों के बीच चिंता बढ़ा दी है.
मराठा आरक्षण के ताल्लुक से दिया गया आदेश
एमएसबीसीसी को राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय के संदर्भ में असाधारण परिस्थितियों या असाधारण स्थितियों के अस्तित्व का पता लगाने के लिए निर्देशित किया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले में निर्धारित 50 प्रतिशत कोटा की सीमा से अधिक को उचित ठहराते थे. शिवबा संगठन के अध्यक्ष मनोज जारांगे-पाटिल ने कहा कि निर्गुडे के पास पद छोड़ने के अपने कारण हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें घटनाक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.