Gaza Ceasefire Agreement: सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया, यह वार्ता अल-सिसी के बुधवार को व्यक्त किए इस विचार के बाद हुई कि फिलिस्तीनियों का विस्थापन 'अन्याय' का कार्य है और इसमें मिस्र भाग नहीं लेगा.
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Gaza Ceasefire Agreement: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सीसी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर गाजा पट्टी में चल रहे इजरायल-हमास सीजफायर पर चर्चा हुई की. मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से एक बयान में कहा गया, "दोनों राष्ट्रपतियों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई. इसमें युद्ध विराम समझौते के पहले और दूसरे चरण के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने और गाजा पट्टी में सीजफायर की स्थिरता सुनिश्चित करने को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई."
दोनों के बीच क्या हुई बातचीत
दोनों नेताओं के बीच शनिवार को हुई बातचीत में 'गाजा के निवासियों को मानवीय सहायता और राहत पहुंचाने की तत्काल जरूरत' पर भी चर्चा हुई. कॉल के दौरान, मिस्र के राष्ट्रपति ने 'क्षेत्र में स्थायी समाधान के लिए अनुकूल शांति प्रक्रिया शुरू करने की जरुरत" पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ट्रंप की ऐतिहासिक और स्थायी इजरायल-फिलिस्तीनी शांति समझौते को सुरक्षित करने की क्षमता पर भरोसा करता है. यह क्षेत्र में दशकों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करेगा. इसमें कहा गया है कि अल-सिसी और ट्रंप ने निकट भविष्य में आधिकारिक यात्राओं के लिए एक-दूसरे को निमंत्रण भी दिया.
ट्रंप के बयान का विरोध
सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया, यह वार्ता अल-सिसी के बुधवार को व्यक्त किए इस विचार के बाद हुई कि फिलिस्तीनियों का विस्थापन 'अन्याय' का कार्य है और इसमें मिस्र भाग नहीं लेगा. पिछले सप्ताह ट्रंप ने गाजा से फिलिस्तीनियों को पड़ोसी जॉर्डन और मिस्र में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा था, जहां वे शायद शांति से रह सकें. लेकिन इस योजना को क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अस्वीकार कर दिया गया. बड़ी संख्या में फिलिस्तीनियों ने सड़क पर उतर इस प्रस्ताव का विरोध किया.
गाजा में क्यों हुआ प्रदर्शन
सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि प्रदर्शनकारी मध्य गाजा शहर के अल-सरया स्क्वायर और डेयर अल-बलाह में इकट्ठे हुए. उन्होंने फिलिस्तीनी और मिस्र के झंडे लहराए. उन्होंने ट्रंप की योजना को अस्वीकार करने के लिए मिस्र की तारीफ की. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की छवियों वाले बड़े बैनरों पर नारे लिखे थे. इसमें लिखा था कि "मिस्र हमेशा फिलिस्तीन का सच्चा समर्थक और रक्षक रहेगा और अपने लोगों के विस्थापन को कभी स्वीकार नहीं करेगा."